नाम जब भा गया
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नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार म.प्र.
नाम जब भा गया दोस्ती का।
मिल गया रास्ता बन्दगी का।
सामने आप आकर जो बैठे,
आ गया तब मज़ा मयकशी का।
खिड़कियाँ जब हवाओं ने खोली,
तब पता पा लिया रोशनी का।
कश्तियों के सफ़र की तरह फिर,
चल पड़ा सिलसिला जिंदगी का।
है हमारी रवायत नहीं ये,
क़ायदा है यही हर किसी का।
लेखक परिचय :-
नाम ...नवीन माथुर पंचोली
निवास.. अमझेरा धार म.प्र.
सम्प्रति... शिक्षक
प्रकाशन... देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित।
सम्मान... साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह।
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