सत्य कभी ना हारा
अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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दुनिया में 'हे राम' आपकी,
क्या है होने वाला।
घर बाहर सारी धरती पर,
नहीं सुरक्षित बाला।
मन में सोच बना दी प्रभु ने,
भरी प्यार से दुनिया।
असुरक्षित लाचार गेह में,
क्यों प्यारी सी मुनिया।
भोग, भोग चौरासी पाया,
तन अनमोल खजाना।
धन वैभव शोहरत पाकर तू,
प्रभु को ना पहचाना।
मर्यादा पुरुषोत्तम बन कर,
रखा मान नारी का।
लाज बचाई थी कृष्णा की,
धरा रूप सारी का।
भूल गए अपनी मर्यादा,
तुम्हें लाज ना आती।
व्यभिचारी बन घूम रहे हो,
है विदीर्ण माँ छाती।
माँ का दूध लजाते हो तुम,
बनकर नमक हरामी।
तेरे सारे कर्म देखते,
हैं प्रभु अंतर्यामी।
वैष्णव जन तो तेने कहिए,
राष्ट्रपिता थे गाते।
जो जन जाने पीर पराई,
उसको राम बताते।
गोली खाई जब सीने पर,
तब 'हे राम' पुकारा।
दिखा दिया बापू ने जग को,
सत्य कभी ना हारा।...