माँ को मै पलको पे रख लूँ
किरण पोरवाल
सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
********************
माँ को मै पलको पे रख लूँ,
उनकी बाते सर पर रख लू,
गुढ रहस्य की बाते माँ मै,
इतिहास के पन्ने हे माँ में,
जीवन के सब सपने माँ में,
खाने का भण्डार है (अन्नपूर्णा) माँ में,
बीते दिनो की याद है माँ में,
संस्कृति और संस्कार है माँ में,
मान और सम्मान है माँ में,
दुनिया के हर अनुभव माँ में।
घर मै एक वर्चस्व ही माँ है,
घर की एक रौनक ही तो माँ है,
बच्चो का तो सब कुछ माँ है,
जीवन का एक पथ ही माँ है,
भले बुरे की पहचान है माँ में,
मन के भाव की पहचान है माँ में,
गम को पीना खुशी से रहना,
सबको लेकर साथ है चलना,
यही भाव तो माँ रहता,
घर मै सदा सजग है रहना,
चौकन्ना सदा ही रहना,
यह सब तो माँ मै ही रहता,
मेरा तो यह अनुभव दिल का,
बिन माँ के हम (बच्चा)
पथ विहीन है रहता,
जीवन का पथ माँ से मिलता,
शिखर को छूने का सा...
















