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पद्य

प्रेम की भाषा
कविता

प्रेम की भाषा

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** प्रेम ना हिंदी ना अंग्रेजी होता है। सच तो यह है........? प्रेम हर भाषा से, ऊपर होता है। प्रेम शब्दों का कहां, मोहताज होता है। यह तो, जज्बों से बयां होता है। यह अहसास, बहुत खास होता है। यह तो, हर रूह का प्राण होता है। प्रेम ना हिंदी ना अंग्रेजी होता है। लेकिन यह और बात है। हर किसी के हिस्से में, यह कहां होता है। यह अनंत तक, जाने की राह होता है। जिंदगी खूबसूरत हो जाती है। जब किसी से, किसी को प्यार होता है। प्यार की दुनिया में, नफरतों के लिए, फिर कहां कोई स्थान होता है। प्रेम ना हिंदी, अंग्रेजी होता है। यह भाषा का, नही भावों का भव्य भाव होता है। जो दिल प्रेम से भरा होता है। क्या ..... बांटोगे तुम सरहदों, भाषाओं, और इंसानों के नाम पर। यह तो, धरती से आसमां तक बेशुमार होता है। प्रेम ना हिंदी ना अंग्रेजी यह हर भाषा से ऊ...
बसंती मोसम
कविता

बसंती मोसम

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** आ गया बसंती मोसम सुहाना, गा रहा मन तराना। मिली राहत जिंन्दगी को, चेन दिल को आ गया, प्यार की अमराहयों से, गीत याद आ गया, आज अपने रंज गम को, चाहता हैं गम भुलाना, आ गया बसंती मोसम सुहाना। बाग की हर शाक गाती, झूमती कलियाँ दिवानी, पात पीले मुस्कुराते, मिली जैसे है जवानी, हर तरफ ही लुट रहा है, आज खुशियों का खजाना, आ गया बसंती मोसम सुहाना। सब मगन मन गा रहें है, आ गई ऐसी बहारें, प्राण बुन्दी मुक्त मन, दिलों की टूटी दिवारें, बहुत दिन के बाद उनका, आज आया है बुलावा, आ गया बसंती मोसम सुहाना। . . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा...
नारी तुम हो देवी शक्ति
कविता

नारी तुम हो देवी शक्ति

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** नारी तुम हो देवी शक्ति जो तेरा करता अपमान मानव नही है दानव है वो दैत्य के रूप मे करता काम कितनी निर्भया मलिन हुई कितनी प्रियंका का अन्त हुआ देश की व्यवस्था बड़ी बुरी है ये भी तो राजनीति से जुड़ी है आँखोदेखी पर ना करते विश्वास चाहे पड़ी हो किसी निर्भया की लाश इस दुष्कर्म का सबूत माँगते जबकि सच्चाई वो सम्पुर्ण जानते थाने कोर्ट और पुलिस वाले राजनीति की रोती सेंकने वाले एक को तो नपुंसक बना कर देखो सरे आम फाँसी पर लटका कर देखो ऐसा भी होगा एक दिन है सम्पुर्ण विश्वास मुझे पड़ी रहेगी अबला कोई जिस रोज अपनी बांहे समेटी संविधान बदल जाएगा उस दिन इन्साफ तुरंत मिल जाएगा उस दिन फर्क यही होगा कि होगी वो किसी नेता की बेटी नारी तुम हो देवी शक्ति नारी तुम हो देवी शक्ति . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हि...
अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है
कविता

अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है। अभी तो घूमना पूरा जहान बाकी है।। अभी तो शुरूआत हुई है ज़मीन से, अभी देखना पूरा असामान बाकी है।। इंसान गिरता है उठता है और फिर गिरता है, मिलता नही साथ तो वो मारा मारा फिरता है। गर साथ हो आपका तो देखना है दुनिया मुझे, कुछ ख्वाहिशें और कुछ अरमान बाकी है।। अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है। दुनिया की परख सिखाने वाला चाहिए, जिंदगीभर का साथ निभाने वाले चाहिए। जीत लूंगा वो जो दिल मे ठान रखा है मैंने, बहुत बारीकियों से करना पहचान बाकी है।। अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है। कुछ मिले है कुछ और भी आगे मिलेंगे रास्ते, हमने तो किया... कोई तो करेगा हमारे वास्ते। बनाने में लगा हूँ मैं लोगो का आशियाना, और खुदका यहां बनना मकान बाकी है।। अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है। . परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर...
तिरंगा देश की शान
कविता

तिरंगा देश की शान

गुलाबचंद पटेल अहमदाबाद (गुज.) ******************** हिन्दू मुसलमान, सिख हमारा है भाई प्यारा ये हे झंडा आजादी का, इसे सलाम हमारा तिरंगा भारत की शान है, ये हे तो देश जान जहान है फहराने लगेगा तिरंगा अब लद्दाख में गूंज उठेगी शहनाई जम्मू कश्मीर में तिरंगा मे तीन रंग है भारतीयों के गौरव का जंग है रंग सफेद, हरा और केसरी है बीच में अशोक चक्र प्रतीक है फहराया तिरंगा १५ अगस्त १९४७ आजादी मिली हे भारत को १९४७ तिरंगा फहराने लगा क्षितिज आकाश तीन रंगों मे लगता है जेसे इंद्र धनुष तिरंगा देश की पहचान है संस्कृति का वो सुन्दर प्रतीक है नहीं झुकेगा नहीं झुकेगा निशान मेरे देश भारत का विजयी विश्व है झंडा हमारा झंडा ऊँचा रहे हमारा कवि गुलाब को उस पर नाज़ है भारत देश हमारा सुन्दर राज है . परिचय :-  गुलाबचंद पटेल अहमदाबाद (गुज.) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख,...
आया वसंत
कविता

आया वसंत

श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' इंदौर म. प्र. ******************** आया वसंत आया वसंत हम सब बसंत हो जाएं खिलें सुमन बिखरे सुगंध जीवन मकरंद हो जाए छेड़े मीठी तान कोयलिया हमारे गीत मधुर हो जाएं लिखे डालें अवनि वो बातें, जो बात अमर हो जाएं पूर्णमासी हो रात, चांदनी खुशियां बन बिछ जाएं दिनकर नभ में उजली धूप की नर्म चादरें बिछाए होले होले चले शीत, ग्रीष्म के तट पर हाथ मिलाएं मंनहारी मौसम में प्रीत के गीत बहुत याद आएं . परिचय :- नाम - श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' शिक्षा - एम.ए.अर्थशास्त्र, डिप्लोमा इन संस्कृत, एन सी सी कैडेट कोर सागर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय दार्शनिक शिक्षा - जैन दर्शन के प्रथम से चतुर्थ भाग सामान्य एवं जयपुर के उत्तीर्ण छहढाला, रत्नकरंड - श्रावकाचार, मोक्ष शास्त्र की विधिवत परीक्षाएं उत्तीर्ण अन्य शास्त्र अध्ययन अन्य प्रशिक्षण - फैशन डिजाइनिंग टेक्सटाइल प्रिंटिंग, हैंडीक्राफ...
गाँव
कविता

गाँव

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** गाँव में दुर्भाव दुर्लभ! है वहाँ सद्भाव सौरभ! साक्षी भू ,साक्षी नभ! स्नेह-सरिता है प्रवाहित गाँव में! है नहीं दुख का अंधेरा! सतत है स्वर्णिम सबेरा! शान्ति का है सुखद डेरा! स्नेह-सविता है प्रकाशित गाँव में! मधुर हैं स्वर और व्यंजन! हैं विविध संगीत साधन! प्रफुल्लित रहते हैं जन मन! स्नेह-सरगम है प्रसारित गाँव में! . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, आलेख आदि। प्रकाशन ~ अब तक ...
मदिरा
दोहा

मदिरा

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** मदिरा विष से कम नहीं, पीते क्यों दिन-रैन! अपना सबकुछ नष्ट कर, खोते हो सुख-चैन! मद्यपान दुष्कर्म है, मद्यपान है पाप! मद्यपान अपमान है,मद्यपान अभिशाप! नहीं जाइए भूलकर, मदिरालय के द्वार! पता नहीं क्या आपको, समझेगा संसार! बड़ी चाल तूने चली,यह क्या किया शराब! बने भिखारी सेठ जी, बेघर हुए नवाब! मानव हित के सत्य को, समझे सकल समाज! ग्रहण करें संकल्प सब, नशामुक्ति का आज! नशा ठोस हो या तरल,घातक है श्रीमान! धीरे-धीरे आपके, ले लेता है प्राण! ठोस, तरल या हो धुंवां,मादक द्रव्य प्रकार! मानव-तन-मन पर करे, मंथर-मधुर प्रहार! . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी...
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का महत्व
कविता

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का महत्व

विमल राव भोपाल म.प्र ******************** जीवन में अनुशासन का नित, पाठ सिखाती हैं शाखा। शील विनय आदर्श श्रेष्ठता, धेर्य सिखाती हैं शाखा।। काम क्रोध मद मोह देह से, शीघ्र मिटाती हैं शाखा। कर्म साधना राष्ट्र भक्ति का, मार्ग दिखाती हैं शाखा।। त्याग समर्पण ध्येय भाव की, अलख जगाती हैं शाखा। नव तरंग चैतन शक्ति का, दीप जलाती हैं शाखा।। संघर्षों से डटकर लड़ना, अभय सिखाती हैं शाखा। जाति पंथ का भैद मिटाकर, समरसता लाती हैं शाखा।। राग द्वेश अभिमान मिटाती, भाव जगाती हैं शाखा। संस्कृती का सम्मान ना भूलें, यही सिखाती हैं शाखा।। . परिचय :- विमल राव सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रदेश सचिव अ.भा.वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन संस्थान म.प्र. निवासी : भोपाल म.प्र आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अप...
म्हारो मालवो
कविता

म्हारो मालवो

सुषमा दुबे इंदौर ******************** छाई बसंती बयार झूमे-झूमे म्हारों मालवों म्हारा मालवा को कई केणों, यो तो है दुनिया को गेणों इका रग रग मे बसयो है दुलार, झूमे झूमे म्हारों मालवों। छाई बसंती बयार .... मालव माटी गेर गंभीर , डग डग रोटी पग पग नीर यां की धरती करे नित नवो सिंगार , झूमे झूमे म्हारों मालवों छाई बसंती बयार .... यां की नारी रंग रंगीली, यां की बोली भोत रसीली इका कण कण मे घुलयों सत्कार, झूमे झूमे म्हारों मालवों छाई बसंती बयार .... नर्बदा मैया भोत रसीली, सिप्रा मैया लगे छबीली चंबल रानी करे रे किलोल, झूमे झूमे म्हारों मालवों छाई बसंती बयार .... मालवा को रंग सबके भावे, जो आवे यां को हुई जावे पुण्यारी धरती करे रे पुकार , झूमे झूमे म्हारों मालवों छाई बसंती बयार .... मिली जुली ने तेवर मनावे, जो आवे उखे गले लगावे यां तो अन्न धन का अखूट भंडार, झूमे झूमे म्हारों मालवों छाई बसंती बय...
अभिनंदन वसंत का
कविता

अभिनंदन वसंत का

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** मंद मंद शीतल पवन है, फूलों से भरा चमन है, खुश है धरा, खुश नीलगगन है, वसंत तुम्हारा अभिनंदन है..... जब प्रकृति ने ली अंगड़ाई, चहुं ओर छटा अलौकिक छाई, बसंती चोला पहना धरती ने, दुल्हन जैसी वह शरमाई, घुल रहा नशा नस-नस में, बहका-बहका सावन है। वसंत तुम्हारा अभिनंदन है..... उषा के किरणों की लाली, लहराते फसलों की बाली, हाथों में पूजा की थाली, कोयलिया गाये मतवाली, खुशबू से महका उपवन है , वसंत तुम्हारा अभिनंदन है..... भंवरे के दिलकश तराने से, मन में सारंगी सी बजती, रोम-रोम पुलकित हो जाता, धड़कने तेजी से चलती , पतझड़ का मौसम आनंदित होकर, बहारों को देता निमंत्रण है, वसंत तुम्हारा अभिनंदन है..... . परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्र...
आया बसंत
कविता

आया बसंत

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** आया बसंत। सखीरी रितु बसंत आई, मोसम ने ली अगड़ाई। क्यारी क्यारी सरसों फूली, अंबुआ डार मोर से झूली, अति उमंग ले आई। सखीरी रितु बसंत आई। ड़ाल डाल पे कोयल कूके मनवा खाय हिचकोले, अति सुहावन मन भाई। सखीरी रितु बसंत आई। सपने रंगे मन हुआ पलाशी, खिलती कलियाँ देह अकुलाती, पपीहे की कूहूँ कूहूँ सुनाती, मंद मंद पवन चलें पुरवाई सखीरी मन भावन रितु बसंत आयी। . . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मा...
तुमसे अलग हो कर
गीत

तुमसे अलग हो कर

आस्था दीक्षित  कानपुर ******************** तुमसे अलग हो कर ये मन न रह पाता है माँ कामो मे उलझा रह कर भी याद करता माँ आँखों मे सपने भरे पर सपने तुमसे है तुम मुझमे कुछ यूँ बसी सब अपने तुमसे है सपना पूरा करने मे तुम साथ देना माँ . तुमसे अलग ….. रात को सर पे तेरी थापे याद आती है आँगन की वो किलकारी भी याद आती है जब भी भूखा सोया हूँ तुम याद आती माँ तुमसे अलग…. अँधियारा होने पर माँ तुम लोरी गाती थी राजा बेटा कह के मेरा सर सहलाती थी उन लम्हो मे मै फिर से जीना चाहता हूँ माँ तुमसे अलग.... शाम को घर वापस आता न कोई मिलता है पूरा दिन सब क्या किया न कोई कहता है तेरा चेहरा सोच ते सब सह लेता हूँ माँ तुमसे अलग…. . परिचय -  आस्था दीक्षित पिता - संजीव कुमार दीक्षित निवासी - कानपुर आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक...
माँ  सरस्वती
कविता

माँ सरस्वती

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** हे हंस वाहिनी माता तेरे शरण में जो भी आता पुष्प चढ़ा कर करे नमन हम आशीर्वाद से छू पाएँ गगन हम सुर की देवी तु कहलाती हर बच्चे के मन को भाती छात्र करे पूजन सब तेरे दुख दूर हो जाये तेरे मेरे हो जाए परिपूर्ण ज्ञान से करे अध्ययन वो बड़े ध्यान से तेरी वीणा से जो निकले संगीत मन को मुग्ध करे वो गीत ज्ञान दायिनी तु वीणा वादिनी चन्द्र कमल स्वेत वस्त्र धारिनी अम्ब विमल दे अज्ञानी को मधुर बनाये शख्त वाणी को बसंत ऋतु में तु आती है छात्रों के हृदय बस जाती है जीवन आनंदमय का पाठ पढ़ाती कला की देवी सरस्वती कहलाती . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने...
वसन्त ऋतु में
कविता

वसन्त ऋतु में

रेशमा त्रिपाठी  प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश ******************** वसन्त ऋतु में ! यूं धीरे–धीरे सदियों का सर्दियों का जाना, गुनगुनी धूप का आना सूखे पत्तों का झड़ना नए पत्तों का सृजन होना सरसों के फूलों की सुगंध में प्रकृति स्वयं को अपने रंगो में घोलती उस रंगों की गुदगुदाहट में गेहूं की बालियों का आना किसानों का प्रफुल्लित मन देखकर लगता हैं मानो! कोई युवती अठारह बरस की हुईं हैं। यह मोहक छवि अम्बर तक फैली धानी चूनर सी लगती हैं ।। . परिचय :- रेशमा त्रिपाठी  निवासी : प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के ...
वासंती प्रणय निमंत्रण
कविता

वासंती प्रणय निमंत्रण

रंजना फतेपुरकर इंदौर (म.प्र.) ******************** वसंत पंचमी का वह वासंती सवेरा था स्वर्ण पुष्पों संग तुमने प्रणय निमंत्रण भेजा था अहसासों का रिश्ता दिल में उतरने लगा था और सपनों में खोया मन सितारों पर चलने लगा था तुम्हारे मधुर गीतों ने मेरे मन को इस तरह छुआ था जैसे मोरपंखों से झरते रंगों ने महकी गुलाब पंखुरियों को छुआ था वासंती महक मेहंदी में घोलकर मेरी हथेलियों पर प्रणय रंग रचा था जैसे किसी हसीन ख्वाब ने मेरी रेशमी पलकों को छुआ था यही बसंत पंचमी का वह वासंती सवेरा था जब स्वर्ण पुष्पों संग तुमने प्रणय निमंत्रण भेजा था . परिचय :- नाम : रंजना फतेपुरकर शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य जन्म : २९ दिसंबर निवास : इंदौर (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तकें ११ हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान सहित ४६ सम्मान पुरस्कार ३५ दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीज...
मेरा हिन्दुस्तान प्राण से प्यारा है
कविता

मेरा हिन्दुस्तान प्राण से प्यारा है

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** मेरा हिन्दुस्तान विश्व में न्यारा है! मेरा हिन्दुस्तान प्राण से प्यारा है! गंगा-यमुना की धाराएँ भारत की गाथाएँ गाएँ शिखर हिमालय पर्वत के भी, गौरव का इतिहास बताएँ भारत जन-जन की आखों का तारा है! मेरा हिन्दुस्तान प्राण से प्यारा है! ताजमहल की सुन्दरता में गांधी सागर की दृढ़ता में ज्ञान-कला संस्कृति आदि की, भांति-भांति की समरसता में बहती देश प्रेम की इसमें धारा है! मेरा हिन्दुस्तान प्राण से प्यारा है! भिन्न-भिन्न हैं धर्म यहाँ पर रहन-सहन में भी है अन्तर बोली और भाषा अनेक हैं पर रहते हैं सब मिल-जुलकर भारत से सारे जग में उजियारा है! मेरा हिन्दुस्तान प्राण से प्यारा है! मेरा हिन्दुस्तान विश्व में न्यारा है ! मेरा हिन्दुस्तान प्राण से प्यारा है! . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ...
माँ
कविता

माँ

डॉ. बी.के. दीक्षित इंदौर (म.प्र.) ******************** माँ का अभिनन्दन प्रकृति करे। धरा खेत सब .... हरे भरे। सरसों है .... पीत बसन तेरे। पीली चादर .... अद्भुत डेरे। स्वर ताल हमें सिखला दे माँ। मैं क्या गाऊँ .... बतला दे माँ। लिखूँ किताब, या अभी नहीं? कुछ ठीक ठाक,कुछ जमी नहीं। शायद तुझको हैं .... काम बहुत। माँ तेरा है जग में .... नाम बहुत। दे अलग विधा.... स्वर हों न हों। पाऊँ कुछ कुछ, कुछ खोना हों। जो भी हो .... उसे जगा भर दे। हे जग जननी .... कुछ तो वर दे। अब दौर कलम का चला गया। मोबाइल में सब .... लिखा गया। चरणों में चढ़े .... फूल नकली। ना महक़ कोई.... ना हैं असली। असली आशीष.... ज़रा दे माँ। स्वर लोरी.... मुझे सुना दे माँ। सुत बिजू तेरा.... तू मेरी माँ। सबको ये बात.... बता दे माँ।   परिचय :- डॉ. बी.के. दीक्षित (बिजू) आपका मूल निवास फ़र्रुख़ाबाद उ.प्र. है आपकी शिक्षा कानपुर में...
कवियों की क्लास
कविता

कवियों की क्लास

डॉ. विनोद वर्मा "आज़ाद"  देपालपुर ********************** शुरू हुई कवियों की क्लास, उसमे शिक्षक बना विश्वास। डॉ. आज़ाद ने मालवी रचना सुनाई, डीपी. ने करुण-श्रृंगार बनाई, गोवर्धन राही ने विरह रचाई, समद ने चुलबुलाहट पर नज़र दौड़ाई। हेम अकेला का भी मन ललचाया, हेमराज ने मधुर गीत गुनगुनाया, गोवर्धन मामा ने मामी पर गीत सुनाया, रमेश नागर ने ग़ज़ल का ज्ञान कराया। हरि सोलंकी ने भी डायरी सम्भाली, हर्षित होकर बगिया में नाचा माली, गोष्ठी में किसी ने गाई होली-दिवाली, किसी ने राखी के साथ छठ भी गा ली। मेघ ठुम्मक-ठुम्मक कर आएगा, स्नेह, प्रीत-प्यार का गीत लाएगा, हर कवि अपनी कलम पर मुस्कुराएगा, श्रोताओं-दर्शकों का मनोरंजन करवाएगा।   परिचय :-  डॉ. विनोद वर्मा "आज़ाद" सहायक शिक्षक (शासकीय) शिक्षा - एम.फिल.,एम.ए. (हिंदी साहित्य), एल.एल.बी., बी.टी., वैद्य विशारद पीएचडी.  निवास - इंदौर जिला मध्यप्रदे...
दिखावे की ये दूनियाँ
कविता

दिखावे की ये दूनियाँ

रागिनी सिंह परिहार रीवा म.प्र. ******************** दिखावे की ये दूनियाँ है, यहा शोहरत भी बिकती हैं। दिलों में दर्द आखो में, सदा खुशियाँ ही दिखती हैं।। मेरे ईस्वर मेरे मालिक, बता दें तु मुझें इतना। मोहब्बत की कहानी क्यूँ सदा गुमनाम रहती हैं।। दिखावे की मोहब्बत हो, तो फिर ज्यादा नहीं टिकती। किसी अपने मे अपनेपन की कोई बात नहीं दिखती।। करे कोई लाख कोशिश पर तुम्हे बतलाती हू यारो। मोहब्बत आज भी बाजार में पैसो से नही बिकती।। कभी तुलसी कभी मीरा कभी रसखान लिखती हूँ। मैं राधा कृष्ण के ही प्रेम का गुनगान लिखतीं हूँ। मेरे मोहन तेरे बंशी के दीवाने तो सभी है। कलम से प्रेम की पाती का हर पर गान लिखती हूँ।। . परिचय :- रागिनी सिंह परिहार जन्मतिथि : १ जुलाई १९९१ पिता : रमाकंत सिंह माता : ऊषा सिंह पति : सचिन देव सिंह शिक्षा : एम.ए हिन्दी साहित्य, डीएड शिक्षाशात्र, पी.जी.डी.सी.ए. कंप्यूटर, एम फील हिन्दी...
अपने तिरंगे पर
कविता

अपने तिरंगे पर

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** अपने तिरंगे पर मुझे इसलिए अभिमान है। मेरे भारत देश की बस एक यही पहचान है।। हिंदी रक्षक हिन्दू हूँ, मैं हिंदुस्तान का रहवासी। जहां बहती पवित्र गंगा और तीर्थ मथुरा काशी। हर भाषा और सभ्यता का होता यहां सम्मान है... मेरे भारत देश की बस एक यही पहचान है।। भारत देश की अखण्डता का परचम लहराए। देश का हर एक युवा अब विवेकानंद बन जाये। भाईचारा और भी दिखती यहां समान है... मेरे भारत देश की बस एक यही पहचान है।। भारतीय संस्कृति और धर्म का भारत मे इतिहास है। रामराज्य अब शुरू हुआ तो खत्म हुआ बनवास है।। मन स्वच्छ, तन स्वच्छ अब स्वच्छ भारत अभियान है... मेरे भारत देश की बस एक यही पहचान है।। . परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्व...
उजड़ी उजड़ी बस्ती
ग़ज़ल

उजड़ी उजड़ी बस्ती

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** उजड़ी उजड़ी बस्ती बिखरे पत्थर देख रहा हूं। मैं भी ज़ालिम का लश्कर देख रहा हूं। सोच में हूं कब बदलेगा मुकद्दर गरीबों का, धनवानों के हाथों में जो मैं खंजर देख रहा हूं। भूख गरीबी में उनको बेघर देख रहा हूं, हीरे-मोती वाली धरती को मैं बंजर देख रहा हूं। फटे लिवास बेरोजगारों की कतारें ये कैसा मंज़र, सियासी चेहरों में मैं अजगर देख रहा हूं। नकली दुध, ज़हरीला खाना, कसाई डॉक्टर, बापु मैं भी तेरे तीनों बंदर देख रहा हूं। महंगाई की मार, भ्रष्टाचार की लाठी, हाल गरीबों के क्यों इतने बदतर देख रहा हूं। कांटी जो ज़ुबान उसने तो कलम कहां गूंगी है, शाहरुख़ तुझमें पौरस भी, तुझमें सिम्न्द्र देख रहा हूं। . परिचय :- शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हि...
मायके की यादे
कविता

मायके की यादे

संजय जैन मुंबई ******************** बचपन की यादों को, मैं भूला सकती नहीं। मां के आँचल की यादे, कभी भूली ही नहीं। दादा-दादी और नाना-नानी, का लाड़ प्यार हमे याद है। मौसी बुआ का दुलार, दिल से निकला नही। वो चाची की चुगली, चाचा से करना। भाभी की शिकायत भैया से करना। बदले में पैसे मिलना, आज भी याद है। और उस पैसे से, चाट खाना याद है। भाई बहिनों का प्यार, और लड़ना भी याद है। भैया की शादी का वो दृश्य, आंखों के समाने बार बार आता है। जिसमें भाभी की विदाई पर, उनका जोर से रोना याद है। खुद की शादी और विदाई का, हर एक लम्हा याद आ रहा है। मांबाप के द्वारा दी गई, हिदायते और नासियते दिल में रखें हूँ। मानो अपनी दुनियां खो आई हूँ। मांबाप का आंगन छोड़ आई हूं। दिल में नई उमंगे लेकर, पिया के साथ आई हूं। जो मेरे जीवन का, अब आधार स्तम्भ है। मानो मेरी जिंदगी का यही संसार है। छोड़ा माता पिता और, भाई बहिनों को तो। नये ...
मोबाइल की दीवानी
कविता

मोबाइल की दीवानी

राम प्यारा गौड़ वडा, नण्ड सोलन (हिमाचल प्रदेश) ******************** दीवानी है दुनिया, मोबाइल की-----। रोबोट सदृश्य चलती है। न दया रही न धर्म रहा, कमी प्यार की खलती है। दिल में भरा घमंड... अकड़-अकड़ कर चलती है। न गालों पे लार्ली, न होठों पे स्माइल, हर वक्त हाथों में पकड़े, रखती हो मोबाइल। कमर झुक गई सारी... बात ना करने की लगी बीमारी। फेयर एंड लवली से, फेस चमका लिया,,, शरीर से फूलों की महक आए, कोबरा सेंट छिड़का लिया। फेसबुक और व्हाट्सएप में, ध्यान है तुम्हारा । मैंने किया प्रपोज तूने डिलीट मारा... जिओ था जीने का सहारा... उसने भी पीछे से धक्का मारा, गौड़ अब तू ही बता... मैं क्या करूं बेचारा ???   परिचय :-  राम प्यारा गौड़ निवासी : गांव वडा, नण्ड तह. रामशहर जिला सोलन (सोलन हिमाचल प्रदेश) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित क...
गणतंत्र दिवस
कविता

गणतंत्र दिवस

मिर्जा आबिद बेग मन्दसौर मध्यप्रदेश ******************** गणतंत्र हमारी आन बान और शान है, गणतंत्र हमारी आन बान और शान हैं, दुनिया में सबसे बड़ा हमारा हिन्दूस्तान है यहाँ सबका अपना मान-सम्मान है, राम भी है रहीम-रसखान और रहमान है सम्पूर्ण, प्रभूत्व सम्पन्न गणराज्य का मतलब आज समझलो, अम्बेडकर जी ने लिखा जो संविधान है राम रावण, हुसैन यजीद की जंग एक इतिहास बनी है, अदलो-इन्साफ की खातिर कई लोग होगये कुरबान है, जो इन्सान को इन्सान से लडवाता है, वह हमारी नजरों में इन्सान नही शैतान है, यह सूफी-सन्तों की धरती है आबिद जिसका नाम हिन्दूस्तान है, . परिचय :- ११ मई १९६५ को मंदसौर में जन्मे मिर्जा आबिद बेग के पिता स्वर्गीय मिर्जा मोहम्मद बेग एक श्रमजीवी पत्रकार थे। पिताश्री ने १५ अगस्त १९७६ से मंदसौर मध्यप्रदेश से हिंदी में मन्दसौर प्रहरी नामक समाचार पत्र प्रकाशन शुरू किया। पिता के सान...