उठालो कलम
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सुभाष बालकृष्ण सप्रे
भोपाल म.प्र.
समांत :- आ
पदांत :- गया है
“उठालो कलम समय ये कैसा आ गया है,
हर शहर मेँ मानव भय से घबरा गया है,
चहकतीँ थीँ चिडियाँ, जिन घरोंदे मेँ, अब तक,
वहाँ पर शमशान का सन्नाटा छा गया है,
जिन बडी ऊम्मीदोँ से बनाये थे हमने घरोंदे,
बरसोँ से कोई वहाँ, झाकने भी नहीँ गया है,
जिस माँ से घंटोँ होती थी, बच्चोँ की बातचीत,
दो मिनिट बात के लिये, कोई, तरसा गया है,
छिटक दो सारे दुख, अपना कर किसी गैर को,
ईश्वर पर अटूट विश्वास का समय आ गया है.”
लेखक परिचय :-
नाम :- सुभाष बालकृष्ण सप्रे
शिक्षा :- एम॰कॉम, सी.ए.आई.आई.बी, पार्ट वन
प्रकाशित कृतियां :- लघु कथायें, कहानियां, मुक्तक, कविता, व्यंग लेख, आदि हिन्दी एवं, मराठी दोनों भाषा की पत्रीकाओं में, तथा, फेस बूक के अन्य हिन्दी ग्रूप्स में प्रकाशित, दोहे, मुक्तक लोक की, तन दोहा, मन मुक्तिका (दोहा-मुक्तक संक...