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बाल साहित्य

दिल्ली वाले चाचा
बाल कहानियां

दिल्ली वाले चाचा

राजनारायण बोहरे इंदौर मध्य प्रदेश ******************** जगत और भानू को बड़ा दुख हो रहा था कि वे आज स्कूल क्यों चले गये? एक दिन न भी तो तो क्या बिगड़ जाता? जिस वक्त वे दोनों स्कूल में थे, ठीक उसी वक्त उनके यहाँ दिल्ली वाले चाचा आये थे। स्कूल तो रोज-रोज जा सकते हैं, पर दिल्ली वाले चाचा थोड़ी रोज-रोज आते हैं। वे तो साल भर में एक बार कभी आते हैं, और आते ही जगत और भानू से मिलने जरूर पहुंचते हैं। यूं दिल्ली वाले चाचा इन दोनों के सगे चाचा नही है, पर वे इन दोनों का इतना प्यार करते हैं कि कहा नही जा सकता। जगत और भानू के पापा की मृत्यु पांच साल पहले हो गई थी, तो घर में कोहराम मच गया था घर में सत्तर साल के बूढ़े दादाजी के अलावा कोई दूसरा आदमी न था। जिसका सहारा कहा जा सकता हो। उन दोनों भाईयों के अलावा मम्मी और छोटी बहन अमृता की देखभाल का जिम्मा भी उनके बूढ़े दादाजी के जिम्मे आ गया था। तब तार पाक...
अंकिता ने किया लगातार ६० मिनिट नृत्य
गुण श्रेष्ठता, संगीत

अंकिता ने किया लगातार ६० मिनिट नृत्य

भवानीमंडी। देश की कत्थक नृत्य की उभरती नृत्यांगना अंकिता वाजपेयी ने २९ अप्रैल विश्व नृत्य दिवस के अवसर पर घर पर ही शाम ७ से ८ बजे (६० मिनट) तक लगातार बिना रूके कोरोना जागरूकता व कोरोना वॉरियर्स के सम्मान में फेसबुक लाइव पर नृत्य प्रस्तुति दी। चेहरे पर वही ताजगी रही। अंकिता वाजपेयी ने नृत्य प्रस्तुति से पूर्व कहा कि सारे देश को कहना है सबको घर पर रहना है, करो नमस्ते, मोदी जी हमारे, जीतेगा इंडिया, घर पर ही रहो ना, कोरोना से डरो ना, देश अपना होगा प्रकाशवान, मैं देश नहीं मिटने दूँगा, ये मत कहो खुदा से, कोरोना फैल जाता हैं जैसे अनेक कोरोना जागरूकता गीतो पर नृत्य प्रस्तुति दी।   आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल...
गुरु बिन ज्ञान कहां से पाऊं?
आलेख, बाल साहित्य

गुरु बिन ज्ञान कहां से पाऊं?

विश्वनाथ शिरढोणकर इंदौर म.प्र. ****************** बुद्धी और ज्ञान दुनियां में बहुत महत्वपूर्ण हैं, फिर वह किसीसे भी प्राप्त हो, उसे अनुभव से प्राप्त कर आत्मसात करना होता हैं। ज्ञान एवं अनुभव ग्रहण करने वाला शिष्य और ज्ञान देने वाला या प्राप्त करवाने वाला गुरु होता हैं। ऐसा यह गुरु और शिष्य का बुद्धी, ज्ञान और अनुभव का रिश्ता होता हैं। ज्ञान तथा अनुभव लेनेवाले एवं देनेवाले की उम्र का इससे कोई संबंध नहीं होता, सिर्फ ज्ञान देनेवाला अपने विषय में निष्णात होना चाहिए, और ज्ञान लेनेवाले का देनेवाले पर विश्वास होना चाहिए। यहीं इस रिश्ते की पहली शर्त होती हैं। बच्चें की पहली गुरु का मान यह उसकी माँ का होता हैं। इसके बाद जीवन के हर मोड़ पर ज्ञान और अनुभव देनेवाले गुरु की आवश्यकता महसूस होती रहती हैं। ‘गुरुपूर्णिमा‘ यह सभी गुरुओं को आदर और श्रद्धापूर्वक स्मरण करने का दिन हैं। गुरुपूर्णिमा को ‘...
हिम्मत
कविता, नैतिक शिक्षा, बाल कविताएं

हिम्मत

सौरभ कुमार ठाकुर मुजफ्फरपुर, बिहार ************************ तुम कुछ कर सकते हो तुम आगे बढ़ सकते हो। तुममे है बहुत हिम्मत तुम जग को बदल सकते हो। तुम खुद से हिम्मत नही हारना। कभी खुद का भरोसा मत हारना। तुम झूठ का मार्ग छोड़ सच्चाई के रास्ते पर चलते रहना। मुसीबत बहुत आते हैं जीवन में बस डट कर सामना करना। तुम ही देश के भविष्य हो यह बात हमेशा याद रखना। आत्मविश्वास बनाए रखो तुम हर कार्य पूरा कर पाओगे अपनी प्रयास तुम जारी रखो एक दिन जरुर सफल हो जाओगे। तुम करना कुछ ऐसा की, सारी दुनिया तुम्हारे गुण गाए। तुम बनना ऐसा की महानों की, महानता भी कम पड़ जाए। तुम रखना हिम्मत इतना की, वीर योद्धा की तलवार भी झुक जाए। तुम बनना इतना सच्चा की हरीशचंद्र के बाद तुम्हारा नाम लिया जाए। . परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार...
कल के बच्चें हैं हम सब
कविता, बाल कविताएं

कल के बच्चें हैं हम सब

रेशमा त्रिपाठी  प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश ******************** सुबह-सुबह उठना हैं पड़ता हम सब प्यारें बच्चों को मम्मी-पापा के सपनों का बोझा ढोंना पड़ता हैं हम सब प्यारे बच्चों को। मम्मी कहती हिन्दी पढ़ लो पापा कहते गणित लगाओं बाकी घर वाले सब इंग्लिश के पीछे पड़ जाते हैं हम सब प्यारें बच्चों के। बिना भूख के खाना पड़ता बिना नींद के सोना पड़ता कपड़ों में यूनिफॉर्म शिवा हम सब को कुछ न मिलता हैं हम सब प्यारे बच्चों को। कभी तो पूछो हम सब से भी हम सब का सपना क्या हैं? हम सब को क्या अच्छा लगता हैं? हर कोई तो कहते हो कि हम सब आने वाला कल हैं फिर अपने कल को आप सभी आज कैंद क्यों करते रहते हो हम सबको भी थोड़ा सोने दो हम सबको थोड़ा खेलने दो बचपन को बचपन रहने दो हम सब प्यारे बच्चों का।। . परिचय :- नाम : रेशमा त्रिपाठी  निवासी : प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि...
बालमन
कविता, बाल कविताएं

बालमन

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** टीचर से मेरा एक सवाल दे दो मुझको इसका जवाब पापा क्यों ना पहने साड़ी? दीदी को क्यों ना मूछें दाढ़ी? टी वी में कितने लोग समाते! पर क्यों ना वो बाहर आते? सूरज क्यों ना धरती पर टहले? लोरी से कैसे मुन्नी बहले? टीचर से मेरा एक सवाल दे दो मुझको इसका जवाब मुझको बता दो इसका राज क्या पशुओं को ना लगती लाज? पक्षी क्यों ना पहने चड्डी? उनको क्या ना होती हड्डी? नदियों से क्यों ना निकले आग? कौआ क्यों ना छेड़े राग? टीचर से मेरा एक सवाल दे दो मुझको इसका जवाब कौन सी मछली जल की रानी? जीवन कैसे उसका पानी? कौन सा बन्दर पहने पजामा? कैसे है वो मेरा मामा? बिल्ली को मौसी क्यों कहना? क्या वो है मम्मी की बहना? टीचर से मेरा एक सवाल दे दो मुझको इसका जवाब .... . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ...
गुणी विज्ञान है
बाल कविताएं

गुणी विज्ञान है

शिवम यादव ''आशा'' (कानपुर) ******************** बाल मन बाल हठ को पहचानना मनोविज्ञान है बाल बच्चों के दिमाग में बस रहा है विज्ञान है बाल मन की बाल उम्मीदें छू रहीं आसमान है इन उम्मीदों से ही आता जमीं पर आसमान है बाल मन की कुछ आदतें कर रहीं हैरान हैं क्या पनपतीं हैं सभ्यताएँ समझ सके जो इसे वही गुणी विज्ञान है . लेखक परिचय :-  आपका नाम शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं, अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !! काव्य संग्रह :- ''राहों हवाओं में मन" आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सक...
मेरे पापा
बाल कविताएं

मेरे पापा

********** उज्जवल मिश्र मुजफ्फरपुर बिहार मेरे पापा बहुत है अच्छे अच्छी बात सिखलाते हैं सूरज को उगने से पहले प्रतिदिन उठ जाते हैं योगा प्राणायाम नित्य करते कराटे भी सिखलाते है ऑफिस जाते ९:०० बजे शाम ५:०० बजे घर आते हैं शाम का नाश्ता साथ में करते फिर पार्क में टहलने हम जाते हैं मेरे पापा बहुत है अच्छे अच्छी बात सीखलाते हैं मेरे पापा दुनिया के सबसे अच्छे पापा हैं वो मेरे अच्छे दोस्त भी हैं वो मेरे अच्छे पापा है! अच्छी पुस्तक लाकर देते अच्छी बात बताते हैं मेरे पापा बहुत है अच्छे मुझे बहुत प्यार है करते अच्छी बात सिखलाते हैं तभी तो दुनिया के वो सबसे अच्छे पापा कहलाते हैं मेरे पापा बहुत है अच्छे अच्छी बात से सिखलाते हैं! लेखक परिचय :- उज्जवल मिश्र मुजफ्फरपुर  बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंद...
बस्तों का बोझ
कविता, बाल कविताएं

बस्तों का बोझ

*********** रचियता : डॉ. शीतल पाण्डेय कहते बच्चों के कंधे झुककर। न बढाओ बस्तों का बोझ हमपर।। रट रट बेहाल हुआ बचपन। नैतिक ज्ञान का पढ़ा ना एक अक्षर।। छूट गया गलियों से नाता। गिल्ली डंडा वो खेल तमाशा।। पलटते किताबों के पन्ने। दिन हवा बन उड़ जाता।। मासूम मन समझ न पाए। छीना जा रहा क्यों उनसे बचपन।। कहते बच्चों के कंधे झुककर। न बढाओ बस्तों का बोझ हमपर।। सुबह उठ मचती भागम भाग। होती परेड और वही बोझिल क्लास।। गुम हो गया बचपन का एहसास। मेरिट बन गई क्यों माता पिता की आस।। मासूम आँखें करती यही सवाल। हमारे अपने रखते नहीं हमारा खयाल।। कहते बच्चों के कंधे झुककर। न बढाओ बस्तों का बोझ हमपर।।   लेखक परिचय :- डॉ. शीतल पाण्डेय ... पी. एच डी - हिन्दी साहित्य निवासी : इंदौर (म.प्र.) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते...
बालगीत
बाल कविताएं

बालगीत

================================= रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" चन्दा मामा अच्छे हैं  । दिल के कितने सच्चे हैं । सूरज मामा बहुत बुरा । सारा पानी लिये चुरा । बादल ताऊ आएंगे, उस को डांट लगाएंगे । और चुराया जितना पानी, धरती को लौटाएंगे । लेखक परिचय :  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ -"पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में कविता, कहानी, व्यंग्य व बुंदेली ग़ज़लों का प्रकाशन। प्रसारण - आकाशवाणी व दूरदर्शन भोपाल से...