सरस्वती वंदना
डॉ. पंकजवासिनी
पटना (बिहार)
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जय शारदे माँ!
जय शारदे माँ!
अज्ञानता से हमें
तार दे माँ!!
बढ़ रहा तिमिर
घनघोर चहुँओर!
अँधियारे जग का
नहीं ओर छोर!!
सब ओर दिव्य
प्रकाश भर दे माँ!!!
जय शारदे माँ!
जय शारदे माँ!
अज्ञानता से हमें
तार दे माँ!!
हृदय में भरा है
घना अँधेरा!
स्वार्थ वैमनस्य
डाले है डेरा!!
हृदय में निर्मल
प्रेम का सर दे माँ!!!
जय शारदे माँ!
जय शारदे माँ!
अज्ञानता से हमें
तार दे माँ!!
असहिष्णुता से हुई
हवा जहरीली!
अविश्वास का दुनिया
विष पी ली!!
मन का कलुष सब
तू हर ले माँ!!!
जय शारदे माँ!
जय शारदे माँ!
अज्ञानता से हमें
तार दे माँ!!
निज दुख से दुनिया
है अकुलाई!
यहाँ समझे न
कोई पीर पराई!!
परदुखकातरता
का निर्झर दे माँ!!!
जय शारदे माँ!
जय शारदे माँ!
अज्ञानता से हमें
तार दे माँ!!
तू ही है शक्ति!
तू ही है भक्ति!!
तू ही एक सहारा..
दग्ध हृदय ने
तुझको पुकारा.
एक बार स्न...