तीज
होशियार सिंह यादव
महेंद्रगढ़ हरियाणा
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सावन शुक्ल तृतीया, कहाए पर्व तीज,
हरियाली चहुं ओर, टिड्डे जाते हैं रीझ,
पूरे देश में पर्व मनाते, परंपरा है पुरानी,
शिव पार्वती की पूजा, सुनते हैं कहानी।
सावन के झूले पड़े, मन में उठे हिलौर,
झूला देती सखियां, छुप हुआ चितचोर,
सावन की घटा छाई, नाचे मन का मोर,
पानी लेने चल पड़े, बिजली चमके घोर।
हरियाली तीज आई, मिलती मिठाई घेवर,
आपस में बात करते, भाभी संग में देवर,
बतासों का उपहार, आये बेटी के ससुराल,
नई नवेली दुल्हन के, मन में एक सवाल।
दादुर सुर में गा रहे, टिड्डे छेड़े राग मल्हार,
साजन सजनी तरस रहे, ऑँखों में है प्यार,
एक साथ पड़ रही, नभ से बूंद कई हजार,
चकवा चकवी ताक रहे, अब डूबेंगे प्यार।
विरह में डूबी हुई, एक नवेली झूला झूले,
सोच रही क्या बात हुई, साजन हमको भूले,
आये ना यह विरह की रात, करती है बेचैन,
जब विदेश से साजन आये, तब ...























