मन
डॉ. स्वाति सिंह
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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न हारना है, न थकना है
हमें तो बस संघर्ष करना है
पल पल में चुनौती है
जिसे स्वीकार करना है
ये वक़्त है
बड़ा सख्त है
सब पस्त हैं, सब त्रस्त हैं
प्रश्न खड़े मुंह बाएं हैं
क्या हो गया, क्या हो रहा
क्या होएगा, क्या खोएगा
ये कैसी विपदा आई है
जिसका न कोई समाधान है
विचलित है मन, विव्हल बहुत
पर! न थकना है, न उद्वेलित होना है
न संयम खोना है
हमें तो बस मन को संजोना है
भारत कर्म की भूमि है
जहां गीता ही समाधान है
चुनौतियां हमने देखी हैं
स्वीकारी कभी न हार है
हम संघर्षों में खेले हैं
अंधेरे हमने चीरे हैं
जो जीता है वही सिकंदर है
विजय वहीं जिसे न डर है
हम उस मिट्टी की शान है
कभी बढ़ती है
तो कहीं घटती है
जिंदगी तो है एक समीकरण
सुलझाना, समझना पड़ता है
धीरज से सब सम्हलता है
चरेवेती चरेवेती, जिंदगी का नाम है
न हारना है, न थकना है
हमें तो बस सं...























