चंचल
मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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दृग चंचल मन चंचल
चंचल बिटिया, गौरी चंचल
मृग चंचल, मृग दृग चंचल
आखेट के लिए आते
हिंसक के पग चंचल।
चंचल सरिता, झरना
चन्चल जल की बून्दे,
फुहारे चंचल
भागती चंचल
रश्मि छाया सगं।
चंचल पवन, चंचल अग्नि
पतझड चंचल
पथ पर पडे पर्ण चंचल।
पर पर स्थिर, धैर्यवान धरा
इन सब को सवारती है
सम्भालती है
आश्रय देती है
मानव जगत के लिये
जीव जगत के लिये।
परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रह...