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राष्ट्र के प्रति नकारात्मक धारणा को तोड़ती है पुस्तक “राष्ट्र चिंतन”

आशीष तिवारी “निर्मल”
रीवा मध्यप्रदेश

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 काव्य संग्रह का नाम- राष्ट्र चिंतन
रचनाकार-
उपेन्द्र कुमार द्विवेदी
 प्रकाशक- रवीना प्रकाशक दिल्ली
 कीमत- ३०० रुपये
 समीक्षक- आशीष तिवारी निर्मल

 राष्ट्र चेतना के मुखर कवि श्री उपेन्द्र कुमार द्विवेदी द्वारा विरचित उनका पहला काव्य संग्रह “राष्ट्र चिंतन” हाथ में आया। काव्य संग्रह की साज-सज्जा देश भक्ति की भावना से ओतप्रोत है। मुख पृष्ठ पर आजादी के दीवाने चंद्रशेखर आज़ाद की तस्वीर प्रमुखता के साथ छपी है। काव्य संग्रह “राष्ट्र चिंतन” में प्रकाशित कविताओं के माध्यम से रचनाकार ने राष्ट्रवाद के चिंतन, राष्ट्र के इतिहास और विकास को प्रस्तुत किया है। लेखक ने राष्ट्र चिंतन में भारत से संबंधित विविध विचारों को देश की संस्कृति, सामाजिक समरसता, वेदों, उपनिषदों, और आधुनिक समय में राष्ट्र की संकल्पना ने कैसे आकार लिया है, उसको विस्तार से समझाया है। लेखक ने चिंतन की गहराई तक उतरकर देश के महत्वपूर्ण तथ्य पाठकों के बीच रखे हैं। “राष्ट्र चिंतन” काव्य संग्रह वैदिक काल से आधुनिक काल के बीच की कड़ी को मिलाकर इतिहासविदों एवं राष्ट्र के प्रति सचेष्ट अध्ययन के उत्सुकजनों को सीधे प्रभावित करती है। लेखक ने राष्ट्र चिंतन एवं राष्ट्र के विकास को एक लयात्मक सुव्यवस्थित आकार दिया है। इन दिनों हमारे हिन्दुस्तान में राष्ट्रवाद से और राष्ट्र चिंतन से जुड़ी बहस, बात विवाद चरमोत्कर्ष पर है। देश में राष्ट्र के प्रति लोगों की स्वीकार्यता एवं समर्पण भाव बढ़ा है। काव्य संग्रह “राष्ट्र चिंतन” को पढ़ने के बाद पाठकों के मन से राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद के प्रति बनाई गई नकारात्मक धारणा अवश्य टूटेगी। हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर, समाजिक समरसता, आपसी भाईचारा, राष्ट्र भक्ति, विभिन्नता में एकात्म चर्चा का एक विस्तार स्वरूप काव्य संग्रह है राष्ट्र चिंतन। यह काव्य संग्रह ऐसे समय पर लिखा गया है जब भारत विरोधी एक कुनबा देश को बदनाम करने का षड्यंत्र रच रहा है। ऐसे समय पर देश में अपनेपन की अलख जगाने में यह काव्य संग्रह नि:सन्देह सफल होगा। काव्य संग्रह में यह बताने का यह बखूबी प्रयास किया गया है कि भारतीयता और राष्ट्रीयता दोनों ही एक दूसरे के समकक्ष है। विरचित काव्य संग्रह में काव्यात्मक ढंग से बताया गया है कि भारत का राष्ट्रवाद उदार है। उसमें सबके लिए स्थान है। सबको साथ लेकर चलने का आह्वान है। जिनको राष्ट्र चिंतन और राष्ट्रवाद को लेकर कहीं भी संशय लगता है तो एक बार वो राष्ट्र चिंतन काव्य संग्रह अवश्य पढ़ें ताकि वह यह जान सकें कि हिन्दुस्तान का युवा और देश में रहने वाला एक सच्चा राष्ट्र भक्त नागरिक अपने वतन के लिए कितने समर्पण भाव के साथ देश के लिए देश के हित में चिंतन करता है। राष्ट्र चिंतन पुस्तक को संपूर्ण से प्रस्तुत करते हुए कवि उपेन्द्र कुमार द्विवेदी ने स्वयं के एवं देश सच्चे राष्ट्र भक्त लोगों के स्वर को काव्यात्मक शैली में सलीके से प्रस्तुत करके ओजमयी उर्जा का संचार किया है। उन्मुख देश के गौरवशाली इतिहास और भारत की सांस्कृतिक विरासत राष्ट्र भक्ति के स्याही से लिखने के लिए पाठकों की ओर से लेखक को हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ। आशा करता हूँ आप इसी तरह समय-समय पर देश के युवाओं को जागृति करने के लिए उनमें राष्ट्र भक्ति संचार करने के लिए ऐसे काव्य संग्रह लिखते रहेंगे।

परिचय :- आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल वर्तमान समय में कवि सम्मेलन मंचों व लेखन में बेहद सक्रिय हैं, अपनी हास्य एवं व्यंग्य लेखन की वजह से लोकप्रिय हुए युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल की रचनाओं में समाजिक विसंगतियों के साथ ही मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण, भारतीय ग्राम्य जीवन की झलक भी स्पष्ट झलकती है, इनकी रचनाओं का प्रकाशन एवं प्रसारण विविध पत्र-पत्रिकाओं एवं दूरदर्शन- आकाशवाणी के विविध केंद्रों से निरंतर हो रहा है। वर्तमान समय पर हिंदी और बघेली के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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