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पद्य

कुछ दूरियाँ बना लो … सब लोग क्या कहेंगे …
ग़ज़ल

कुछ दूरियाँ बना लो … सब लोग क्या कहेंगे …

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण" इन्दौर (मध्य प्रदेश)  ******************** होती नहीं उजागर, तो और बात होती। होती जो बात घर पर, तो और बात होती।। पहरे लगे हुए थे, वातावरण था भय का, होता नहीं अगर डर, तो और बात होती।। कुछ दूरियाँ बना लो, सब लोग क्या कहेंगे, होते कहीं जो बाहर, तो और बात होती।। सरनाम थे कभी जो, बदनाम इश्क में हैं, करते न प्यार पथ पर, तो और बात होती।। मन में दबा रखी है, हर बात बावरी ने, होती जो बात खुलकर, तो और बात होती।। आकाश के सितारे, लटके हुए टंँगे हैं, बसते अगर धरा पर, तो और बात होती।। कैसा सवाल था यह, तुम भी न कर सके हल, देते सटीक उत्तर, तो और बात होती।। पानी यहाँ कहाँ है, मरुथल मलाल का है, मिलता अगर सरोवर, तो और बात होती।। यह जान भी न जाती, नुकसान भी न होता, लाते जो "प्राण" को घर, तो और बात होती।। परिचय :- गिरेन्द्रसिंह भदौर...
मेरी आस
कविता

मेरी आस

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** रवि रश्मि से लेकर शिक्षा बढ़ते रहो घने तम में तिमिर दूर होगा एक दिन तो शांति मिलेगी जीवन में। शीतल, श्वेत, स्वच्छ, अंतर मन तू जैसे चंद्र का शीतल प्रकाश जीवन रण में उज्जवल हो तुम यही एक मेरी आस। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं ...
हरिगीतिका छन्द
छंद

हरिगीतिका छन्द

डॉ. भावना सावलिया हरमडिया, राजकोट (गुजरात) ******************** हरिगीतिका छन्द हे माँ भवानी ! हम खड़े कबसे, तुम्हारे धाम हैं। हे शक्ति रूपा नित्य रटते, नाम आठों याम हैं। आए शरण जो आस लेकर, पूर्ण करती काम हैं । हम भूल सकते एक पल भी, कब तुम्हारा नाम हैं।। माँ कर कृपा इतनी हृदय से, द्वेष ईर्ष्या दूर हो। मंगल महकते भाव मन में, चेतना भरपूर हो। हुंकार माँ ऐसी भरो सब, आलसी जन शूर हों। मन के तिमिर सब दूर होकर, सूर्य-सा नित नूर हो।। वाणी मधुर हम बोल कर मन, में अमिय रस घोल दें। इतनी कृपा कर दो कि दिल के, द्वार सबके खोल दें। माँ दो अभय वरदान हमको, सत्य सबसे बोल दें। हम सत्य के पथ पर चलें यह, साधना अनमोल दें।। परिचय :- डॉ. भावना नानजीभाई सावलिया माता : वनिता बहन नानजीभाई सावलिया पिता : नानजीभाई टपुभाई सावलिया जन्म तिथि : ३ अप्रैल १९७३ निवास : हरमडिया, राजकोट सौराष्ट्र (गु...
सपने सजाये बैठा हूँ
कविता

सपने सजाये बैठा हूँ

प्रमेशदीप मानिकपुरी भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़) ******************** दिल मे कितना बोझ लिये बैठा हूँ दिल मे दर्द के सैलाब लिए बैठा हूँ बहुत दूर तलक है अंधेरा ही मगर पर उम्मीदों की दिये जलाये बैठा हूँ अंधेरा भी मिट जायेगा एक दिन बाहरें फिर लौट आयेगी एक दिन एक दिन आयेगी रौशनी कंही से मन को अब ये समझाये बैठा हूँ रात के बाद दिन का आना तय है दुख के बाद सुख का आना तय है आयेगी नूतन किरण अब नभ से अब सूरज से नजर मिलाये बैठा हूँ अरमानो से सजी सब रातें होंगी खुशियों की नित अब बातें होंगी हर दिन होगी खुशियों का मेला मन मे यह विश्वास जगाये बैठा है कितने सपने भी अब टूट रहें है कितने अपने भी अब छुट रहें है टूटती तारों संग जाने क्यों कर नवीनतम सपने सजाये बैठा हूँ परिचय :- प्रमेशदीप मानिकपुरी पिता : श्री लीलूदास मानिकपुरी जन्म : २५/११/१९७८ निवासी : आमाचानी पोस्ट- भोथीडीह जिला- ...
चंदन पटली की चौकी पर
भजन

चंदन पटली की चौकी पर

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** शारदेय नवरात्रि आ गई, अब पांडाल सजे हैं। घर-घर बंदनवार शोभते, औ रण तूर्य बजे हैं। माता रानी आज आ रहीं, घर-घर बजे बधाई। हुआ आगमन शुभ्र शरदका, आज शुभ घड़ी आई। नवराते माता रानी के, मिलकर सभी मनाते। वंदनवार फूल मालायें, चुन-चुन पुष्प बनाते। चंदन पटली की चौकी पर, माता आज बिराजें। सुंदर कलश सजे हैं प्यारे, मृदु धुन बाजे बाजें। मंगल गीत गूँजते चहुँ दिश, लगा रहे जयकारा। सजा हुआ माता रानी का, है पंडाल न्यारा। भक्त मंडली भजन गा रही, चौकी है माता की। बनी रहे सारे भक्तों पर, कृपा आज दाता की। पूजा की थाली लेकर अब, भक्त मंडली जाती। लाल चुनरिया ओढ़ शीश पर, भजन प्रेमसे गाती। रक्त पुष्प सँग लाल चुनरिया, माता को भाती है। भक्त मंडली माँ दुर्गा से, आशीषें पाती है। माता की चौकी अति प्यारी, माँ को मोहित करती। मानव के जी...
अंतिम संस्कार
कविता

अंतिम संस्कार

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** नाम बदलिये अपने महत्वपूर्ण संस्कारों के साहबानों, सिर्फ मुझे पता है आपके संस्कारों के नाम पर अब तक कितना लुटा चुका हूं, अपनी जमीन भी गंवा चुका हूं, मृत्यु पूर्व इलाज कराना मेरा फर्ज़ था, मृतक के दिए जीवन का चुकाना कर्ज़ था, मृत्यु के दिन, जोर देकर सभी की उपस्थिति में आपने कहा था ये अंतिम संस्कार जरूरी है, किया मैंने अंतिम संस्कार, जिसके लिए कर दिया था और भी जरूरी कार्यों को दरकिनार, विधान कह करवा सम्पूर्ण श्रृंगार, कहा कर लो आखिरी दीदार, मिट्टी कार्य के बाद तीसरे और दसवें दिन फिर करने पड़े थे कुछ संस्कार, जिसे आपने नाम दिया है मृत्युभोज, अब तक हैरान हूं ये है किसकी खोज, गांव, परिवार, रिश्ते नाते सबको खिलाया, घर के अंतिम दाने को भी मिलाया, बड़ी मुश्किल से कुछ महीनों में जिंदगी को पटरी पर ला ...
मेरी कामना
कविता

मेरी कामना

हितेश्वर बर्मन डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** हे नारी तुम नि:संदेह बहुत शक्तिशाली हो, हजारों मर्दों की भीड़ भी तुम्हें देखकर खामोश हो जाती है। इतिहास में एक वीरांगना लक्ष्मीबाई ऐसी भी थी, जिसके सिर्फ ख्यालों से ही पूरी नारी जाति जोश में आ जाती है। हे नारी तुम बहुत ही भाग्यशाली हो, सभी व्रतों, त्यौहारों में सिर्फ तुम ही उपवास रहती हो। सभी धर्मों, परंपराओं को मर्दों ने ही बनाया है, लेकिन तुम ही परंपराओं को निभाती रहती हो। हे नारी तुझमें बहुत सहनशीलता है, तुमनें सदियों से बहुत यातनाएं झेली है। कभी सती प्रथा के नाम पर चिता में जिंदा जली है, तो कभी दहेज के नाम पर प्रताड़ना झेली है। हे नारी तुम्हारे भीतर असीम शक्ति छिपी हुई है, तुम्हें अपनी शक्ति को नये आयाम के साथ गढ़नी होगी। आज दिन पर दिन तुम पर अत्याचार हो रहें है, अपने स्वाभिमान के ...
आया है नवरात्रि का त्योहार
भजन

आया है नवरात्रि का त्योहार

सोनल मंजू श्री ओमर राजकोट (गुजरात) ******************** आया है नवरात्रि का त्योहार। नवरात्रि में माँ का सजेगा दरबार। गली-गली गूँजेंगे भजन कीर्तन, माँ अंबे की होगी जय जय कार।। आयी है होकर शेरों पर सवार। माता ने किये है सोलह श्रृंगार। लगे सौम्य सुंदर मुखड़ा माँ का, दिखता आँखों में असीम प्यार।। माँ ने करने को भक्तों का उद्धार। नवरात्रि में लिये थे नौ अवतार। पाप जब बढ़ गया था दुष्टों का, किया था माँ ने असुरों का संहार।। मेरा हृदय है मइया आपका द्वार। आपकी कृपा से होगा बेड़ा पार। सुख, समृद्ध, स्वस्थ हो प्रियजन, सुनो इतनी अरज करो उपकार।। जगदम्बे अब फिर से लो अवतार। या भर दो बेटियों में शक्ति अपार। डाले जो कोई उनपर गन्दी नजर, चंडी बनके कर दे दुष्टों का संहार।। परिचय - सोनल मंजू श्री ओमर निवासी : राजकोट (गुजरात) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुर...
पापा
कविता

पापा

निरुपमा मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** लड़खड़ा कर गिरा पहली बार जब मैं, तुमने बाहें बढ़ाकर संभाला मुझे; उंगली थामी थी तुमने मेरी ज़ोर से, फिर गिरने से पहले उठाया मुझे। लड़खड़ा ...... घोड़ा बनने को जब मैंने तुमसे कहा, तुमने पीठ पर अपनी मुझको चढ़ाया; हराया था मैंने दोस्त को दौड़ में, मेरे बस्ते को तब तुमने उठाया। लड़खड़ा ...... कंटक भरी राह पर चलना सिखाया, तुमने उड़ना सिखाया सपनों को मेरे; पहचान कराया स्वाभिमान से मेरा, मेरा अभिमान हो पापा तुम मेरे। लड़खड़ा ..... मैं खड़ा जब हुआ अपने पैर पर, सोचा बोझ तुम्हारा कुछ कम करूं; तुम बोले कि मैं हूं पापा तेरा, अब मित्र बनकर सदा हम रहें। लड़खड़ा ...... आयु ने पापा को कभी छेड़ा नहीं, कंधे उनके अभी भी झुके ही नहीं; मेरे बेटे के साथ लगाते ठहाका, मैं किनारे खड़ा मुस्कुराता रहा। लड़खड़ा .... ...
बेटी
कविता

बेटी

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** अनचाही होकर भी बेटी मन को सम्मोहित कर लेती है उसकी नन्हीं चितवन ही अनचाही को चाही कर देती है ह्रदय मर्म को छूनेवाली वही एक नारी है किन्तु भावनाशून्य पिता को वही एक भारी है बेटी न केवल पुत्री है रमा, शारदा, वह दुर्गा है बलिदान, त्याग, ममता की मूर्ति अमित सौहार्द, सहनशक्ति गृहलक्ष्मी बन असहज क्षणों में सखी-सहेली बन जाती है माँ बन वह ममता का सारा कोष लुटाती है भगिनी बनकर स्नेहसूत्र में बाँध सभी को लेती है पत्नी बन वह न्योछावर साँसें अपनी कर देती है। शिक्षित होकर वह माँ सरस्वती बन जाती है प्रश्न उठे गृहरक्षा का जब दुर्गारूप वह धर लेती है इसीलिए वरदान है बेटी मात-पिता का मान है बेटी दो कुलों की तारक है अतुल शक्ति की खान है बेटी। जयहिन्द जय हिन्द की बेटी परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी...
दर्शन दो दुर्गा माँ
दोहा

दर्शन दो दुर्गा माँ

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** दुर्गा माँ तुम आ गईं, हरने को हर पाप। संभव सब कुछ है तुम्हें, तेरा अतुलित ताप।। बढ़ता ही अब जा रहा, जग में नित अँधियार। करना माँ तुम वेग से, अब तो तम पर वार।। भटका है हर आदमी, बना हुआ हैवान। हे माँ! दे दो तुम ज़रा, मानव-मन को मान।। सद्चिंतन तजकर हुआ, मानव गरिमाहीन। दुर्गा माँ दुर्गुण हरो, सचमुच मानव दीन।। छोटी-छोटी बच्चियाँ, हैं तेरा ही रूप। उन पर भी तुम ध्यान दो, बाँटो रक्षा-धूप।। हम सब हैं तेरा सृजन, तू सचमुच अभिराम। दुर्गा माँ तू तो सदा, रखती नव आयाम।। ये पल पावन हो गए, लेकर तेरा नाम। यह जग दुर्गे है सदा, तेरा ही तो धाम।। दुर्गा माँ तुम वेगमय, तुम तो हो अविराम। धर्म, नीति तुमसे पलें, साँचा तेरा नाम।। दुर्गा माँ तुमने किया, मार असुर कल्याण। नौ रूपों में तुम रहो, पापी खाते बाण।। सिंहव...
सुधार में पाठ्यक्रम
कविता

सुधार में पाठ्यक्रम

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** भारतीय समाज के सुधार में ... आठवीं कक्षा के पाठ आठ में ... हिंदू पुराणिक कथाओं का, व्याख्यान किया जा रहा है। सती को दक्ष की, पत्नी बताया जा रहा है। इतने से भी सुधारकों का मन नहीं भरा जब। सती प्रथा को सती से जोड़कर जोहर बताया जा रहा है। पुराणों की यह कैसी ... कथाएं बता रहे हैं। विद्यार्थियों में कैसे भ्रम उठाए जा रहे हैं। सिलेबस में इस तरह जोड़ कर पुराणों को अपनी समझ से तोल कर। शिव पुराण कथा में ... काश सती-महादेव को थोड़ा-सा टोटोल कर। सती दक्ष की पत्नी नहीं पुत्री थी। पौराणिक कथाओं को मनगढ़ंत कहानी बोल कर। भारतीय सभ्यता को हर दौर में अपनी गलतियों को सुधारने के लिए बुद्धिजीवी सुधार करते रहे। इतिहास को इस तरह से जोड़ा की सभ्यता का विनाश करते रहे।। परिचय :- प्री...
जीवन की भूल
हास्य

जीवन की भूल

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** इधर पांच राज्यों में चुनावी तारीखों का एलान हुआ, नेताओं में खुशियां थीं पर मेरा बुरा हाल हुआ। एक एक करके कई बड़े नेताओं का फोन पार्टी स्टार प्रचारक का आफर के साथ आया मैं हैरान परेशान हो गया ये सब क्या से क्या हो गया। अब इन सबको समझाना मुश्किल हो रहा था स्टार प्रचारक बनकर क्या झंडा हिलाना है। मैंने भी दिमाग चलाया एक को अपने जाल में फंसाया बड़े बुद्धिमान हो तो मुझे पार्टी का चेहरा बनाओ कहीं से भी चुनाव लड़वाओ मेहनत करोगे तो जीत ही जाऊंगा, मुख्यमंत्री बनाओगे तो दूसरी पार्टी के विधायकों को तोड़ लाऊंगा। पहले करोड़ों का खुला आफर दूंगा फेल हुआ तो धमकियां दूंगा, कुर्सी के लिए दो चार विकेट भी लेना पड़ा तो ले लूंगा, बिल्कुल नहीं शरमाऊँगा पर मुख्यमंत्री तो मैं ही बनूंगा। मेरा आफर...
अंतस् पीड़ा
गीत

अंतस् पीड़ा

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** तन खंडित मन खंडित अब तो, चले आँधियाँ दीप बुझाएँ, पीड़ा अंतस् की है भारी, कैसे अब मन को समझाएँ।। छलक रहे नैनों से सागर, नही मिला अपनों का संबल। गहन तिमिर,उजियार नही है, घोर उदासी के हैं बादल।। अपने सभी पराए लगते, व्यथा कथा हम किसे सुनाएँ। टूट गए अनुबंध सभी हैं, नियति चक्र से जीवन हारे। अभिशापित है मदिर-प्रीति भी, भटक रहे बन के बंजारे।। तूफानों में फँसी नाव है, अनुगामी बस हैं विपदाएँ। संत्रासों में जीवन बीते, नही हाथ में सुख की रेखा। चलते हम हैं अंगारों पर, कैसा विधि का है प्रभु लेखा।। मरुथल-सा जीवन है सारा, धूमिल होती सब आशाएँ। घोर निराशा है जीवन में, प्यासा पनघट सूखी डाली। जाल बिछा है आघातों का, पड़ी ग्रहण की छाया काली।। बोझिल होते स्वर सरगम के, मिली धूल में अभिलाषाएँ। ...
उनकी याद में …
कविता

उनकी याद में …

बृजेश आनन्द राय जौनपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** उनकी याद में ऑखें लगी, बरसात हो गई! बीते सपनों से मुझे जगा, ये 'रात' सो गई !! यही रात जो प्यासे जग की किस्से सुनती थी यही रात जो चॉदनियों में हॅस-हॅस मिलती थी यही रात कि जिसमें छत पे पायल छमके थे यही रात जो अभिसारों में खोकर रहती थी यही रात आज ऑसुओ की लड़ियॉ पिरो गईं! बीते सपनों से मुझे जगा, ये रात सो गई!! यही रात जिसमें सब-लुटकर तुमको पाया था यही रात जिसमें गीतों-से हृदय सजाया था यही रात जिसमें अम्बर में तारे बिखरे थे यही रात, रूप से तेरे, हम भी निखरे थे यही रात आज हर सुख पे संघात हो गई ! बीते सपनों से मुझे जगा, ये रात सो गई !! यही रात है जिसमें तुमको अपलक देखा था यही रात है जिसने तुमसे विधि को लेखा था यही रात में रूपवती इक सजनी सोई थी यही रात है जिसने मीठी यादें बोई थी यही रात आज विरहों-भरी इक...
झुटी मुस्कान
कविता

झुटी मुस्कान

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मन रोता है कहीं किसी कोने में कहीं तनहाई मुंह चिढ़ाती है कब तक पैबंद लगाएं झूठी मुस्कान के जिंदगी रीति-रीति बीती जाती है। कहने को बहुत कुछ है, लब खुलते नहीं देखी अपनों की जिंदगी गिरेे हुए फ़ूल उठाता नहीं कोई। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, ...
कानुडा थारो कई-कई भेद बताऊ
भजन

कानुडा थारो कई-कई भेद बताऊ

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** कई-कई भेद बताऊ, सांवरिया थारो कई कई भेद बताऊ।। मामा जेल में जनम लियो हैं, यशोमती गोद खेलायो। कन्हैया थारो कई-कई भेद बताऊ।। द्रोपदी को तुने चीर बढायो, साडी़ मै लिपटायो कानुडा थारो कई-कई भेद बताऊ।। मीरा ने जब जहर पियो हे, विष को अमृत बनायो , कानुडा थारो कई-कई भेद बताऊ।। यमुनाजी मै नाग को नाथ्यो फण फण निरत करायो, कानुडा थारो कई-कई भेद बताऊ।। गोवर्धन को तुने नख पर धार्यौ, ब्रज मण्डल को बचायो, गिरिधारी थारो कई-कई भेद बताऊ।। सखा सुदामा को गले से लगाया, प्रेम का भाव जगाया, साँवरिया थारो कई-कई भेद बताऊ।। म्हारे अंगना में कान्हा तुम हो पधारो, गुटवन गुटवन काना चलकर आओ, लाला भाव दर्शाओ । कन्हैया थारो कई-कई भेद बताऊ।। परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्...
दोगले दाग़दार होते हैं
ग़ज़ल

दोगले दाग़दार होते हैं

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण" इन्दौर (मध्य प्रदेश)  ******************** दोगले दाग़दार होते हैं। फिर भी वे होशियार होते हैं।।१।। सावधानी यहाँ जरूरी है, चूकते ही शिकार होते हैं।।२।। आप जितने सवाल करते हो, तीर से धारदार होते हैं।।३।। जिन पलों में कमाल होता है, बस वही यादगार होते हैं।।४।। दाँत होते नहीं परिन्दों के, क्यों कि वे चोंचदार होते हैं।।५।। चोर शातिर मिजाज ही होंगे, या कहो आर - पार होते हैं।।६।। शूल क्या आजकल बगीचे के, फूल भी धारदार होते हैं।।७।। वार करते न सामना करते, इसलिए ही शिकार होते हैं।।८।। नोंक तीरों की रगड़ पत्थर पर, तब कहीं धारदार होते हैं।।९।। बालकों को अबोध मत समझो, वे बड़े होनहार होते हैं ।।१०।। "प्राण" कहते न बोलते उनके, हर जगह इन्तजार होते हैं।।११।। परिचय :- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण" निवासी : इन्दौर (मध्य ...
चुनाव और प्रत्याशी
कविता

चुनाव और प्रत्याशी

डॉ. रमेशचंद्र मालवीय इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मुझ प्रत्याशी की सुनो, वो तुम्हारी सुनेगा तुम एक वोट दोगे, वो दस नोट देगा। भूख लगे तो खाना खाना प्यास लगे तो पानी पीना नोट इसलिए देता हूँ कि वोट से है मेरा मरना जीना नोट के बदले वोट ही देना और कोई तुम चोट न देना। माना कि तुम वोट के खातिर अपनी अकड़ दिखाओगे बोतल-कम्बल तो दूंगा ही जो मांगोगे, वो सब पाओगे वोट चाहिए मुझे तो केवल और कोई तुम खोट न देना। पक्के घर मैं दिलवा दूंगा बिजली पानी मिल जाएगा एक वोट के बदले प्यारे जीने का सुख मिल जाएगा यह चुनाव का सीज़न है तुम बाद़ाम अख़रोट न देना। तुम ही मेरे माई बाप हो तुम ही मेरे भाग्यविधाता हाथ जोड़ता पांव में पड़ता और झुकाता अपना माथा अच्छी खासी जीत दिलाना भागते भूत लंगोट न देना। परिचय :- डॉ. रमेशचंद्र मालवीय निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प...
बुढ़ापा
कविता

बुढ़ापा

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** गुज़रा ज़माना नहीं, वर्तमान भी होता है बुढ़ापा, सचमुच में चाहतें, अरमान भी होता है बुढ़ापा। केवल पीड़ा, उपेक्षा, दर्द, ग़म ही नहीं, असीमित, अथाह सम्मान भी होता है बुढ़ापा। ज़िन्दगी भर के समेटे हुए क़ीमती अनुभव, गौरव से तना हुआ आसमान भी होता है बुढ़ापा। पद, हैसियत, दौलत, रुतबा नहीं अब भले ही, पर सरल, मधुर, आसान भी होता है बुढ़ापा। बेटा-बहू, बेटी-दामाद, नाती-पोतों के संग, समृध्द, उन्नत ख़ानदान भी होता है बुढ़ापा । मंगलभाव, शुभकामनाएं, आशीष, और दुआएं, सच में इक पूरा समुन्नत शुभगान भी होता है बुढ़ापा। घुटन, हताशा, एकाकीपन, अवसाद और मायूसी, गीली आँखें पतन, अवसान भी होता है बुढ़ापा । संगी-साथी, रिश्ते-नाते, अपने-पराये मिल जायें यदि, तो खुशियों से सराबोर महकता सहगान भी होता है बुढ़ाप...
कोशिश कर …
कविता

कोशिश कर …

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** फासले भी गुजर जाएंँगे, मंजिल भी मिल जाएगा। कोशिश कर जीवन में, हर समस्या का हल पाएगा। हार न मान ,उदास न बैठ, तुम्हारा भी जरूर नाम होगा। कोशिश कर, हर बाधा से, जूझना आसान काम होगा। आंँधियों का दौर चलता रहेगा, इस जीवन चक्र में। मरूभूमि की तपिश सहन कर, जीवन भी आसान होगा। राह भटकाने वाले भी, मिलते रहेंगे इस जगत में। अडिग रह लक्ष्य पर, जरुर तुम्हारा मुकाम होगा। कोशिश से ही जीवन में, हर काम आसान होगा। जीवन का फलसफा सीख, तेरा पथ आसान होगा। आसमां पर उड़ने वाले, परिंदे अपना हुनर जानते हैं। कोशिश कर, उन परिंदों की भांँति, गगन अवश्य तुम्हारा होगा। परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -  गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाध...
गिद्ध भोज
कविता

गिद्ध भोज

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** गिद्ध बड़े मजे से दावत उड़ाते हैं, बिना मेहनत से मिला खाते हैं, आज भी गिद्धों की बैठक हो रही है, बैठक भी वहीं जहां मिल गया गोश्त, आज झगड़ा भी नहीं सभी हैं दोस्त, आज तो बस जाम और साकी है, ऐसा खाये कि केवल हड्डी बाकी है, सबने देखा आज फिर कोई मरा है, हमारे लिए मैदान हरा ही हरा है, मगर ये क्या? इस मरने वाले को तो चार लोग कंधे पर उठाए हैं, आगे व पीछे भीड़ लगाए हैं, गिद्ध निराश हो गए, कई तो उदास हो गए, तब वृद्ध गिद्ध ने बोला, भाइयों इसका मांस हम नहीं खा सकते, क्योंकि ये इंसान है, ये अपने पीछे होने वाले नोचपने से अंजान है, इसे तो अभी जलाएंगे या दफ़नायेंगे, फिर कुछ दिनों के लिए ये सब गिद्ध बन जाएंगे, अब ये मरने वाले का शरीर नहीं नोचेंगे, बल्कि उनके परिवार वालों को नोचेंगे, हम तो वातावरण सा...
अनुशासन
गीत

अनुशासन

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** देता गौरव है अनुशासन, देखो अलख जगाएगा। अनुशासन के पालन से ही, नव परिवर्तन आएगा।। अनुशासन में बँधे निरन्तर,  सूरज चंदातारे हैं। सुबह शाम की भी है सीमा,  सधे अचर  चर सारे हैं।। अनुशासन ही  देता जीवन, अंधकार छँट जाएगा। देता गौरव है अनुशासन, देखो अलख जगाएगा।। डोरी जानो संस्कारों की, सिखलाता जिम्मेदारी। नेक राह पर हमें चलाता, हर कोई है आभारी।। बच्चे बूढों के चेहरों पर, यही रौनकें लाएगा।। देता गौरव है अनुशासन, देखो अलख जगाएगा।। पालन करो कड़ाई से तुम, और सभी को सिखलाओ। अगर राह में बाधा आये, महिमा इसकी बतलाओ।। फिर तुम नव इतिहास लिखोगे, जग सारा सुख पाएगा। देता गौरव है अनुशासन, देखो अलख जगाएगा।। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश) पति : पुरुषोत्तम भट्ट ...
जय हो श्री बालाजी
भजन

जय हो श्री बालाजी

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** श्री बालाजी मेरे और मैं श्री बालाजी के संग सहारे जा रहे नाचते गाते सभी भक्त दर्शन को बिना विचारे सबके मनमोहक और सजे-धजे धाम के राज दुलारे श्री बालाजी मेरे और मैं सदैव श्री बालाजी के संग सहारे। सनातन धर्म की जय हो हिंदू राष्ट्र के भक्त पुकारे समस्याओं का समाधान चमत्कार से दरबार मे निखारे दूर दराज से पग-पग आकर नमन करें भक्त तुम्हारे श्री बालाजी मेरे और मैं सदैव श्री बालाजी के संग सहारे। अर्जी और मंत्र जाप के जरिये हो जाते हर काम हमारे कलयुग में कैसा चमत्कार काम हो रहे श्री बालाजी सहारे लगावे दिया करके याद नित्य पाठ करें और आरती उतारे श्री बालाजी मेरे और मैं सदैव श्री बालाजी के संग सहारे। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी...
डिजीटल पर मानव अटल
कविता

डिजीटल पर मानव अटल

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** आज का आधुनिक युग मानव कदापि रहा न रुक बेहिसाब काम के बोझ में डिजीटल में गया खुद झुक ।। डिजीटल क्या आ गया युग का दैनिक बदला काम कर लिया सब खूब आसान खूब बदल लिया काम ।। डिजीटल पर भरोसा फर्स्ट डिजीटल पर खूब है व्यस्त डिजीटल प्यारा घर परिवार सगे सम्बन्धी पड़ोसी का कोरा दिखावटी है स्नेह प्यार ।। है डिजीटल कहता है मानव खुद खुश व्यस्त और मस्त कौन है अपना कौन पराया डिजीटल का है स्वाद पाया मानव का मन डिजीटल ने चुंबक से ज्यादा चिपकाया ।। दुख सुख की सारी चिंता का डिजीटल को दुख दर्द बताया दुनिया में मानव खुद मानव से जिंदगी को डिजीटल है बनाया ।। शिक्षित क्या अशिक्षित कलम कागज छोड़ा हाथ के बजाय सबकुछ डिजीटल के भरोसे नोकरी व्यापार कारोबार डिजीटल से उपार्जन रोजगार दो जून रोटी जुगाड़ करने समूचा रिश्ता न...