बातें फूलो की
संजय वर्मा "दॄष्टि"
मनावर (धार)
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फूलों का ये कहना
दिल की बातें दिल में ही रखना
छीन ले जाता कोई खुशबू हमसे
बस इसी बात का तो रोना ।
फूल बिन सेहरा गजरा के
उदास हुए
जाने क्या औंस ने कह दिया
खुशबू उतनी ही बची फूलों की
इतनी सी बात पर तितली-भोरे
फूलों के अब खास हुए।
उड़ा ना पवन
खुशबुओं को इस तरह
मोहब्बत रूठ जाएगी
बेमौसम के पतझड़ की तरह
कुछ याद रहेगी
कुछ दिल से टकरायेगी
बसेगी वो दिल में
तुम्हारी यादों को महकायेगी|
खुशबू भी रूठ जाती फूलों से
जब कांटों की पहरेदारी बनती
दगाबाज की तरह
तोड़ लेता दिलबर खिले फूलों को
मोहब्बत को मनाने की तरह।
परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि"
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)
शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाच...