मायने यारी के
निर्मल कुमार पीरिया
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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बिछड़ गये हम साथी तो क्या,
मन मे कोई पीर नही,
याद तुम्हें करते ना हो हम,
ऐसी कोई रात नही...
संग बतियाए हर इक लम्हा,
भुला सको तो हम जाने,
बरसों का था संग हमारा,
कल परसो की बात नहीं...
यारी का दम भरते थे तुम,
यारी के है मायने क्या,
संग यारो के जिंदा है हम,
समझे क्यो ये मर्म नही...
अगर कभी रुसवा हो जग से,
याद हमे कर लेना तुम,
हाथ बढ़ा थामेगे तुमको,
"निर्मल" मन की पीर यही...
परिचय :- निर्मल कुमार पीरिया
शिक्षा : बी.एस. एम्.ए
सम्प्रति : मैनेजर कमर्शियल व्हीकल लि.
निवासी : इंदौर, (म.प्र.)
शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं
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