ज़ल
गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण"
इन्दौर (मध्य प्रदेश)
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दोगले दाग़दार होते हैं।
फिर भी वे होशियार होते हैं।।
सावधानी यहाँ जरूरी है,
चूकते ही शिकार होते हैं।।
आप जितने सवाल करते हो,
तीर से धारदार होते हैं।।
जिन पलों में कमाल होता है,
बस वही यादगार होते हैं।।
दाँत होते नहीं परिन्दों के,
क्यों कि वे चोंचदार होते हैं।।
चोर शातिर मिजाज ही होंगे,
या कहो आर - पार होते हैं।।
शूल क्या आजकल बगीचे के,
फूल भी धारदार होते हैं।।
वार करते न सामना करते,
इसलिए ही शिकार होते हैं।।
नोंक तीरों की रगड़ पत्थर पर,
तब कहीं धारदार होते हैं।।
बालकों को अबोध मत समझो,
वे बड़े होनहार होते हैं ।।
"प्राण" कहते न बोलते उनके,
हर जगह इन्तजार होते हैं।।
परिचय :- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण"
निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाण...