बारिश लगातार
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रचयिता : सतीश राठी
बारिश लगातार
रेशम के धागे सी
तार तार
कभी भेड़ाघाट सी
धुआंधार
बारिश लगातार
मौसम
घर आंगन में छा गया
बादल
समूचा कमरे में आ गया
प्राणों तक हो गई
गीली दीवार
बारिश लगातार
हरियाली छा गई
पोर पोर
मनवा में
नाच उठे कई मोर
देह में सुलगे आग
बार-बार
बारिश लगातार
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लेखक परिचय :- सतीश राठी
जन्म : २३ फरवरी १९५६ इंदौर
शिक्षा : एम काम, एल.एल.बी
लेखन : लघुकथा, कविता, हाइकु, तांका, व्यंग्य, कहानी, निबंध आदि विधाओं में समान रूप से निरंतर लेखन। देशभर की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में सतत प्रकाशन।
सम्पादन : क्षितिज संस्था इंदौर के लिए लघुकथा वार्षिकी 'क्षितिज' का वर्ष १९८३ से निरंतर संपादन। इसके अतिरिक्त बैंक कर्मियों के साहित्यिक संगठन प्राची के लिए 'सरोकार' एवं 'लकीर' पत्रिका का संपादन।
प्रकाशन : पुस्तकें शब्द साक्षी हैं (निजी लघुकथा संग्रह), पिघलती आंखों का सच (निजी कवित...