दे दो दर की नौकरी सतगुरु जी एक बार
किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया (महाराष्ट्र)
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दे दो दर की नौकरी सतगुरु जी एक बार
बस इतनी तनखा देना तेरा होता रहे दीदार
तेरे काबिल नहीं हूं सतगुरु फिर भी काम चला लेना
जैसा भी हूं तेरा हूं मेरे सारे अवगुण हर लेना
बस तेरी कृपा होगी सतगुरु तेरी कृपा होगी
मेरा सुधरेगा संसार...
सारे जगत के दाता हो तुम मेरी क्या औकात है
तेरे दर की सेवा करना तो किस्मत की बात है
मानूंगा तेरा कहना सतगुरु दिल में मेरे रहना
तेरा करता रहूं दीदार...
संकट हरता मंगल करता सतगुरु तेरा नाम है
यह तन मन यह जीवन सतगुरु अब तो तेरे नाम है
चरणों में सतगुरु रखना दिल में हमको बसाना
और देना हमको प्यार...
मांगने की आदत है सतगुरु लाज़ तेरे दर आती नहीं
परवाह करूं क्यों दुनिया की मैं दुनिया तो बिगड़ी
बनाती नहीं तेरा काम है बिगड़ी बनाना भटकों
को राह दिखाना दर पर आता रहूं हर बार..
ओ मे...