अन्नदाता
सीताराम सिंह रावत
अजमेर (राजस्थान)
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तपते सूरज में
पसीने से नहाता
किसान दुनिया
का अन्नदाता
भीख मांग कर
क्यों बीज लाता?
क्यों फांसी पर
लटक जाता ?
क्यों अन्नदाता को दो
वक्त का अन्न नहीं मिलता
क्यों इतनी जी तोड़ मेहनत
के बाद चेहरा नहीं खिलता
आखिर क्यों किसान का
चेहरा एक सवाल होता
उचित दाम के
न मिलने पर रोता
क्यों किसान के सपने
को मार दिया जाता
इसलिये कि वो एक
अन्नदाता है।
इसलिये कि वो आपको
सवाल नहीं पूछता
या किसान का कोई
मूल्य नहीं होता।
परिचय :- सीताराम सिंह रावत
निवासी : अजमेर (राजस्थान)
घोषणा पत्र : यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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