भारत थाम लिया
विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
********************
चक्रवात तूफान, कोरोना कहर, और बदमिजाजों की भाषा देखकर सृजित हुई कविता।
जज़्बों ने एहसासों से लड़ना सीख लिया
देश ने भी तूफानों से लड़ना सीख लिया।
कभी बेगाने अपनों से ज्यादा अच्छे होते
फिर चलित कथन है अपने तो अपने होते
बेगानों का निःस्वार्थ समर्पण देख लिया
जज़्बों ने एहसासों से लड़ना सीख लिया।
शानो शौकत चकमक गाथा शाहों की
सहयोगी योद्धा व्यथा है उन बाहों की
मजदूर कृषक गरीब आहों को परख लिया
जज़्बों ने एहसासों से लड़ना सीख लिया।
धरातल सागर चोटी पर सेवा की बरसातें
नियम तोड़ते जाहिलों की कुत्सित सौगातें
कड़े कानून से अब बहुतों ने सबक लिया
जज़्बों ने एहसासों से लड़ना सीख लिया।
जन्म मृत्यु वाली माटी का यही अफसाना
कुछ तो ऐसा हो भविष्य याद में रह जाना
माटी पे छाया प्रकोप विध्वंस जान लिया
जज़्बों ने एहसासों से लड़ना सीख लिया।
घर रहकर जीवन आनंद बहुत अनोखा था
व...

























