गुरू
गगन खरे क्षितिज
कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश)
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अमन चैन शांति का
जब पाठ पढ़ाते हैं,
हमारी संस्कृति सभ्यता
संस्कारों परम्पराओं का
भारतीयता लिए मातृभाषा
शब्दों में उभर कर ब्रह्मा
विष्णु महेश का सार्थक
स्वरूप हर भारतीयों में
नज़र आती हैं।
गुरू की महिमा गुरू ही जाने,
गुरु गोविंद दोनों खड़े
काके लागूं पाय
बलिहारी गुरु आपकी
जो गोविंद दियो बताए,
जाने प्रतिभा लक्ष्य साधकर
समर्पित एकलव्य ने परिभाषा
किया गुरूचरणों में,
अमृततुल्य निस्वार्थ
अपनी प्रतिभा से
गुरूपद निखार दिया
जनमानस में भारतीयता
लिए नज़र आतीं हैं।
प्रलोभन निस्वार्थ भाव से
जो भारतीयता में मिलती हैं
समर्पण भाव सृष्टिकर्ता
ईश्वर के प्रति एकरूपता
विश्व में कहीं नहीं मिलती
तभी तो भारतीयता
गुरूचरणों में पथप्रदर्शक
बनकर के आ जाती हैं।
सदीयों से जिन्दगी
सुख दुःख का मेला है
महापुरुषों ने...