बदली है ऋतु आज
प्रवीण त्रिपाठी
नोएडा
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बदली है ऋतु आज, छेड़ती नवीन साज,
बासंती हर मिजाज, दिखे हर ओर है।
पीला नीला हरा लाल, हर दिशा में धमाल,
प्रकृति करे कमाल, बहुरंगी जोर है।
कोयल की मीठी तान, गातें हैं भृमर गान,
धरती की बढ़ी शान, मानस विभोर है।
पल्लव पे शीत ओस, तपन है डोर कोस
खुशियाँ देती परोस,प्यारी हर भोर है।
होली पर्व आ रहा है, खुमार सा छा रहा है।
मौसम भी भा रहा है, डूब जायें रंग में।
प्रसून रंग-रंग के, पल्लव नव ढंग के,
दृश्य हैं बहुरंग के, झूमिये तरंग में।
कबीरा फाग गा रहे, रंग मन को भा रहे,
ठंडाई भी चढ़ा रहे, आता मजा भंग में।
ढोलक धमक रही, झाँझर झनक रही,
बुद्धि भी बहक रही, खुशी हुड़दंग में।
संग होलिका दहन, मैल मन का दहन,
कुरीतियों का दहन, यह शपथ लें सभी।
आपस में न द्वेष हो, दूर सबके क्लेष हों,
यत्न अब विशेष हों, दुविधा तज दें सभी।
नहीं तनातनी रहे, मित्रता भी बनी रहे,
प्रीति नित...