खरदूषण
के.पी. चौहान
गुरान (सांवेर) इंदौर
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दीपावली के इस पावन पर्व।
और सुहाने मौसम,
तथा प्यार भरी बारिश,
बन के आई है।
प्रदूषण से त्रस्त लोगों के लिए।।
अमृत वर्षा।
सोचा होगा,
कब तलक दिल्लीवासी।
दीपावली पर छोड़े गए पटाखों के,
प्रदूषण के जहर को भागेगा।
नादान है इंसान,
समझने को तैयार नहीं।
वह पता नहीं कब तक।
अपने जीवन के साथ खेलेगा।।
इंसान तो मरेंगे ही साथ में जीव जंतु।
और वन्य प्राणियों की जान भी ले लेगा।।
अति उत्साह में चलाकर पटाखे।
बढ़ा रहा है प्रदूषण।।
उसे नहीं पता कि १ दिन।
हमें ही खा जाएगा यह;
खरदूषण।।
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लेखक परिचय :- "आशु कवि" के.पी. चौहान "समीर सागर"
निवासी - गुरान (सांवेर) इंदौर
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