कँहा है बाबा का संविधान
ओम प्रकाश त्रिपाठी
गोरखपुर
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बतलाओ अब आज कँहा है, बाबा का संविधान,
ये भारत पूछ रहा है...।।
प्रथम प्रहार इसके प्रयोग पर, नेहरु ने कर डाला था।
कुटिल नीति पर चल कर, मौलिक नियम बदल डाला था।
पूछो उस दिन कहां हुआ था, बाबा का सम्मान
ये भारत पूछ....।।
जब बारी इन्दिरा की आयी, उसने भी न छोडा।
अपने सत्ता के सुख खातिर, खूब तोडा और मरोड़ा।
ऐसा संसोधन उसनें की कि तडप उठा इन्सान
ये भारत पूछ......।।
संविधान को करके निलंबित, इमरजेंसी लगा डाला था।
अमन पसंद सभी जन को, जेलों में, भर डाला था।
फिर भी कहते हैं कि हमको पूज्य है ये संविधान
ये भारत पूछ ...।।
सबने बारी बारी से, निज सुविधा इसको बदला है।
और बदलने को खातिर, अगला भी देखो मचला है।
देश को लूटे कर संसोधन और बचा ली अपनी जान
ये भारत पूछ....।।
सुप्रीम कोर्ट चलता है उससे, उसको भी न चलने देते।
अगर वोट होता है प्रभावित, हैं संसोधन कर लेते।
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