जीव की करूण पुकार
श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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आया पावन गणेश
चतुर्थी का त्यौहार,
सबको मिले जीवन
मे खुशियां अपार!
हम भी चाहें थोड़ा सा स्नेह,
हे गणपति करो
हम पर ये उपकार!!
शिव-शक्ति के पुत्र कहलाते,
सर्वप्रथम पूजे जाते,
मूषक तुम्हारा वाहन होता
सहनशीलता का संदेश है देता!
गजराज बन पूजे जाते,
पर्व ''त्यौहार" में सजाये जाते,
फिर क्यों जंजीरों में जकड़े जाते,
ये कैसी श्रद्धा कैसी पूजा
हम सब भी ये समझ न पाते??
मानव करते क्रूर आघात,
इतनी घृणा और अत्याचार,
तड़पते घुटते,
तिल-तिल मरते,
नित प्रतिदिन होता
हमारा तिरस्कार,
अब तुम ही करो
गणपति हमारा उद्धार!!
अहंकार, द्वेष, घृणा से परे,
एक सुन्दर दुनिया है हमारी,
घोर विपदा हम पर है आई
क्यूँ हमारे अस्तित्व पर बन आई!
अब तुम ही हो हमारे खेवनहार
हे गणपति तुम ही
करो दुःख का निस्तार!!
नही...


















