भोर की ठंडी छुअन
भीमराव झरबड़े 'जीवन'
बैतूल (मध्य प्रदेश)
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भोर की ठंडी छुअन-सी,
प्रीति का अहसास हो तुम।
चंद्र मुख पर खिलखिलाता
पूर्णमासी हास हो तुम।।१
रूपसी हो देख कर,
शृंगार भी तुमको लजाता,
रत्नगर्भा पर सजा,
सौंदर्य का मधुमास हो तुम।।२
बिन तुम्हारे सब तिमिर घन,
आ खड़े हैं क्लेश लेकर,
जिन्दगी का हो उजाला,
हर्ष का आभास हो तुम।।३
शील संयम ज्ञान साहस,
उर दया भरपूर लेकिन,
भूख तन की प्यास मन की,
प्राण का वातास हो तुम।।४
बन पपीहा मन पुकारे,
मैं यहाँ पिय तुम कहाँ हो,
द्वार सजती अल्पना हो,
पर्व का उल्लास हो तुम।।५
रागिनी हो राग हो सुर ताल
लय का तुम निलय हो,
धड़कनों से छंद गाती,
गीत का विश्वास हो तुम।।६
कुंज 'जीवन' का सुवासित
आ करो मधुमालती बन,
मोगरा, चम्पा, चमेली,
कौमुदी से खास हो तुम।।७
परिचय :- भीमराव झरबड़े 'जीवन'
निवासी : बैतूल मध्य प्रदेश
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