हनुमत-वंदना
प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
********************
संकटमोचन देव हैं, कहते हम हनुमान।
असुर मारते, धर्म हित, जय हो दयानिधान।।
सदा राममय ही रहें, पावन हैं हनुमान।
जो उनके चरणों पड़े, उसकी रखते आन।।
रुद्र अंश धारण किया, राम हितैषी तात।
जय-जय हो हनुमान जी, देव सदा सौगात।।
भूत-पिशाचों पर कहर, हर संकट पर मार।
जहाँ रहें हनुमानजी, वहाँ पले उजियार।।
वायु पुत्र शत्-शत् नमन्, विनती बारम्बार।
करना मुझ पर तुम दया, करो मुझे भव पार।।
लाल अंजना तुम सदा, रखना सिर पर हाथ।
कैसी भी विपदा पड़े, नहीं छोड़ना साथ।।
हनुमत तुम बलधाम हो, पावन और महान।
सारा जग तुम पर करे, हे भगवन् अभिमान।।
राम काज करके बने, रामदुलारे आप।
वेग, शौर्य, प्रतिभा, समझ, कौन सकेगा माप।।
कलियुग के तुम आसरे, परमबली वरदान।
ला दो इस युग में सुखद, फिर से नया विहान।।
"शरद" करे विनती सतत्, वंदन ...



















