शहीदों की कुर्बानी
हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य'
डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़)
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आजादी का ये पल
शहीदों की मेहरबानी है,
शीश कटाने वाले
देशभक्तों की कुर्बानी है।
सदियों तक अमर रहेगी
स्वतंत्रता की ये कहानी है ,
तिरंगे की लाल रंग
बलिदान की अमर निशानी है।
स्वतंत्रता के लिए
वीरों का वर्षों तक संघर्ष हुआ,
तब जाकर देश में
आजादी का सूर्योदय हुआ।
आजादी के खातिर
कितनों ने दी अपनी कुर्बानी है,
मातृभूमि के खातिर
जिन्होंने दी अपनी जवानी है।
आजादी की एक-एक
सांस की कीमत चुकायी है,
मातृभूमि के वीर सपूतों
ने मौत को गले लगायी है।
उनके कर्जों को जीवन
भर चुकाया नहीं जायेगा,
उनके एहसानों को
कभी भुलाया नहीं जायेगा।
लालकिला पर जब-जब
तिरंगा लहरायेगी,
तब-तब उन वीर
शहीदों की याद आयेगी।
परिचय :- हितेश्वर बर्मन 'चैतन्य'
निवासी : डंगनिया, जिला : सारंगढ़ - बिलाईगढ़ (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं...



















