तीसरी लहर
ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)
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तीसरी लहर आ रही है
इस मानवी शताब्दी मे
हर ओर है और होगी नयापन
इस सभ्यता की तीसरी लहर मे
वासनाए घुरेगी इस तीसरी लहर मे
फैसन नहीं नंगापन
श्रृंंगार नहीं शरारत
इस तीसरी लहर मे
अंग प्रदर्शन पहले भी
हुआ करती थी
अंजता की गुफाओं मे
पर्दे के अन्दर छुप छुपकर।
यादगार विज्ञान की सूत्र मे
विज्ञान नहीं सिखाती मिट्टी मिल जाओ।
अपनी संस्कृति की धज्जि उड़ाओ
शराब पीना हानीकारक हैं
फिर भी पीते है अधिकाशं
आधुनिकता के पोषक।
इस तीसरी लहर मे
अंग प्रदर्शन अपराध के जनक है
आए दिन ऐसी खबर
समाचार पत्र भी देती है
अपराध बढती जा रही है
इस मानवी शताब्दी मे।
कुछ अटपटी तेवर बदल रहे है
शस्त्रों की होड़ मे जी जान तोड़ के
एटोमिक रिएक्टर मे
एटम हाइड्रोजन बम बन रहे है
दुरमारक प्रक्षेपास्त्र से
विनाशकारी लीबास हम सज रहे है
अंधकार की गहन कूप मे
धीरे धीरे खिसक रहे हैं।
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लेखक...