वादियाँ बुला रही है
सोनल सिंह "सोनू"
कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़)
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शहरी चकाचौंध से दूर,
कोलाहल से इतर,
सुकूं से गुजारने दो पल,
ये वादियाँ बुला रही हैं।
पक्षियों का कलरव,
नदियों की कल-कल,
प्रकृति का संगीत सुनाने,
ये वादियाँ बुला रही हैं।
फूलों से सजी ये घाटियाँ,
बर्फीली ये चोटियाँ,
इन्हें जी भर निहारने,
ये वादियाँ बुला रही हैं।
पर्वतों की सर्पिल डगर,
झरनों की ये झर-झर,
नजारों को मन में बसाने,
ये वादियाँ बुला रही हैं।
चारों ओर बिखरी हरियाली,
उगते सूरज की लाली,
उर में भरने आनंद समंदर,
ये वादियाँ बुला रही हैं।
परिचय - सोनल सिंह "सोनू"
निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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