तारीख पे तारीख
गणेश रामदास निकम
चालीसगांव (महाराष्ट्र)
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तारीख पे तारीख
बढ़ती जाएगी मगर
होगा नहीं फैसला
कुछ भी करके तुझे
छोड़ना नहीं अब अपना घोंसला।
घोसले से तू बाहर ना निकले
यही तेरी समझदारी है
मरने से तो अच्छा
कैद होना
यह अब हम
सबकी जिम्मेदारी है।
बाहर यदि अगर
तू पड़ गया
समझो फिर तारीख
का यह फैसला
कर्मों से ही अपने बढ़ गया।
चुपचाप घर में बैठ जा
तू अब किसी कोने में
जिंदगी का मजा उठा
अब पड़े पड़े तू सोने में।
हाथ से मत जाने दे
अब यह १७ मई का मौका
बाहर निकलेगा तू तो फिर
बढ़ जाएगा ये धोखा।
परिचय :- गणेश रामदास निकम
निवासी : चालीसगांव (महाराष्ट्र)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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