शब्दों का मेला
प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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शब्द-शब्द है चेतना, शब्द-शब्द झंकार।
मिले सृष्टि को जागरण, शब्द रचें आकार।।
शब्द विश्व का रूप है, शब्द बने उजियार।
शब्द उच्च उर्जा लिए, मेटे हर अँधियार।।
शब्द ब्रम्ह हैं, ईश हैं, शब्द सकल ब्रम्हांड।
शब्द रचें अध्याय नित, मानस के सब कांड।।
शब्द तत्व हैं, सार हैं, शब्द सृजन अभिराम।
शब्द सतत गतिशील हैं, सचमुच हैं अविराम।।
शब्द नाद, सुर, ताल हैं, शब्द प्रीति, अनुराग।
शब्द गान, पूजन-भजन, शब्द दाह हैं, आग।।
शब्द नेह हैं, प्यार हैं, शब्द गहन अभिसार।
शब्द युगों तक गूँजते, बनकर के आसार।।
शब्द भाव, अभिव्यक्ति हैं, शब्द नवल आयाम।
सरिता के आवेग हैं, शब्द देवता-धाम।।
शब्द मनुजता, वंदना, शब्द गीत, नवगीत।
शब्द वाक्य के संग में, बन जाते मनमीत।।
शब्द खगों के स्वर बनें, हर अधरों के राग
शब्दों में संवाद है,...