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स्वाभिमान

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रचयिता : भारती कुमारी

मेरी शीतलता से मत खेलो
मुझे अंधकार में मत धकेलो
मैं स्वर्णिम प्रकाश में खोती
पहचान मेरी सुप्रभात से होती
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श्यामल नील – सी रंग में बहती
अंजान – सी मैं पहचान बनाती
निशा  में  विजय दीप जलाती
शत – सहस्त्र शैलाब से घिरती
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फिर भी व्योम प्रवाही धारा बनती
सत्य प्रतिज्ञा  में  जीवन बिताती
नभ- चुम्बी तरूण सपनें बुन जाती
मधुर शीतलता में जीवन बिताती
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पाप – बोझ अत्याचार में जो दबती
गर्जन करती तेजमयी रूद्र रूप-सी
रंग – बिरंगी से जीवन को सजाती
सुगंधित जीवन को मधुमय-सा बनाती
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नारी जज्बातों से जो कोई खेलता
चिन्ह उभड़ती ह्रदय में प्रलयकारी
रूप धरी चंडी सत्य विस्तार करती
स्वाभिमान की शंखनाद करती
.

लेखक परिचय :-  भारती कुमारी
निवासी – मोतिहारी , बिहार


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