मौन
प्रीति शर्मा "असीम"
सोलन हिमाचल प्रदेश
********************
मौन तो,
केवल मन से है।
जीवन की आपाधापी में,
कलह,
क्यों........?
मन-मन है।
मौन तो,
केवल मन से है।
कौन जीत गया।
कौन हार गया।
एक लड़ रहा।
एक तैयार खड़ा।
यह सारी,
क्या........?
भागमभागी है।
जो चुप न रहा।
जो कहता ही रहा।
यह शब्द भी,
बहुत खुराफाती है।
जो समझ गया।
और मौन रहा।।
मन को मथ,
ज्ञान रत्न वो ढूंढ लिया।
शोर-शोर में सब गया।
मन को तो, कुछ न मिला।
जीवन मंथन,
जब-जब किया।
मौन को, मन में जब धरा।
लेश यहीं ही वाकि है।
शेष यहीं ही वाकि है।।
मौन तो,
केवल मन से है।
मौन तो केवल मन से है।।
परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम"
निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्...