महारानी लक्ष्मीबाई
प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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लक्ष्मीबाई नाम था, वीरों की थी वीर।
राज्यहरण उसका हुआ, तो चमकी शमशीर।।
ब्रिटिश हुक़ूमत से भिड़ी, रक्षित करने राज।
नमन आज तो कर रहा, देखो सकल समाज।।
शौर्यवान रानी प्रखर, जिसका मनु था नाम।
उसके कारण ही बना, झाँसी पावनधाम।।
स्वाभिमान को धारकर, छेड़ दिया संग्राम।
झाँसी दे सकती नहीं, हो कुछ भी अंज़ाम।।
रानी-साहस देखकर, घबराये अंग्रेज़।
यहाँ-वहाँ भागे सभी, लखकर रानी तेज।।
घोड़े पर चढ़ भिड़ गई, चली प्रखर तलवार।
दुश्मन मारे अनगिनत, किए वार पर वार।।
पर दुश्मन बहुसंख्य था, कैसे पाती पार।
गति वीरों वाली हुई, करो सभी जयकार।।
मर्दानी थी लौहसम, अमर हुआ इतिहास।
लक्ष्मीबाई को मिली, जगह दिलों में ख़ास।।
परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास...





