बुंदेली ग़ज़ल
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रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम"
आज स्याने जुते बैल से, बोझ तरें मर रए हैं,
युवा देस के लै-लै डिग्री, ना-कारा फिर रए हैं ।
सावन-भादों के जे बदरा फिर-फिर घिर रये है ।
भुंसारे से भईया-भौजी भींजे ही फिर रये हैं ।
दद्दा ने जो कर्जा लओ थो, अबै तलक बाकी है,
देनदारिएं, कर्जा निकरे, अपने ही सिर रये हैं ।
बसकारे ने हमरो जीवन, नरक बना के धर दओ,
धरती सें बम्मा फूटत है, झिरना से झिर रये हैं ।
मोड़ा मोड़ी मानत नईं हैं, गद-बद देत फिरत हैं,
जी को तन्नक पांव रिपट गओ, धम्म धम्म गिर रये हैं ।
लेखक परिचय : नाम - प्रेम प्रकाश चौबे
साहित्यिक उपनाम - "प्रेम"
पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे
जन्म - ४ अक्टूबर १९६४
जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र.
शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल
प्रकाशित पुस्तकें - १ -"पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल २ - "ढाई आखर ...