तुम्हें लगा
भारत भूषण पाठक देवांश
धौनी (झारखंड)
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विधाता छंद-मापनी १४-१४ मात्रा, ७-७ मात्रा पर यति।
धोऐं हाथ, साबुन से।
फिटकरी से, ही नहलाएं।
न कभी हाथ, मिलाना है।
न अभी भीड़, लगाना है।
सम्मान हो, यदि करना।
हाथ को ही, जोड़ लेना।
याद रखना, केवल तुम।
मिलोगे भी, तुम न गले।
बस हो अगर, कभी खाँसी।
तो मुँह पर, रूमाल ही
तभी रख लो, छींकना हो
जब कभी भी, दोनों हाथ
रखकर नाक, तुम ढँकना।
सिर दर्द हो, कभी जोरों का।
साथ सीना, अगर जलता।
हमेशा ही, बुखार भी
यदि रहता, साथ शरीर में
रहे जलन, समझो तभी
तुम्हें लगा, कोरोना है।
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परिचय :- भारत भूषण पाठक देवांश
लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत '
निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका (झारखंड)
कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक
योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है।
काव्यक्षेत्र मे...





















