जीवन के आश्रम चार
डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)
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पचीस-पचीस वर्षों में बांटा
अपने ऋषि मुनियों ने जीवन को
प्रथम नाम है ब्रह्मचर्य आश्रम
पूर्णरूप से शिक्षित होने को।
गृहस्थ आश्रम नवसृजन कर
सृष्टि के कर्तव्य निभाने को,
नवजीवन का पालन कर
संस्कार दे, शिक्षित करने को।
तृतीय वानप्रस्थ आश्रम में
गृहस्थ जीवन के दायित्व
निभाकर,शनै:शनै:
जीवन की आकांक्षाओं से
मोहभंग-दशा में जाने को।
संन्यासआश्रम चतुर्थ स्थिति है
मान, अपमान, लोभ, क्रोध
की हर सीमा को कर पार
इच्छाओं से मुक्ति, त्याग, विरक्ति
मन में ईश भक्ति
अंतिम यात्रा पूरी करने को।
परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट को...