प्रकृति
गायत्री ठाकुर "सक्षम"
नरसिंहपुर, (मध्य प्रदेश)
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प्रकृति का रूप निराला,
अनुपम सौंदर्य का प्याला।
सर, सरिता, नद और सागर,
निर्झर करते गान दे ताला।
हरियाली लगती है सुखकर,
पुष्प वाटिका दिखती सुंदर।
विविध प्रकार के वृक्ष अनूठे,
पत्र, प्रसून, फल समेटे अंदर।
पर्वत और पठार विशाल,
सजा रहे वसुधा का भाल।
नील गगन की चादर फैली,
सघन मेघ करते हैं निहाल।
रंग बिरंगी तितलियां उड़तीं,
भ्रमर करते वाटिका गुंजन।
जुगनू जहां तहां से चमकते,
सुरभित बहती 'सक्षम' पवन।
परिचय :- गायत्री ठाकुर "सक्षम"
निवासी : नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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