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पद्य

फटा बनियान
कविता

फटा बनियान

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** फटे बनियान का राज बहुत है, पिता के मन का भाव जुडा़ है, छुपा है उसमें कहीं है राज, देखो एक पिता का त्याग। जोड़-जोड़ कर आगे बढ़ता, कंजूसी उस पर है थोपता, छिन-छिन हो जाये जब तक ना आप। बच्चों की हर उमंग तार मै, डॉक्टर इंजीनियर का राज तार मै, परिवार का हर भार तार मै, कई भोझ का भार तार मै, नहीं खरीदता पहने रहता, कोई आए उसे ढक वह लेता, कई दिल के अरमान है तार। सूरज की तपन है सहता, लाज शर्म मेहनत है तार मै, अपनी धुन अपना एक भाव, आगे बढ़ना उसका काम। अपने मन पर कंट्रोल हर वक्त है, नहीं चलेगी किसकी बात, फटी बनियान का बड़ा है राज, फिर भी जीता यथार्थ में आज। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन वि...
भटकाव
कविता

भटकाव

छत्र छाजेड़ “फक्कड़” आनंद विहार (दिल्ली) ******************** जिंदगी में भटकाव ही भटकाव है भटकाव दर भटकाव मेला लगा है भटकावों का मन का भटकाव... तन का भटकाव... मन चंचल है न जाने कहाँ-कहाँ भटकता है.... जब मन भटकता है मनु की सोच भटकती है जब चटकती है अतृप्त महत्वाकांक्षाएं जब खटकती है पर-प्रगति लटकती है लालसायें मटकती मन-मरीचिका सोच को उद्विग्न करती है मन डूबता जाता है आकांक्षाओं के समंदर में समंदर में भांति भांति की क्रोध,मा न, माया, लोभ सरूपी मीन सुनहरी आकर्षित करती मछलियाँ मन डोल कर हो जाता है पथच्युत भटकता स्व-निर्मित जाल में.... तन जब भटकता है उद्वेलित कर काम आवेशित कर तृष्णा भटका देता है मन भी भटकती राहें तन लिप्सा की बदल जाते संदर्भ जब भटकते तन-मन कहाँ बच पाता मन भटकाव से कैसे हो पाये मन स्थित प्रज्ञ कैसे लिख पाये व्यथित मन ...
ग़ज़ल मेरे नाम की
ग़ज़ल

ग़ज़ल मेरे नाम की

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** वज़्न- २२१ २१२१ १२२१ २१२ अरकान- माफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन पहचान ही मेरी है ग़ज़ल मेरे नाम की। बूढ़ा हूॅं मेरी अब नहीं तस्वीर काम की। आए न जो समझ में गजल वो ग़ज़ल नहीं। भाषा सरल हो शेर में अदबी पयाम की।। वह दानियत के सच का ये जब से चढ़ा नशा। चाहत नहीं है अब मुझे साक़ी के जाम की।। मंजिल है क़ब्र मेरी मैं उसके क़रीब हूॅं। तारीफ़ हो रही मेरे फिर भी कलाम की।। मेहनत की खाऍंगे वो जो ईमानदार हैं। मक्कार झूठे खा रहे सारे हराम की।। ख़ामोश हो गए हैं वो कुर्सी पे बैठ कर। आवाज पहले जो थे उठते अवाम की।। बे-ख़ौफ़ हैं दरिंदे ये जिनकी पनाह में। हाथों में उनके आ गई चाबी निज़ाम की।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) भारत शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर...
बस मन से लिखूं
कविता

बस मन से लिखूं

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** सुबह जागते ही आते ख्याल दिनभर कुछ लिखूं सोचकर समझकर लिखकर सचेत सबको करूँ, क्या लिखूं, कैसा लिखूं लिखकर ना कागज में रखूं लिफाफे में बंद कर ना रखूं, मनगढ़त चुभती बातें ना लिखूं मन के उपजे सवालों में, लिखकर विचारों से, जीवन का सार बदल दूँ,।। कभी घर में, कभी बाहर कभी जमीन में, कभी आसमां में, झांकता हूँ, सोचता हूँ, समझता हूं, उत्साहित, उदासीन मन को लगता है मुझे चुप क्यों फिर रहूँ, लिखने की शक्ति भरूँ इनपर भी मन की बातों का मन को स्पर्श करने सा मनभावन विचार क्यों न मन से लिखूं।। देश, समाज, जाति, की बातें मन में कैसे रखूं, मन करता है हर रोज मुसीबतों में भी मुसीबतों से लड़ने की बेधड़क मन की उपजी बातों को कलम से कागज में अविराम एकांत लिखूं।। परिचय :- ललित शर्मा निवासी : खलिहामारी, ड...
श्री गणेश जी की आरती
भजन

श्री गणेश जी की आरती

कमल किशोर नीमा उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** आरती गणपति गौरी सुतम्। सर्व मगंलकारी है गजमुखम्। आरती गणपति… सर्व लोक कल्यानार्थ अवतरितम्। सर्व सिद्ध विनायक विघ्न हरणम्। आरती गणपति… सर्व देव वरद, हो प्रथम पुजितम्। सर्व दिव्य कलाओं मे हो परिपूर्णम् आरती गणपति… सर्व शक्ति स्वरूप है सिद्धेश्वरम्। सर्व माया अधिपति विश्वेश्वरम्। आरती गणपति… सर्व बाधा हरे गणेश आयुधम्। सर्व मूषक, पाश, भुजंग, अंकुशम्। आरती गणपति… सर्व मधुर, मनोरम ये छबी अनुपम। सर्व देवों मे देव ,तुम आशुतोषम्। आरती गणपति… सर्व दुर्दिन, दुविधा, दुःख हरणम्। गण नायक, गजानन, गज कर्णम्। आरती गणपति... सर्व विद्यावन, गुणी, अति चतुरम्। सर्व आनन्द दायक है चतुर भुजम्। आरती गणपति… सर्व काज सँवारे शशीवरनम्। आए जो गजानन की शरणम्। परिचय :- कमल किशोर नीमा पिता : मोतीलाल जी नीमा जन्म दिना...
नील गगन में विजयी तिरंगा
कविता

नील गगन में विजयी तिरंगा

संजय कुमार नेमा भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** नील गगन में विजयी तिरंगा, उन्मुक्त लहराता रहे। वसुंधरा पर हो रहे शत्रु प्रबल। मां भारती तुम्हें पुकारती, बढ़े चलो अपने लहू से, विजय तिलक करे चलो। कहती मां भारती बिना डरे, गोलियों से उतार दो इनकी आरती। भारत माता की जयकार करो, शत्रु सिरों का संहार करो। तिरंगे का परचम फहरायेजा। शूरवीर गुरु गोविंद,वीर शिवाजी राजपुताना की लाज बढ़ायेजा। हाथों में तिरंगा शान से लहरायेजा। नील गगन में विजयी तिरंगा, विश्व गुरु बनकर उन्मुक्त फहराता रहे। मेरे वतन के सीने पर हमेशा, तिरंगा लहराता रहे। जन्मों तक वतन हो हिंदुस्तान, हाथों में तिरंगा शान से लहराता रहे। जय हिंद जय मां भारती।। भारत माता की जय, वंदे मातरम। परिचय :- संजय कुमार नेमा निवासी : भोपाल (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार ...
कर्म से किस्मत
कविता

कर्म से किस्मत

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** जंग अपनी थी जंग लड़े हम लड़ के खुद सम्हल गए हम..!! दर्द था दिल में जताया नहीं अश्क आँखों से बहाया नहीं..!! राहें अपनी खुद गड़कर हम बाधाओं से खुद लड़कर हम..!! लक्ष्य मार्ग पर बढ़कर हम सफल हुए मेहनत कर हम..!! किस्मत पर भरोसा किए नहीं कर्म से किस्मत लिखें हम..!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, ...
श्रीकृष्णावतार
दोहा

श्रीकृष्णावतार

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** कृष्ण जन्मदिन मांगलिक, एक सुखद उपहार। बिखरा सारे विश्व में, गहन सत्य का सार।। कृष्ण जन्म दिन दे खुशी, सौंपे हमको धर्म। देवपुरुष सिखला गए, करना सबको कर्म।। कृष्ण जन्मदिन रच रहा, गोकुल में उल्लास। जिसने सबको सीख दी, रखना हर पल आस।। कृष्ण जन्मदिन सत्य का, बना एक उद्घोष। कंस हनन कर हर लिया, कान्हा ने सब दोष।। कृष्ण जन्मदिन कह रहा, चलो सत्य की राह। नहीं धर्मच्युत हो कभी, तभी बनोगे शाह।। कृष्ण जन्मदिन मति रचे, देता व्यापक न्याय। है दुष्टों पर वार जो, रचे नवल अध्याय।। कृष्ण जन्मदिन पूज्य है, वंदन का है पाठ। बालरूप में चेतना, निश्छल मन का ठाठ।। कृष्ण जन्मदिन रच रहा, राधाजी से नेह। अंतर का आवेग बस, दूर सदा ही देह।। कृष्ण जन्मदिन सदफलित, गीता का नव सार। उजियारे की वंदना, अँधियारे की हार।। कृष्ण ...
तानाशाह के पास
कविता

तानाशाह के पास

शिवदत्त डोंगरे पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************* अपने वफ़ादार वर्दीधारी सैनिक थे, अपने चुने हुए जन-प्रतिनिधि थे, अपने अमले-चाकर थे, अफ़सर-मुलाज़िम-कारकुन थे, अपनी न्यायपालिका थी, अपने शिक्षा-संस्थान थे जहाँ टैंक खड़े रहते थे और तानाशाही तले जीने की शिक्षा दी जाती थी। पर तानाशाह की सबसे बड़ी ताक़त हिंसक भेड़ियों के झुण्ड जैसी वह भीड़ थी जो तानाशाह के लोगों ने बड़ी मेहनत से तैयार की थी। इसमें समाज के अँधेरे तलछट के लोग थे और सीलन भरे उजाले के पीले-बीमार चेहरों वाले लोग थे और जड़ों से उखड़े हुए सूखे-मुरझाये हुए लोग थे। यह भीड़ तानाशाह के इशारे पर किसीको बोटी-बोटी चबा सकती थी, सड़कों पर उन्माद का उत्पात मचा सकती थी, बस्तियों को खून का दलदल बना सकती थी। सम्मोहित-सी वह भीड़ हमेशा तानाशाह के पीछे चलती थी और तानाशाह के इशारे का इंतज़ार करती थी। त...
श्याम पधारो
गीत

श्याम पधारो

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** रक्षक बनकर श्याम पधारो, ले लो फिर अवतार। पावन भारत की धरती पर, अब जन्मो करतार।। घोर निराशा मन में छाई, मानव है कमजोर। काम क्रोध मद मोह हृदय में, थामो जीवन डोर।। शरण तुम्हारी कान्हा आए, तिमिर बढ़ा घनघोर। अब भी चीर दुशासन हरते, दुष्टों का है जोर।। सतपथ में बाधक बनते हैं, बढ़ते अत्याचार। गीता का भी पाठ पढ़ा दो, व्याकुल होते लाल। नैतिकता की दे दो शिक्षा, बन कर सबकी ढाल।। आनंदित इस जग को कर दो, चमकें सबके भाल। धर्म सनातन हो आभूषण, बदले टेढ़ी चाल।। राग छोड़कर पश्चिम का हम, रखें पूर्व संस्कार। त्याग समर्पण पाथ चलें नित, हमको दो वरदान। शील सादगी को अपनाकर, नित्य करें उत्थान। सत्य निष्ठ गंम्भीर बनें हम, दे दो जीवन दान। जीवन सार्थक कर लें अपना, कृपा करो भगवान।। मर्यादा के रक्षक प्रभु तुम, ...
दर्पण फूट गए
गीतिका

दर्पण फूट गए

भीमराव झरबड़े 'जीवन' बैतूल (मध्य प्रदेश) ******************** तृषित घटों के नवाचार ही, पनघट लूट गए। कैसे हाथ मिलाएँ तट जब, पुल ही टूट गए।। कंकड़-पत्थर की दुनिया से, रूठी जलधारा। इस नभ के सूरज ने दे दी, सपनों को कारा।। आँखों से झरते फूलों पर, चल के बूट गए। कैसे हाथ मिलाएँ तट जब, पुल ही टूट गए।। गाजर घास उगाए उर के, उर्वर उपवन में। स्वार्थ छिपे जा सिर की काली, टोपी अचकन में।। तनी हुई लाठी से डर के, दर्पण फूट गए। कैसे हाथ मिलाएँ तट जब, पुल ही टूट गए।। जोत दिए कांवड़ में कंधे, पुण्य कमाने को। लगे हुए हैं हाथ स्वर्ग की, डगर सजाने को।। मंच माॅबलिंचिंग के, सच को, घर में कूट गए। कैसे हाथ मिलाएँ तट जब, पुल ही टूट गए।। अश्वमेघ को घूम रहे हैं , सत्ता के घोड़े। मार दुलत्ती हटा रहे हैं, पथ के सब रोड़े।। चौखाने पर विषधर ही सब, हो रिक्रूट गए। कैसे हाथ मिलाएँ तट जब, पुल...
पे बैक
कविता

पे बैक

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** जरा बता देना मेरे शूरवीरों जिनसे खुलकर लिए हो, उन्हें कब-कब, क्या-क्या और कितना वापस किये हो, लिया हुआ तो वापस करना पड़ता है, बहुतों ने किया है और बहुत कर रहे हैं, जिससे समाज संवर और सुधर रहे हैं, जिस समाज से आते हो, जिस समाज का खाते हो, भई बताओ उन्हें कैसे भूल जाते हो, भूलने की यह बीमारी समाज को गड्ढे में धकेल सकता है, हमारा विरोधी साम- दाम-दंड-भेद अपना बड़ी आसानी से हमें नकेल सकता है, ये मत भूलो हमारे महापुरुषों ने,साहब ने, हमारे लिए कितने कष्ट उठाए थे, प्रतिबंधों के लावों से अधिकार निकाल लाए थे, क्या हाथ बढ़ाकर किसी का हाथ नहीं खींच सकते, जागने, जगाने के लिए आंख नहीं मींच सकते, यदि खुद को बड़ा व बढ़ा समझते हो तो बड़ा दिल भी दिखाओ, कुछ जरूरतमंदों के लिए पे बैक कर जाओ। ...
स्वतंत्रता दिवस मनायेंगे
कविता

स्वतंत्रता दिवस मनायेंगे

हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** आज हम स्वतंत्रता दिवस मनायेंगे, गर्व से लालकिला में तिरंगा फहरायेंगे। आजादी के लिए जिन्होंने बलिदान दिये हैं, उन वीरों के जय -जयकार हम लगायेंगे। हम भारत माँ की संतानें देश का मान बढ़ायेंगे, मातृभूमि की रक्षा खातिर अपना शीश भी कटायेंगे। सरहद ही ओर आँख उठाकर देखे जो दुश्मन, सीमा के उस पार ही मार उसे गिरायेंगे। ये धरती है मर-मिटने वाले बलिदानों की, आने वाले पीढ़ी को याद हम दिलायेंगे। कभी सोने की चिड़िया कही जाती थी, देश की गौरवशाली इतिहास भी बतायेंगे। देश के वीरों और वीरांगनाओं को नमन करेंगे, नतमस्तक होकर श्रद्धा-सुमन अर्पण करेंगे। शहीदों के सम्मान में आरती सजायेंगे, आज हम स्वतंत्रता दिवस मनायेंगे। परिचय :-  हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' निवासी : डंगनिया, जिला : सारंगढ़ - बिलाईगढ़ (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र :...
समय का फेरा
कविता

समय का फेरा

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** किसी ने कहाँ अच्छा हूँ मै, किसी ने कहा बुरा हूँ मै, अच्छा बुरा कोई नही होता? बस समय का बदलाव है रहता। अच्छे मै सब अच्छा लगता, बुरे मे सब बुरा दिखता, सोच-सोच का फर्क है मन मै, यही समय का फेरा रहता। बुरा वक्त है मौन हो जाओ, अच्छे मै आगे बढ़ जाओ, नही तो समय को चूक जाओगे। यही शतरंज की चाल है भय्या। बिखर गयी है गोटी सारी, राजा, वजीर, घोडा़ और हाथी, जाओगे तब सिमट जायेगी, एक डिब्बे मै बन्द सब भाई। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जबलपुर से सम्मानित २. अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन से सम्मानित ३. राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौ...
आभा
कविता

आभा

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** शान की सिन्दुरी आभा मे तरू परछाई दैत्य सी लगती है खपरेलो से निकलता धुंआ तुफानी आभास देता है। क्षितिज से मिलती सिन्दुरी आभा को निलाम्बर ताकता रह जाता है सोचता है यह मिलन क्षणिक है फिर तो मैं अपने स्थान पर ठीक हूँ। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं आप राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा "हिंदी रक्षक राष्ट्रीय सम्मान २०२३" से सम्मानित हैं। घोषणा पत्र : मैं यह प्...
मेरे माधव
कविता

मेरे माधव

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** माधव तेरे शहर के लोग अक्सर मोहब्बत का नाम लेकर डसते हैं। माधव तेरे शहर के लोग नाम तो तेरा लेते है पर तुम जैसी प्रेम प्रीति न करते हैं। माधव तेरे शहर के लोग कान्हा-कान्हा तो करते हैं मगर तुम जैसा रण में साथ न देते हैं। माधव तेरे शहर के लोग प्रेम तो बहुत करते हैं मगर तुम जैसे निभाने से डरते हैं। माधव तेरे शहर के लोग सत्यता का गुणगान तो करते है मगर तुम जैसे सत्य के लिए लड़ने से डरते हैं। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख...
ये कैसी आजादी है
कविता

ये कैसी आजादी है

छत्र छाजेड़ “फक्कड़” आनंद विहार (दिल्ली) ******************** ये कैसी आजादी है भूखा पेट, नंगा बदन मन-घाव सारे मवादी है ये कैसी आजादी है गांधी ने कब सोचा था देश जलेगा पेट की आग में जात-धर्म नाम पर लड़ेंगे क्या यही लिखा था भाग में रहे भूखा या फिर नंगे बदन करने काम जेहादी है ये कैसी आजादी है कलमकार लिखते सच्चाई पर उस से क्या पेट भरेगा जिनके सपनों में सत्ता हो जनता हेतु वो क्या करेगा मुफलिसी से जुझते जन को हालात बनाते फसादी है ये कैसी आजादी है बहुत काम हुआ अमृत काल में सब छिपा कागदों मे, दिखे कहाँ जनता पाती है दस बीस पैसा बाकी जाने जाता है कहाँ बँदर बाँट हो जाती है ऊपर जनता तो फरयादी है ये कैसी आजादी है उद्योग लगे, पुल-बाँध बने फैला सीमेंट कंक्रीट का जंगल अमीर,अमीर और गरीब,गरीब ठेकेदारों का हुआ बस मंगल जड़ें गहराई बस भ्रष्टाचार की बजट की...
भारत माता का वंदन
गीत

भारत माता का वंदन

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** अंधकार में हम साहस के, दीप जलाते हैं। आज़ादी के मधुर तराने, नित हम गाते हैं।। चंद्रगुप्त की धरती है यह, वीर शिवा की आन है। राणाओं की शौर्य धरा यह, पोरस का सम्मान है।। वतनपरस्ती तो गहना है, हृदय सजाते हैं। आज़ादी के मधुर तराने, नित हम गाते हैं।। अपना सब कुछ दाँव लगाकर, जिनने वतन बनाया। अपने हाथों से अपना ही, जिनने कफ़न सजाया।। भारत माता की महिमा की, बात सुनाते हैं। आज़ादी के मधुर तराने, नित हम गाते हैं।। आगे बढकर, निर्भय होकर, जिनने फर्ज़ निभाया। वतनपरस्ती का तो जज़्बा, जिनने भीतर पाया।। हँस-हँसकर जो फाँसी झूले, वे नित भाते हैं। आज़ादी के मधुर तराने, नित हम गाते हैं।। सिसक रही थी माता जिस क्षण, तब जो आगे आए। राजगुरू, सुखदेव, भगतसिंह, बिस्मिल जो कहलाए।। ब्रिटिश हुक़ूमत से टकराकर, प्राण गँवाते हैं। ...
बीर सपूत रइ हंव न
कविता

बीर सपूत रइ हंव न

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी कविता) मैं तो देस के बीर सपूत रइ हंव न, दाई के पूत हंव पूत रइ हंव न, कचरा हम उठाथन रे संगी भुइयां ल सफा बनाथन, कचरा बगराने वाला मन के मुंह ले कचरा वाला कहाथन, हमर पीरा ल नइ समझय कोनो कुहरतसे पीरा म कमाथन, का घाम अउ का पियास रे संगी दिन भर सेवा ल बजाथन, बड़े स्कुल म पढ़े बर हम तो लइका ल बस सपना देखाथन, दु ठो मीठ गोठ कहिके अपन लइका ल धीरज धराथन, मान झिन मान हीरा बेटा कस सबूत रइ हंव न, मैं तो देस के बीर सबूत रइ हंव न, हमर करे बिना साग नइ उपजय, हमर मेहनत बिना धान, काबर हमला देखे नइ सकच आनी बानी बोलियाथस, हमरे लहू पसीना के कमाई खाथस हमी ल आंखी देखाथस, तोर गरभ ल तोरे जगा रखबे अब नइ रहिस तइहा जमाना, मुठा भर तैं हावस इहां घेरी बेरी झन खोभियाना, जवाब देहे ल सीख गय हन हमु बनके नहीं बुत र...
शहीदों की कुर्बानी
कविता

शहीदों की कुर्बानी

हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** आजादी का ये पल शहीदों की मेहरबानी है, शीश कटाने वाले देशभक्तों की कुर्बानी है। सदियों तक अमर रहेगी स्वतंत्रता की ये कहानी है , तिरंगे की लाल रंग बलिदान की अमर निशानी है। स्वतंत्रता के लिए वीरों का वर्षों तक संघर्ष हुआ, तब जाकर देश में आजादी का सूर्योदय हुआ। आजादी के खातिर कितनों ने दी अपनी कुर्बानी है, मातृभूमि के खातिर जिन्होंने दी अपनी जवानी है। आजादी की एक-एक सांस की कीमत चुकायी है, मातृभूमि के वीर सपूतों ने मौत को गले लगायी है। उनके कर्जों को जीवन भर चुकाया नहीं जायेगा, उनके एहसानों को कभी भुलाया नहीं जायेगा। लालकिला पर जब-जब तिरंगा लहरायेगी, तब-तब उन वीर शहीदों की याद आयेगी। परिचय :-  हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य' निवासी : डंगनिया, जिला : सारंगढ़ - बिलाईगढ़ (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं...
सपनों का घर
गीतिका

सपनों का घर

भीमराव झरबड़े 'जीवन' बैतूल (मध्य प्रदेश) ******************** क्यों रहना है पीछे मैं भी, चलूँ अगाड़ी में। बना रहा है सपनों का घर, चिन्टू बाड़ी में।। पाँच दशक जीवन के फूँके, छप्पर-छानी में। टूटे काँधे, दुख ढो बदली, देह कमानी में।। जाग रही पर मृग मरीचिका, उभरी नाड़ी में।। बी पी यल का लाभ उठाने, चूल्हा अलग जला। रेत-सरीखा रिश्तों के, आँखों में रोज सला।। बेयरिंग-सा फँस के है खुश, जीवन-गाड़ी में।। चार माह तक रोज सचिव के, पूजे गए चरण। पाँच हजारी पूजा पाकर, पास हुआ प्रकरण।। घुला रेत, सीमेंट साथ ही, स्वयं तगाड़ी में।। किस्तों की आवाजाही में, उभरे अवरोधक। घात लगाकर बैठे जल में, आखेटक से बक।। प्राण-पखेरू ले डूबी पर, रिश्वत खाड़ी में।। परिचय :- भीमराव झरबड़े 'जीवन' निवासी : बैतूल मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
गांव से ग्लोबल तक
कविता

गांव से ग्लोबल तक

अभिषेक मिश्रा चकिया, बलिया (उत्तरप्रदेश) ******************** धान की खुशबू, मिट्टी की सौंधी, पगडंडी का मीठा गान, बरगद, पीपल, नीम की छाया, झोंपड़ियों में सपनों का मान। बैलगाड़ी की धीमी चाल में, कच्चे आँगन का था सिंगार, हाट-बाज़ार की चहल-पहल में, गूँजते थे लोक-पुकार। पर आई जब गुलामी की आँधी, सूख गए खेतों के गुलाल, माँ के आँचल में लहराते सपने, टूट गए जैसे मिट्टी के लाल। लाठी, गोली, कोड़े, जंजीरें, रोटी आधी, भूख का गाँव, फिर भी भारत–माँ के बेटों ने, प्राण दिए, पर न झुकाया नाम। चंपारण में उठी जो आंधी, नमक सत्याग्रह ज्वाला बनी, भगत, सुखदेव, आज़ाद की कुर्बानी, जन-जन की मिसाल बनी। सुभाष के नाद गगन में गूँजे, "तुम मुझे ख़ून दो" का गीत, वीर जवानों के रक्त से फिर, लाल हुआ भारत का मीत। १५ अगस्त की भोर आई जब, सूरज ने सोने रंग बिखेरा, स्वतंत्र ध्वज नभ में लहराया,...
नशे की लत
कविता

नशे की लत

निकिता तिवारी हलद्वानी (उत्तराखंड) ******************** क्यों में सबसे दूर हो रही हूँ ना चाहते हुए भी फोन पकड़ रही हु क्या खूबियाँ है इंस मोबाइल में जो मैं खिची चली जा रही हु इसे देखकर समय बरबाद कर रही हूँ मन भी नहीं भरता जो छोडू साथ पागलपन छाया इतना सुन ना पाऊ किसी की बात क्यों इतनी लत पड़ गई मुझे इस नशे के बीन जीना हुआ हराम ... परिचय :-  निकिता तिवारी निवासी : जयपुर बीसा, मोटाहल्दू, हलद्वानी (उत्तराखंड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, ...
मातरम्
कविता

मातरम्

सूर्यपाल नामदेव "चंचल" जयपुर (राजस्थान) ******************** शिवालयों से शंखनाद हुआ है गुरुवाणी गुरुद्वारे से। कानों ने अजान सुनी फिर गूंज उठा हर चौबारे से।। मातरम्, मातरम्, वंदे मातरम्, वंदे मातरम्।। तोड़ पुरानी जंजीरों को आज नया इतिहास लिखें, गर्म लहू की धाराओं से राष्ट्रभूमि का श्रृंगार करें। मिट्टी से उपजे मिट्टी को ही बलिहार करें, देश की खातिर मिट जाने का कर ले तू आचरण।। मातरम् मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम्।। ये मिट्टी है बलिदान की किसान और जवान की, तन को आज रंगा कर इसमें सर ऊंचा अभिमान करें। मिट्टी के कण कण से उठते देशप्रेम का गुणगान करें, बच्चा बच्चा देशभक्ति का ओढ़े अब आवरण।। मातरम् मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम्।। मिट्टी में ममता मां की इंसान खेलता गोद में इसकी, मल मल के रज कण जिस्म से मिल शत्रु से संग्राम करें। मैं सपूत मैं रखवाला झुका शीश मिट्टी को प्रणा...
शिव की उपासना
स्तुति

शिव की उपासना

अनन्तराम चौबे "अनन्त" जबलपुर (म.प्र.) ******************** शिव उपासना करूं वंदना शिव की भक्ति है आराधना। शिव शंकर भोले भंडारी से मन से करूं हमेशा प्रार्थना। शिव की भक्तिं करूं वंदना मां पार्वती हैं दुर्गा शक्ति। शिव पार्वती दोनों की है पूरे ब्रह्मांड की अद्भुत शक्ति। शिव शंकर भोले भंडारी लीला सबसे उनकी न्यारी। जगत पिता सारे जगत के महिमा भी उनकी न्यारी है। सिर की जटाओं में चंद्र विराजे गले में काले नाग की माला। शरीर में भस्म लपेटे रहते पहनते हैं बस वो मृगछाला। हाथ में त्रिशूल लटकता डमरू रूद्राक्ष की साथ में माला। बंद नेत्र तीसरा माथे पर हैं। जय जय जय शंकर भोला। पार्वती संग कैलाश विराजे शिव शंकर भोले भंडारी। शिव वंदना करूं मैं उनकी नंदी भोले जी की सवारी। कार्तिक और गणेश पुत्र हैं पुत्री उनकी अशोक सुन्दरी है। शिव और पार्वती की लीला सारे जगत से...