काश
संजय वर्मा "दॄष्टि"
मनावर (धार)
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काश तुम जिंदा होती
सपने अधूरे वादे अधूरे
सब बात अधूरी
साथ अधूरा
सपने परेशान करते
यादों को बार बार दोहराते
नींद से उठ बैठता
गला सूखने पर
मांगता था पानी
अब खुद उठ कर पीता हूं पानी
काश तुम जीवित होती
बीमारी में मुझे छोड़कर न जाती
तुम बिन सब अधूरे
अगले जन्म में होगी साथ
काश यही तो है
विश्वास।
परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि"
पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन)
शिक्षा : आय टी आय
निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश)
व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में स...