ए हवा
सुरेखा सुनील दत्त शर्मा
बेगम बाग (मेरठ)
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ए हवा, कितना तेज,
चला, ना कीजिए,
जुल्फें हमारी इस कदर,
उड़ाया न कीजिए,
हौसला है तुम में
माना हमने,
मगर इस कदर हमसे,
यू शरारत न कीजिए,
हमने कब कहा, बंद हो जाओ,
इतना धीमा होकर भी,
यूं हमें, जलाया ना कीजिए,
करती है शरारत जब,
हवा तेज होती है,
हवा की ये गुदगुदी,
हमें खूब हंसाती है,
हवा तेज चली तो...
आंचल भी संभालेंगे,
कह देते हैं ए हवा,
बार-बार शरारत यू हमसे ना कीजिए।
ए हवा कितना तेज चला ना कीजिए,
जुल्फें हमारी इस कदर उड़ाया न कीजिए!!
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परिचय :- सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा
जन्मतिथि : ३१ अगस्त
जन्म स्थान : मथुरा
निवासी : बेगम बाग मेरठ
साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास
प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :-
पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल, हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) ...
























