किसानों के हमदर्द
अख्तर अली शाह "अनन्त"
नीमच
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कब तक कहोगे कर रहे हैं हम सितम यहां।
सबसे बड़े किसानों के हमदर्द हम यहां।।
हम जय जवान जय किसान कहेंगे शान से।
आते हैं हम भी हलधरों के खानदान से।।
प्यारे हैं सभी आप हमें अपनी जान से।
परखेगें मगर अपने ही चश्मे से ज्ञान से।।
कबत क कहोगे कर रहे हैं हम सितम यहां।
सबसे बड़े किसानों के हमदर्द हम यहां।।
कीचड़ से निकालेंगे करो मत उधम, सुनो।
खेती परंपरा की नहीं रखती दम, सुनो।।
मत रोको रास्तों को नहीं हम भी कम सुनो।
कानून को हाथों में न लो बन अधम सुनो।।
कब तक कहोगे कर रहे हैं हम सितम यहां।
सबसे बड़े किसानों के हमदर्द हम यहां।।
तुम टूट चुके क्या करोगे और बिखर कर।
रोते रहे कम कीमतों को ले इधर-उधर।।
खेती नहीं है लाभ का धंधा चलो शहर।
पक्के मकान देंगे तुम्हें चैन उम्र भर।।
कब तक कहोगे कर रहे हैं हम सितम यहां।
सबसे बड़े किसानों के हमदर्द हम यहां।।
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