जीवन प्रवाह है
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सुभाष बालकृष्ण सप्रे
भोपाल म.प्र.
विधा:-गीतिका
समांत:-आर
पदांत:--भी
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"जीवन प्रवाह है,तो मजधार भी.
एक सपना जो होता साकार भी.
माना कि तूफान भी आएंगे मगर,
होसले की चाहिये, पतवार भी,
मौसम भी ज़ब आयेंगे खुशनुमा,
करेंगेँ हम प्यार का इज़हार भी,
जीतने का रहेगा हमारा लक्ष,
गले से लगायेंगे हम हार भी,
सीमा पर डटे रहेंगे सदा हम,
दुश्मन पर करेंगे हम प्रहार भी.
लेखक परिचय :-
नाम :- सुभाष बालकृष्ण सप्रे
शिक्षा :- एम॰कॉम, सी.ए.आई.आई.बी, पार्ट वन
प्रकाशित कृतियां :- लघु कथायें, कहानियां, मुक्तक, कविता, व्यंग लेख, आदि हिन्दी एवं, मराठी दोनों भाषा की पत्रीकाओं में, तथा, फेस बूक के अन्य हिन्दी ग्रूप्स में प्रकाशित, दोहे, मुक्तक लोक की, तन दोहा, मन मुक्तिका (दोहा-मुक्तक संकलन) में प्रकाशित, ३ गीत॰ मुक्तक लोक व्दारा, प्रकाशित पुस्तक गीत सिंदुरी हुये (गीत सँकलन) मेँ प्रकाशित हुये है...





