हिंदी का गुणगान
डॉ. राजीव डोगरा "विमल"
कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
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हिंदी का मैं गान करता हूँ
हिंदी का मैं सम्मान करता हूँ।
कभी मीरा को सुनता हूँ
कभी कबीर को सुनाता हूँ।
कभी जायसी के
रहस्य में खो जाता हूँ
कभी केशव के
काव्य प्रेत से टकराता हूँ।
कभी नानक की
गुरुबानी बोलता हूँ
कभी चंदबरदाई की
वीरगाथा गाता हूँ।
कभी तुलसीदास की तरह
राम नाम का
गुणगान करता हूँ।
कभी सूरदास की तरह
कृष्ण की हठकेलिया सुनाता हूँ।
कवि हूँ हर हाव में, हर भाव में
हिंदी का गुणगान करता हूँ।
परिचय :- डॉ. राजीव डोगरा "विमल"
निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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