अमिट वीर बलिदानी हो
अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश
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समर्पित- महान क्रांतिकारी वीरांगना झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई के अमर बलिदान को समर्पित श्रद्धांजली।
रस- वीर, रौद्र।
धार तेज बरछी की करली थी ऐंसे परिवेश में।
चूड़ी पहन छुपे बैठे जब, कुछ रजवाड़े देश में।।
ललकारी थी झलकारी, रघुनाथ नीति भी बड़ी कुशल।
गौस खान का लहु तेज, सुंदर मुंदर भी बहुत सबल।।
पेंशन का एहसान रखो, अधिकार हमारा झांसी है।
अपनी भूमि तुमको दें यह, बिना मौत की फांसी है।।
प्रथम युद्ध वो आजादी का, रोम-रोम में जागी थी।
क्रांति जनित हृदय ज्वालायें, लंदन तक ने भांपि थीं।।
कमजन-कमधन कम से कैसे रानी युद्ध अटल होगा?
लड़ने का साहस जानो पर विजयी भला महल होगा?
नारी है सृजना जीवन को जनती, पीर बड़ी सहके।
लड़े हमारे बांके घर पर क्यों बैठें हम चुप रहके?
सुन रानी की बातें तब नारी शक्ति भी जागी थी।
भारत की लक्ष्मी से डरकर विक्टोरिया भी का...