मैंने प्रेम नही माँगा है
रमाकान्त चौधरी
लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)
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मैंने प्रेम नही माँगा है
केवल पीड़ा माँगी है।
देखो न करके तुम मुझसे
मेरा ये अधिकार न छीनो।
चाहे जिसको खुशियाँ दे दो
चाहे जिस पर प्रेम लुटा दो।
चाहे जिसकी राहों में तुम
अपने सुंदर नयन बिछा दो।
मेरी आँखें शुष्क हो गई
इनमें कोई क्या ठहरेगा,
चाहे जिसकी आँखों में तुम
अपने सारे स्वप्न सजा दो।
मै केवल पीड़ा का आदी
मेरा ये संसार न छीनो।
देखो न करके तुम मुझसे
मेरा ये अधिकार न छीनो।
जिनका हृदय कोमल होता
उनको कब अनुरक्ति मिली है।
दर्द मिला है घाव मिले हैं
उनको सिर्फ विरक्ति मिली है।
मौन साधना नित्य कर्म है
चाहे जितनी पीड़ा हो,
अधर खोल कर कहने की
उनको कब अभिव्यक्ति मिली है।
प्रेम के बदले पीड़ा लेना
मेरा ये व्यापार न छीनो।
देखो न करके तुम मुझसे
मेरा ये अधिकार न छीनो।
क्षणभंगुर न प्रीति मिल...



















