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पुस्तक समीक्षा

कुहासे को चीरता गीत संग्रह ‘भर दो प्यार वतन में’
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कुहासे को चीरता गीत संग्रह ‘भर दो प्यार वतन में’

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** समीक्षक : सुधीर श्रीवास्तव (गोण्डा, उ.प्र.) मेरा मानना है कि मानव भाषा विकास के साथ ही गीत का जन्म हुआ होगा। गीत संप्रेषण की वह विधा है जो मानव मस्तिष्क में उपजे भावों को गेयता की परिधि में रखकर या फिर यूँ कह लें कि स्वर संवाद श्रृंखला में पिरोकर किसी अन्य तक पहुँचाने का उचित एवं प्रभावी तथा हृदयगम्य माध्यम है। गीत के जन्म का कोई सही समय साहित्य के क्षेत्र में निश्चित नहीं किया गया, किन्तु गीत मानव अभिव्यक्ति होने के कारण मानव भाषा विकास के साथ ही माना जाना उचित होगा। वर्तमान में गीत शैली बिना संगीत के अधूरी या फिर यूँ कह लें कि नीरस सी लगती है जिसके कारण गीत का महत्व संगीत के साथ ही बेहतर लगता है। ‌ जीवन के हर क्षेत्र में मानव की जिजीविषा, समर्पण, दायित्व बोध और ईमानदारी का का बड़ा योगदान होता है। जिसे इसका आत्मज्ञा...
यमराज मेरा यार- हास्य व्यंग्य काव्य संग्रह
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यमराज मेरा यार- हास्य व्यंग्य काव्य संग्रह

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** समीक्षक : संजीव कुमार भटनागर सुधीर श्रीवास्तव द्वारा रचित काव्य संग्रह "यमराज मेरा यार" एक अनूठी साहित्यिक प्रस्तुति है, जो अपने शीर्षक से ही पाठकों की जिज्ञासा को जागृत कर देता है। आमतौर पर यमराज को मृत्यु, भय और संहार का प्रतीक माना जाता है, लेकिन इस संग्रह में यमराज एक अलग ही रूप में प्रस्तुत किए गए हैं – मानो वे कवि के सखा हों, जिनसे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर संवाद किया गया हो। सुधीर श्रीवास्तव की भाषा सहज, प्रवाहमयी और व्यंग्यात्मक चुटकी से भरपूर है। वे गहरी बातों को भी हल्के-फुल्के शब्दों में कहने की अद्भुत क्षमता रखते हैं। कहीं-कहीं पर दार्शनिकता का भी पुट मिलता है, जो कविता को और अधिक प्रभावशाली बनाता है। "यमराज मेरा यार" संग्रह केवल मृत्यु और यमराज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन, समाज, राजनीति, नैतिकता औ...
इक तेरे भरोसे पे
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इक तेरे भरोसे पे

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** समीक्षक- सुधीर श्रीवास्तव सरल, सहज, मृदुभाषी, बहुमुखी व्यक्तित्व की धनी कवयित्री मीनाक्षी सिंह की 'इक तेरे भरोसे पे' के रूप में तीसरा संग्रह है। इसके पूर्व आपका 'बातें जो कही नहीं गई' और 'निर्मल उड़ान' ने उनकी साहित्यिक पहचान को काफी हद तक स्थापित कर दिया है। ऐसे में प्रस्तुत संग्रह के प्रकाशन के बाद उनकी रचनाओं पर चर्चा परिचर्चा होना स्वाभाविक ही है। हालांकि मैं उनकी प्रथम पुस्तक की समीक्षा करते हुए जो महसूस किया था, वह काफी हद तक सफल भी मान सकता हूँ। खेल, समाज सेवा और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच साहित्य में समर्पण उनका जुनून ही कहना उचित होगा। जो उनके व्यक्तित्व को और निखार ही रहा है। प्रस्तुत काव्य संग्रह के प्रथम खंड-भक्ति भाव में पुस्तक के नामकरण वाली पहली रचना है, जिसमें उनकी अनंत सत्ता में आस्था, विश्वास...
चिंतन-मनन कराती कविताओं का संग्रह है ‘हिमकिरीट’
पुस्तक समीक्षा

चिंतन-मनन कराती कविताओं का संग्रह है ‘हिमकिरीट’

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** समीक्षक : सुधीर श्रीवास्तव (गोण्डा, उ.प्र.)  'हिमकिरीट' हिंदी काव्य संग्रह के प्रकाशन की योजना और संग्रह के हाथों में आने तक की प्रत्येक गतिविधि का मैं गवाह हूँ। संवेदनशील और सृजन के प्रति पूरी चैतन्यता का उदाहरण भूपेश प्रताप सिंह का प्रस्तुत संग्रह के रूप में सामने आया। कवि ने अपने संग्रह की रचनाओं में प्रकृति, संवेदना, अध्यात्म और मानव जीवन की जटिलताओं को बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। 'हिमकिरीट' हिम यानी बर्फ, और किरीट यानी मुकुट-जो शीतलता, ऊँचाई और सौंदर्य के संयोजन का बिंब के रूप में जाना जाता है, उसे शीर्षक देना किसी बड़े का आदर करने जैसा है l प्रस्तुत संग्रह को पढ़ते समय आप महसूस करेंगे कि इसमें शब्द- चित्रों के माध्यम से भावनात्मक विचारों का अद्भुत संगम है, जिसका अनुभव आत्मचिंतन और अनुभूति करने को विवश...
मैं सौमित्र
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मैं सौमित्र

सुधा गोयल द्वारा लिखित उपन्यास ‘मैं सौमित्र’ की समीक्षा लेखक :- नील मणि मवाना रोड (मेरठ) *************** विदुषी, प्रबुद्ध, सुविख्यात लेखिका श्रीमती सुधा गोयल जी ने अपने उपन्यास ‘मैं सौमित्र’ में रामचरित मानस के पात्रों का ‘मानवीकरण चिंतन’ कर वाकई साहस पूर्ण कृत्य किया है। प्रस्तुत हैं उपन्यास के कुछ अंश- मर्यादा पुरुषोत्तम राम का अनुज लक्ष्मण इतना दीन हीन कैसे हो सकता है? जिसकी अपनी कोई इच्छा ना हो। बच्चे का स्वभाव अक्सर अपने जन्म दाता अर्थात माता पिता के ऊपर जाता है। यानी दशरथ और सुमित्रा। क्या सुमित्रा वास्तव में राजपुत्री थी या दासी? इस किताब की खोज यहाँ से प्रारंभ हुई। राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ किया और अग्निदेव स्वयं खीर लेकर प्रकट हुए। कौशल्या, केकैयी राजा को प्रिय थी। इसी से आधी खीर कौशल्या को दी। तदनंतर सुमित्रा आ गई। तो बची खीर के दो भाग कर एक केकैयी को दिया। फिर बची...
पौराणिक सच- हमारे पुराणों का सच
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पौराणिक सच- हमारे पुराणों का सच

सुधा गोयल द्वारा लिखित 'पौराणिक सच' पुस्तक की विवेचना लेखक :- नील मणि मवाना रोड (मेरठ) *************** हिंदू धर्म में वर्णित १८ महा पुराणों (एक पुराण लगभग ७००-१००० पेज) के गहन अध्ययन के बाद लेखिका श्रीमती सुधा गोयल जी ने "पौराणिक सच" नामक किताब में अलंकारिक व शुद्ध साहित्यिक हिंदी भाषा में कुछ चमत्कृत व हैरान कर देने वाले तथ्य चुन चुन कर कहानी के रूप में पाठकों की थाली में परोसे हैं। सन २०२२ में ‘नमन प्रकाशन’ नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित "पौराणिक सच" की कहानियां को पढ़ने के बाद पुराणों में वर्णित पाठ्य सामग्री की झलक स्पष्ट हो जाती है। मेरी तमन्ना रही थी कि कुछ पुराणों का अध्ययन करूं, जो "पौराणिक कथाओं का सच" जानकर काफी हद्द तक तृप्त हो गई है। पुराणों में देवताओं की भोग, छल कपट व ईर्ष्या की प्रवृत्ति सर्वत्र वर्णित है। लेखिका ने पौराणिक सच की भूमिका में साहसिक तौर पर लिखा है कि प...
छंदों की गंगोत्री है ‘नवोन्मेष’
पुस्तक समीक्षा

छंदों की गंगोत्री है ‘नवोन्मेष’

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** समीक्षक : सुधीर श्रीवास्तव (गोण्डा, उ.प्र.) वरिष्ठ साहित्यानुरागी डॉ. अर्जुन गुप्ता 'गुंजन' का छंदबद्ध काव्य संग्रह 'नवोन्मेष' के अवलोकन के साथ ही यह महसूस हुआ कि अपने नाम के अनुरूप ही संग्रह अपने विशिष्टताओं का महाकुंभ जैसा है। अपने "दो शब्द" में कृतिकार का शब्द भावों के बारे में विचार है जब कोई भाव रचनाकार के दिल के तार को झंकृत कर उसके दिमाग तक पहुँचता है, तब वह अपनी भावाभिव्यक्ति को शब्द रूप देता है। नवोन्मेष का अर्थ है नया उत्थान, नया तरीका, नई खोज या कुछ करने की नई पद्धति जो निराली हो और पहले से बेहतर हो। इसी को पोषित करने के उद्देश्य से "नवोन्मेष (छंदबद्ध काव्य संग्रह)" की परिकल्पना की गई है और इसे धरातल पर उतर गया है। आचार्य ओम नीरव जी का मानना है कि डॉ. अर्जुन गुप्ता 'गुंजन' जी‌ काव्यकला में पारंगत छंदबद्ध...
समाज का दर्पण है डॉ. मुकेश “असीमित” की पुस्तक: गिरने में क्या हर्ज है
पुस्तक समीक्षा

समाज का दर्पण है डॉ. मुकेश “असीमित” की पुस्तक: गिरने में क्या हर्ज है

डॉ. मुकेश ‘असीमित’ गंगापुर सिटी, (राजस्थान) ******************** व्यंग्य संग्रह - गिरने में क्या हर्ज़ है। व्यंग्यकार - डॉ. मुकेश गर्ग "असीमित" प्रकाशक - भावना प्रकाशन, दिल्ली। मूल्य - ३०० रु. (पेपरबैक) समीक्षक - डॉ. गणेश तारे (शिक्षाविद, साहित्यकार, संस्थापक अल्बर्ट आइन्स्टाइन एजुकेशन ग्रुप कोटा) डॉ. मुकेश गर्ग "असीमित" की पुस्तक "गिरने में क्या हर्ज है" एक रोचक कृति है जो हिन्दी साहित्य में व्यंग्य लेखन, पठन, पाठन में रूचि रखने वाले साहित्य प्रेमियों का ध्यान बरबस खींचने में सक्षम है। पहले बात शीर्षक की। शीर्षक अपने आप में एक तीव्र आकर्षण लिए है। जब मुझे यह पुस्तक प्राप्त हुई तो आमुख पढ़ने के बाद सबसे पहले मैंने पुस्तक के शीर्षक वाला व्यंग्य पढ़ने का विचार किया। व्यंग्य पढ़ने के पहले मैंने सोचा कि डॉ. मुकेश ने इसमें क्या लिखा होगा? तो मैं मेरा...
मधुब्रत गुंजन : एक अनूठा उपहार
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मधुब्रत गुंजन : एक अनूठा उपहार

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** समीक्षक : सुधीर श्रीवास्तव (गोण्डा, उ.प्र.) वरिष्ठ शिक्षक/कवि/संपादक/छंद प्रणेता डॉ. ओम प्रकाश मिश्र 'मधुब्रत'जी के काव्य संग्रह "मधुब्रत गुंजन" का प्रारंभ ही कवि के परिचय के बाद उनकी "साहित्य के प्रति अनुराग एवं लेखन की प्रेरणा...." में उनके साहित्य के प्रति अनुराग आरंभ, रचनाएं, सम्मान एवं पुरस्कार, शैक्षणिक सम्मान और पुरस्कार, रचनाओं के प्रकाशन, संप्रति एवं शैक्षणिक कार्य स्थल के बारे में विस्तार से लिखा गया। इसके प्रारंभ में ही डॉ. मधुब्रत के साहित्य के प्रति बढ़ते अनुराग, उन्हें प्राप्त होने वाले सानिध्य, प्रोत्साहन और वरिष्ठ, श्रेष्ठ रचनाकारों को पढ़ने और उसमें रहने का पता चलता है। प्रसाद,पंत, निराला, महादेवी वर्मा, दिनकर, डॉ. राम कुमार वर्मा, राम नरेश त्रिपाठी, हरिवंशराय बच्चन, प्रोफेसर क्षेम के साहित्य से प्र...
मानवीय संवेदना व प्रकृति के बेहद करीब है काव्य कृति ‘साक्षी’
पुस्तक समीक्षा

मानवीय संवेदना व प्रकृति के बेहद करीब है काव्य कृति ‘साक्षी’

पुस्तक समीक्षा पुस्तक का नाम - साक्षी (मेरी लेखनी से) समीक्षक - आशीष तिवारी निर्मल रचनाकार - साक्षी जैन संस्करण - प्रथम पुस्तक कीमत - १९९ रुपए प्रकाशक - जे.एस.एम पब्लिकेशन आगरा।) पिछले दिनों भोपाल में आयोजित एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में जाना हुआ काव्य पाठ व सम्मान के अतिरिक्त कालापीपल जिला शाजापुर मध्य प्रदेश निवासी कवयित्री व शिक्षिका श्रीमती साक्षी जैन द्वारा काव्य संग्रह साक्षी (मेरी लेखनी से) प्राप्त हुई। काव्य संग्रह का कवर बेहद आकर्षक है जिसमें कवयित्री के आराध्य देव कान्हा जी की तस्वीर व उनके चरणों की सेविका स्वयं साक्षी जैन की तस्वीर लगी है। काव्य संग्रह में कुल ६३ रचनाएं प्रकाशित हैं। सुघड़ साहित्यकार साक्षी जैन द्वारा विरचित कविताओं में संवेदनशीलता का विस्तार है कवयित्री ने अपने लेखन के माध्यम से मानव समाज व प्रकृति के हर पहलू पर बखूबी लिखा है। जिसमें कान्हा के प्रति भ...
देशप्रेम और देशभक्ति का पर्याय – चंदन माटी मातृभूमि की
पुस्तक समीक्षा

देशप्रेम और देशभक्ति का पर्याय – चंदन माटी मातृभूमि की

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** समीक्षक- सुधीर श्रीवास्तव वरिष्ठ कवि डॉ. रवीन्द्र वर्मा जी की पुस्तक "चंदन माटी मातृभूमि की" कुछ माह पूर्व ही मुझे प्राप्त हो गई थी। लेकिन स्वास्थ्य कारणों से कुछ लिखने का विचार आगे बढ़ता रहा। अब जब नवोदय परिवार ने यह अवसर उपलब्ध कराया, तो थोड़ा विवश हो गया। जो अच्छा ही है कि एक विचार को अब साकार करने का समय आ ही गया। देशप्रेम और देशभक्ति रचनाओं का १७७ पृष्ठीय १०८ रचनाओं वाले काव्य संग्रह "चंदन माटी मातृभूमि की" को रचनाकार ने "अपने भारत राष्ट्र को समर्पित सभी बलिदानियों, देशधर्म व स्वतंत्रता को लड़े वीर क्रांतिकारियों, इस देश की अखंडता व स्वाभिमान के लिए जीवन समर्पित करने वाले सभी महान पुरुषों को श्रद्धावनत नमन करते हुए समर्पित किया है। विद्या वाचस्पति मानद उपाधि प्राप्त रवीन्द्र वर्मा के इस पुस्तक की भूमिका म...
भावों की पोटली है : पोटली …एहसासों की
पुस्तक समीक्षा

भावों की पोटली है : पोटली …एहसासों की

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** समीक्षक : सुधीर श्रीवास्तव पिछले दिनों जब अनुजा भारती यादव 'मेधा' का एकल कविता संग्रह "पोटली ...एहसासों की" स्नेह स्वरुप प्राप्त हुई थी, तो बतौर कलमकार से अधिक अग्रज के तौर पर मुझे अतीव प्रसन्नता का बोध हुआ था, तब मन के कोने में यह जिज्ञासा, उत्सुकता अब तक बनी रही कि मुझे कुछ तो अपने विचार व्यक्त करने ही चाहिए। वैसे भी काफी समय से भारती से आभासी संवाद और आभासी मंचों, पत्र पत्रिकाओं में पढ़ने सुनने का अवसर जब-तब मिल ही जाता है। सबसे अधिक प्रसन्नता तब हुई, जबसे यह ज्ञात हुआ कि मेधा के पिता (श्री राम मणि यादव जी) स्वयं एक वरिष्ठ कवि साहित्यकार हैं। तब से लेकर अब तक उनका स्नेह आशीर्वाद मिलता रहने के साथ संवाद भी जब तब हो ही जाता है। गद्य, पद्य दोनों विधाओं में सतत् सृजनशील संवेदनशील मेधा पारिवारिक दायित्...
मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण है काव्य संग्रह- जीजिविषा
पुस्तक समीक्षा

मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण है काव्य संग्रह- जीजिविषा

काव्य संग्रह का नाम- जिजीविषा रचनाकार का नाम- मोनिका प्रकाशक- बीएफसी पब्लिकेशन गोमती नगर लखनऊ पुस्तक की कीमत- २७० रूपए। पुस्तक समीक्षक- आशीष तिवारी "निर्मल" (रीवा मध्य प्रदेश) देश की वरेण्य कवयित्री लखनऊ निवासी मोनिका जी की काव्य संग्रह जीजिविषा पढ़ने को मिली। इस काव्य संग्रह में मानवीय संवेदना से परिपूर्ण कुल चालीस नई विधा की कवितांए हैं।यह काव्य संग्रह पाठक को चिंतन के धरातल पर ले जाता है। जीवन के सच्चे लगाव को प्रकट करती इन कविताओं मे मानव मन के सरल निश्चल भावों की अभिव्यक्ति समायी है। कविता में चिंतन उसके अर्थ को गहराई प्रदान करता है।काव्य संग्रह 'जीजिविषा' में रचनाकार के सरोकारों का दायरा विस्तृत है और वैयक्तिक भावों के अलावा कवयित्री मोनिका के सामाजिक सरोकार भी बेहद पैनी और सधी भाव भंगिमा भी इन कविताओं में समाहित है। कविता जीवन से आत्मीयता और प्रेम प्रकट करने वाली विधा है। क...
“संवेदना के स्वर” लघु कथाओं का बेहतरीन समुच्चय है
पुस्तक समीक्षा

“संवेदना के स्वर” लघु कथाओं का बेहतरीन समुच्चय है

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** कृति - संवेदना के स्वर कृतिकार - डॉ. संध्या शुक्ल ‘मृदुल’ पृष्ठ संख्या - ८० मूल्य - १०१ रू. प्रकाशन - पाथेय प्रकाशन, जबलपुर समीक्षक - प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे, (प्राचार्य) शा. जे. एम. सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.) वर्तमान की सुपरिचित लेखिका, कवयित्री, लघुकथाकार डॉ. संध्या शुक्ल ’मृदुल’ की ताजातरीन कृति लघुकथा संग्रह के रूप में जो पाठकों के हाथ में आयी है, वह है ‘संवेदना के स्वर’। इस उत्कृष्ट लघुकथा संग्रह में समसामयिक चेतना, परिपक्वता, चिंतन, मौलिकता, विशिष्टता, उत्कृष्टता व एक नवीन स्वरूप को लिए हुए उनसठ लघुकथाएं समाहित हैं। पाथेय प्रकाशन, जबलपुर से प्रकाशित यह लघुकथा संग्रह अस्सी पृष्ठीय है जिसमें वर्तमान के मूर्धन्य साहित्यकारों एवं स्वनामधन्य व्यक्तित्वों ने अपनी भूमिका, आशीर्वचन लिखा है जिनमें डॉ. क...
समरांगण से… पुस्तक समीक्षा
पुस्तक समीक्षा

समरांगण से… पुस्तक समीक्षा

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** पुस्तक समीक्षा समरांगण से... आज की पीढ़ी के लिए अनूठा उपहार ओज के युवा हस्ताक्षर शिक्षक कवि हेमराज सिंह "हेम" की प्रथम कृति "समरांगण से... " को पढ़ते हुए बहुत गर्व की अनुभूति हो रही है कि हमारे बीच का एक युवा ओज लिखते-लिखते इतनी गहराई में उतर गया कि आध्यात्मिकता से भरपूर श्रीमद्भगवत गीता को सरल शब्दों में काव्यमय रुप में आम जनमानस के बीच संपूर्ण गीता को सहज ग्रहणीय कृति के रूप प्रस्तुत करके नई पीढ़ी के कलमकारों के लिए रास्ते खोल दिए हैं। पूज्य पिता श्री राजेन्द्र सिंह जी और माताश्री श्रीमती प्रभात कँवर जी को समर्पित हेम प्रस्तुत महाकाव्य "समरांगण से......की भूमिका में वरिष्ठ साहित्यकार विजय जोशी जी ने लिखा है कि अपने परिवेश में सजगता से यात्रा करता हुआ व्यक्ति जब अपनी संस्कृति और संस्कार के सानिध्...
‘द्वेषद्रोही’ : अधूरी प्रेम कहानियों और जीवन के विगलित रूपों का डरावना दस्तावेज
पुस्तक समीक्षा

‘द्वेषद्रोही’ : अधूरी प्रेम कहानियों और जीवन के विगलित रूपों का डरावना दस्तावेज

  समीक्षक : राजेश ओझा ग्राम वा पोस्ट मोकलपुर जनपद गोण्डा जनपद न्यायालय गोण्डा में विधि व्यवसाय देश के बड़े पत्र पत्रिकाओं में कहानियाँ, लघुकथाएं, पुस्तक समीक्षा आदि का नियमित प्रकाशन।   द्वेषद्रोही दो दिन पहले ही पढ़कर समाप्त किया है। 'देहाती लड़के' के बाद शशांक भारतीय का यह दूसरा उपन्यास है जो हिन्द युग्म प्रकाशन से आया है। शशांक भारतीय मूलतः व्यंग्यकार हैं, लेकिन मन से संवेदनशील भी। चीजों को वे अप‌नी सूक्ष्म दृष्टि से देखते हैं। संवेदनशील मन सदैव वर्तमान की जांच-परख करता रहता है। अपने अद्यतन समाज की जिन्दगी और हर तरफ उठ रही त्रासद झंझाओं का संस्पर्श उसे व्यक्त करने को विवश कर देता है। शशांक जीवन के उन अन्धड़ों को महसूस करके उसका ना केवल यथार्थ निरुपित करने वाले अपितु भविष्य के लिए बेहतर रचनात्मक सुझाव देने वाले उपन्यास कार के रुप में अपने दूसरे उपन्यास 'द्वेषद्रोही'...
सबरस समाहित अद्वितीय कृति है ‘निहारिका’
पुस्तक समीक्षा

सबरस समाहित अद्वितीय कृति है ‘निहारिका’

  पुस्तक का नाम- निहारिका समीक्षक- आशीष तिवारी "निर्मल" रचनाकार- कवि उपेन्द्र द्विवेदी रूक्मेय प्रकाशक- विधा प्रकाशन उत्तराखंड कीमत- २२५ कवि सम्मेलन यात्रा से मैं लौटकर रीवा पहुंचा ही था कि देश के तटस्थ रचनाकार कवि उपेन्द्र द्विवेदी जी का फोन आया कि अल्प प्रवास पर रीवा आया हूं शीघ्र ही राजस्थान निकलना है। मैं बिना समय गवाएं उपेन्द्र जी से मिलने पहुंचा तो एक गर्मजोशी भरी मुलाकात के बाद उन्होंन अपनी एक अद्वितीय व दूसरी कृति 'निहारिका' मुझे भेंट की। इसके पहले मैं उनकी एक राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत कृति राष्ट्र चिंतन पढ़ चुका था। अत: दूसरी कृति पाकर मन प्रसन्न हो गया। उपेन्द्र जी एक संवेदनशील कवि हैं। वे सबरस कविता और गद्य लेखन दोनों में सामर्थ्य के साथ अपनी रचनाओं को अभिव्यक्त करते हैं। कवि उपेन्द्र द्विवेदी काफी समय से लेखन में सक्रिय हैं। दो काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। ...
मालवी बोली को समृद्ध करता उपन्यास ‘किनारा की खोज’
पुस्तक समीक्षा

मालवी बोली को समृद्ध करता उपन्यास ‘किनारा की खोज’

 पुस्तक : 'किनारा की खोज' अनुवादक : हेमलता शर्मा 'भोलीबेन' प्रकाशक : प्रिन्सेप्स प्रकाशन, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) मूल्य : १०/- रु. पृष्ठ : ८६ समीक्षक :- राम मूरत 'राही', इन्दौर (म.प्र.) विख्यात व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई के लघु उपन्यास 'तट की खोज' का मालवी बोली में 'किनारा की खोज' नाम से अनुवाद किया है साहित्यकार सुश्री हेमलता शर्मा 'भोलीबेन' ने। अनेक सम्मान से सम्मानित भोलीबेन कविता, व्यंग्य, लघुकथा, कहानी, आलेख एवं संस्मरण भी लिखती हैं, साथ ही वे एक रंगमंच कलाकार, मंच संचालक भी हैं। मालवी बोली के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु निरंतर कार्यरत हैं। पिछले वर्ष उन्होंने 'अपणो मालवों भाग-१ में 'मालवी लोकोक्तियां एवं मुहावरे' का संकलन निकाला था, जिसे पाठकों द्वारा काफी पसंद किया गया था। उन्होंने मालवी बोली के पाठकों, और इस बोली में रुचि रखने वालों को नाम मात्र की कीमत (१० रु.) में उपलब्ध करव...
जीवन जीने के लिए लड़े जाने वाले अंतहीन युद्ध को समर्पित है पुस्तक “यही सफलता साधो”
पुस्तक समीक्षा

जीवन जीने के लिए लड़े जाने वाले अंतहीन युद्ध को समर्पित है पुस्तक “यही सफलता साधो”

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** पुस्तक का नाम - यही सफलता साधो रचनाकार - कवि संदीप द्विवेदी प्रकाशक - ब्ल्यूरोज़ संस्करण - प्रथम (मार्च २०२१) कीमत - १६० रूपये समीक्षक - आशीष तिवारी निर्मल अपने दौर को तो सभी साहित्यकार अपनी कलम के माध्यम से दर्ज करने का सफल प्रयास करते हैं, लेकिन ऐसे चंद ही रचनाकार होते हैं, जिन्हें उनका दौर इतिहास में उनके प्रभावी लेखन के कारण कुछ ख़ास तरह से दर्ज करता है। जी हाँ! मै आज एक ऐसे ही उर्जावान रचनाकार और उनकी रचनात्मकता की चर्चा करने जा रहा हूँ, जो अपने सुघड़ लेखन के कारण हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान के बाहर सुने जाते हैं और पढ़े जाते हैं। कवि श्री संदीप द्विवेदी देश के उन युवा रचनाकारों की श्रेणी में आते हैं जो किसी भी पाठक या श्रोता के हृदय में सदैव सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। कवि संदीप द्वारा विरचित काव्य कृति "यही सफ...
दम तोड़ती मानवता के गाल पर तमाचा है पुस्तक पैसा बोलता है।
पुस्तक समीक्षा

दम तोड़ती मानवता के गाल पर तमाचा है पुस्तक पैसा बोलता है।

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** पुस्तक का नाम- पैसा बोलता है रचनाकार- गंगा प्रसाद त्रिपाठी 'मासूम' संस्करण- प्रथम प्रकाशक- विश्व साहित्य प्रकाशन प्रयागराज पुस्तक कीमत-१०० पुस्तक समीक्षक- आशीष तिवारी निर्मल पिछले दिनों मैं संगम नगरी प्रयागराज की साहित्यिक यात्रा पर था। प्रयागराज के सुप्रिसिद्ध कवियों, शायरों से मुलाकात हुई। इस दौरान देश के युवा कुशल व्यंग्यकार गंगा प्रसाद त्रिपाठी 'मासूम' द्वारा विरचित काव्य कृति 'पैसा बोलता है' प्राप्त हुई। काव्य संग्रह का सघन अध्ययन करने के पश्चात मैंने पाया कि उक्त काव्य संग्रह में अंधी दौड़ में शामिल गिरावट के आखिरी पायदान पर पड़ी गिरती हुई आदमीयत और मानव जीवन के विविध् प्रसंगो को स्वंय में संजोए गीत, ग़ज़ल, व्यंग्य, मुक्तक, कविता सहित कुल ३२ एक से बढ़कर एक रचनाएँ हैं। गंगा प्रसाद त्रिपाठी 'मासूम' की कृतियाँ क्रमश: दूसरी आज...
राष्ट्र के प्रति नकारात्मक धारणा को तोड़ती है पुस्तक “राष्ट्र चिंतन”
पुस्तक समीक्षा

राष्ट्र के प्रति नकारात्मक धारणा को तोड़ती है पुस्तक “राष्ट्र चिंतन”

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ********************  काव्य संग्रह का नाम- राष्ट्र चिंतन रचनाकार- उपेन्द्र कुमार द्विवेदी  प्रकाशक- रवीना प्रकाशक दिल्ली  कीमत- ३०० रुपये  समीक्षक- आशीष तिवारी निर्मल  राष्ट्र चेतना के मुखर कवि श्री उपेन्द्र कुमार द्विवेदी द्वारा विरचित उनका पहला काव्य संग्रह "राष्ट्र चिंतन" हाथ में आया। काव्य संग्रह की साज-सज्जा देश भक्ति की भावना से ओतप्रोत है। मुख पृष्ठ पर आजादी के दीवाने चंद्रशेखर आज़ाद की तस्वीर प्रमुखता के साथ छपी है। काव्य संग्रह "राष्ट्र चिंतन" में प्रकाशित कविताओं के माध्यम से रचनाकार ने राष्ट्रवाद के चिंतन, राष्ट्र के इतिहास और विकास को प्रस्तुत किया है। लेखक ने राष्ट्र चिंतन में भारत से संबंधित विविध विचारों को देश की संस्कृति, सामाजिक समरसता, वेदों, उपनिषदों, और आधुनिक समय में राष्ट्र की संकल्पना ने कैसे आकार लिया है, उसको व...
डॉं. मसानिया कृत शोध नवाचार शिक्षा जगत के लिये उपयोगी
पुस्तक समीक्षा

डॉं. मसानिया कृत शोध नवाचार शिक्षा जगत के लिये उपयोगी

                                 आगर मालवा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आगर के व्याख्याता डॉ. दशरथ मसानिया साहित्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां दर्ज हैं। २० से अधिक पुस्तके, ५० से अधिक नवाचार है। इन्हीं उपलब्धियों के आधार पर उन्हें मध्यप्रदेश शासन तथा देश के कई राज्यों ने पुरस्कृत भी किया है। डॉं मसानिया विगत १० वर्षों से हिंदी गायन की विशेष विधा जो दोहा चौपाई पर आधारित है, चालीसा लेखन में लगे हैं। इन चालिसाओं को अध्ययन की सुविधा के लिए शैक्षणिक, धार्मिक महापुरुष, महिला सशक्तिकरण आदि भागों में बांटा जा सकता है उन्होंने अपने १० वर्ष की यात्रा में शानदार ५० से अधिक चालीसा लिखकर एक रिकॉर्ड बनाया है। इनका प्रथम अंग्रेजी चालीसा दीपावली के दिन सन २०१० में प्रकाशित हुआ तथा ५० वां चालीसा रक्षाबंधन के दिन ३ अगस्त २०२० को सूर्यकांत निराला चालीसा प्रकाशित हुआ। रक्षाबंधन के मंगल पर्व पर डॉ दशर...
प्रदूषण मुक्त सांसें : पर्यावरण की महत्ता बताती जरूरी किताब
पुस्तक समीक्षा

प्रदूषण मुक्त सांसें : पर्यावरण की महत्ता बताती जरूरी किताब

योगेश कुमार गोयल नजफगढ़ (नई दिल्ली) ******************** पुस्तक : प्रदूषण मुक्त सांसें लेखक : योगेश कुमार गोयल पृष्ठ संख्या : १९० प्रकाशक : मीडिया केयर नेटवर्क, ११४, गली नं. ६, एमडी मार्ग, नजफगढ़, नई दिल्ली-११००४३ मूल्य : २६० रुपये समीक्षक : लोकमित्र हाल के सालों में यह पहला ऐसा मौका है, जब पिछले कुछ महीनों में दुनिया के बिगड़ते पर्यावरण और प्रदूषण की किसी गहराती समस्या ने हमारा ध्यान नहीं खींचा। शायद इसकी वजह यह है कि दुनिया पिछले कुछ महीनों से कोरोना संक्रमण के चक्रव्यूह में फंसी हुई है, नहीं तो कोई ऐसा महीना नहीं गुजरता, जब बिगड़ते पर्यावरण की बेहद चिंताजनक और ध्यान खींचने वाली कोई खबर दुनिया के किसी कोने से न आती हो। वास्तव में २१वीं सदी की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी या आतंकवाद नहीं है। इनसे भी बड़ी समस्या हर तरह का बढ़ता प्रदूषण है, जिसके कारण धरती पर लगातार विनाश का खतरा मंडरा रहा...
कोमल किसलय (काव्य संग्रह) : पुस्तक समीक्षा
पुस्तक समीक्षा, साहित्य

कोमल किसलय (काव्य संग्रह) : पुस्तक समीक्षा

राजेश कुमार शर्मा "पुरोहित" भवानीमंडी (राज.) ******************** पुस्तक समीक्षा कृति :- कोमल किसलय (काव्य संग्रह) लेखक :- ग्यारसीलाल सेन प्रकाशक :- सुधाकर साहित्य समिति, झालावाड़ (राजस्थान) मूल्य :-१२५/- पृष्ठ :- ८९ समीक्षक :- राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित" झालावाड़ राजस्थान के वरिष्ठ कवि एवम साहित्यकार विचारक, चिंतक ग्यारसीलाल सेन ख्यातिनाम लेखक है। आपने अपनी काव्य कृतियों से राष्ट्र में अलग ही पहचान बनाई है। नवोदित कवियों के आप प्रेरणा स्रोत हैं। प्रस्तुत कृति कोमल किसलय काव्य संग्रह उनके पिता श्री किशनलाल जी व माता केशर देवी को समर्पित कृति है। मुखावरण बहुत सुन्दर है। सेन के ट्रेवल पिक्चर्स, अभिव्यक्ति का आत्मदान, आदि निबन्ध संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। आपकी रचनाएँ राष्ट्र की पत्र पत्रिकाओं में नियमित छपती है। प्रस्तुत कृति की भूमिका देश के सुप्रसिद्ध कवि बालकवि बैरागी जी ने लिखी है ज...