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चन्द्रमौलेश्वर मनमहेश
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चन्द्रमौलेश्वर मनमहेश

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** चन्द्रमौलेश्वर मनमहेश, शिव ताडवं करते महेश। उमा महेश वन करते विहार, घटा टोप बादल अपार, सप्तधान शिव स्वरूप अनाज, सुन्दर मुख होल्कर महान, शेषनाग शिव मस्तक धारे, गले भुजगं अति शोभित साजे, महाकाल विकराल काल शिव, रजत पालकी बैठै मौलेश्वर, दर्शन कर भक्त हुये निहाल, जयकारा गूँजे महाकाल। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जबलपुर से सम्मानित २. अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन से सम्मानित ३. राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा "साहित्य शिरोमणि अंतर्राष्ट्रीय समान २०२४" से सम्मानित ४. १५००+ कविताओं की रचना व भजनो की रचना रूचि : कविता...
बांके बिहारी
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बांके बिहारी

डॉ. राम रतन श्रीवास बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** किंचित चिंतन चीते मन में प्रभु, राही को त्राहि हुए सब ग्रामा। भय क्लेश सबे दुनिया अरु, जन-जन आश तुम्ही हो श्यामा।। सीस शिखी उर-बाहु प्रलंब, कमल नैन, बंकिम दृग भौंहें। कर मुरली लकुटी धरी लाठी, ग्वाल बाल गौ सुन्दर सोंहैं।। मायापति के माया को न जाने, खरारी नित नव नाच नचावें। आन बसों "राधे" मन मंदिर, ग्वालिन यमुना तट बाट जोरावें।। राह खरो वहशी दरिंदा एक, गोपिन व्याकुल हुए परमात्मा। कहत "राधे" बांके बिहारी को नाम, त्राण मिटाओ वसुधा विश्वात्मा।। परिचय :-  डॉ. राम रतन श्रीवास निवासी : बिलासपुर (छत्तीसगढ़) साहित्य क्षेत्र : कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष सम्मान : कोरबा मितान सम्मान २०२१ (समाजिक चेतना एवं सद्भाव के क्षेत्र में) शिक्षा : हिन्दी साहित्य (स्नातकोत्तर) अतिरिक्त : रेल प...
गणेश-वंदना
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गणेश-वंदना

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** हे! विघ्नविनाशक, बुद्धिप्रदायक, नीति-ज्ञान बरसाओ। गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ।। कदम-कदम पर अनाचार है, झूठों की है महफिल। आज चरम पर पापकर्म है, बढ़े निराशा प्रतिफल।। एकदंत हे ! कपिल-गजानन, अग्नि-ज्वाल बरसाओ। गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ।। मोह, लोभ में मानव भटका, भ्रम के गड्ढे गहरे। लोभी, कपटी, दम्भी हंसते हैं विवेक पर पहरे।। रिद्धि-सिद्दि तुम संग में लेकर, नवल सृजन सरसाओ। गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ।। जीवन तो अब बोझ हो गया, तुम वरदान बनाओ। नारी की होती उपेक्षा, आकर मान बढ़ाओ।। मंगलदायी, हे ! शुभकारी, अमिय आज बरसाओ। गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ।। भटक रहा मानव राहों में, गहन तिमिर का आलम। आया है पतझड़ जोरों पर, पीड़ा का है मौसम।। प्रथम पूज...
शिव की उपासना
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शिव की उपासना

अनन्तराम चौबे "अनन्त" जबलपुर (म.प्र.) ******************** शिव उपासना करूं वंदना शिव की भक्ति है आराधना। शिव शंकर भोले भंडारी से मन से करूं हमेशा प्रार्थना। शिव की भक्तिं करूं वंदना मां पार्वती हैं दुर्गा शक्ति। शिव पार्वती दोनों की है पूरे ब्रह्मांड की अद्भुत शक्ति। शिव शंकर भोले भंडारी लीला सबसे उनकी न्यारी। जगत पिता सारे जगत के महिमा भी उनकी न्यारी है। सिर की जटाओं में चंद्र विराजे गले में काले नाग की माला। शरीर में भस्म लपेटे रहते पहनते हैं बस वो मृगछाला। हाथ में त्रिशूल लटकता डमरू रूद्राक्ष की साथ में माला। बंद नेत्र तीसरा माथे पर हैं। जय जय जय शंकर भोला। पार्वती संग कैलाश विराजे शिव शंकर भोले भंडारी। शिव वंदना करूं मैं उनकी नंदी भोले जी की सवारी। कार्तिक और गणेश पुत्र हैं पुत्री उनकी अशोक सुन्दरी है। शिव और पार्वती की लीला सारे जगत से...
सवारी महाकाल की
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सवारी महाकाल की

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** चली सवारी ठाठ से, महाराजा महाकाल, २१ तोपों की देते सलामी पुलिस बैंड के साथ। कहार पालकी ले चले, देखो उनके भाग्य, शिव धाम के बने अधिकारी, बाबा जिनके साथ। भोले की भक्ति में, मस्त हुए सब संत, भूत पिशाच मस्त हुए, दानव दैत्य ले संग। राजा राजसी वेष में, ठाट बाट के साथ, अगवानी करते चले, भाला त्रिशूल ले हाथ। राम सीता है बने, देखो नर और नार, दशानन भारी है बना शंकर भक्त महान। भक्त चले हैं झूमते, नाचे गाये मस्त, भक्ति में देखो डूबे, झाझ करताल ले संग। द्वारकाधीश से है मिले महाकाल महाराज, पहने माला बिल पत्र, तुलसी दल महाराज। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय सा...
धरा पर पग धरें…
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धरा पर पग धरें…

सौ. निशा बुधे झा "निशामन" जयपुर (राजस्थान) ******************** शम्भू तू, शिवशक्ति तू, धरा-व्योम की भक्ति तू। ॐ से उठे स्वर तेरा, चतुर्थ में समृति तू। ॥१॥ त्रिनेत्र में नाव जले, डमरू की ये ऊंची आवाज। संस्कृति का आधार तू, कालान्तक, शुभ भाव। ॥२॥ गंगाजल डूबे तुम, भस्म भाल पर छाय। डांस जब करे नटराज तू, एकजुट हो जाओ सब लोक घनेरे। ॥३॥ सर्प हार, कर त्रिशूल धरे, चंद्रभाल मन शांति परम। शिवरात्रि की वह रजनी, तेरे नाम से जगे सवेरे। ॥४॥ निर्गुण, फिर सगुण लगे, वैराग्य भी, अनुराग जगे। भक्ति-पथ के दीपक तू, जीवन में जो आलोक जगे। ॥५॥ परिचय :- सौ. निशा बुधे झा "निशामन" पति : श्री अमन झा पिता : श्री मधुकर दी बुधे जन्म स्थान : इंदौर जन्म तिथि : १३ मार्च १९७७ निवासी : जयपुर (राजस्थान) शिक्षा : बी. ए. इंदौर/बी. जे. मास कम्यूनिकेशन, भोपाल व्यवसाय : एनला...
पालकी बैठे महाकाल
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पालकी बैठे महाकाल

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** जटा मुकुट सिर गंग की धार, अंग भुजंग भस्मी है माथ, गले मुंड की माल। भस्मी रम्मैया बेठे नाथ, महाकाल कालों के काल, रजत पालकी बैठे महाकाल। बड़ी-बड़ी अखियां राजाधिराज, चली पालकी प्रजा के द्वार, कंचन थाल कपूर की बाती, भांग धतूरा भोग की थाल, गले मोगरा हार। चली पालकी द्वारिका के नाथ हरिहर मिलन द्वारिका के द्वार, बेलपत्र पहने गोपाल तुलसीदल महाकाल। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जबलपुर से सम्मानित २. अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन से सम्मानित ३. राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा "साहित्य शिरोमणि अंतर्राष्ट्रीय समान २०२४" स...
विकराल काल महाकाल
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विकराल काल महाकाल

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** गंगधार अति विशाल, विकराल काल महाकाल, हिमाच्छादित पर्वत विशाल, कैलाश में है उनका वास, ॐ नाद ॐ ब्रह्म ॐकार धुन स्वर, देव दानव यक्ष किन्नर पुकारते महाकाल, महादेव-महादेव गुंजे है स्वर अपार, वही तो है महाकाल-महाकाल-महाकाल। भृकुटी है तनी विशाल, रौद्र रूप चन्द्रभाल, त्रिनेत्र है विकराल, दिगंबर वेश, मुण्डमाल, शेषनाग है विशाल, भस्म अंग त्रिशूल हाथ, वही तो है महाकाल महाकाल-महाकाल परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जबलपुर से सम्मानित २. अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन से सम्मानित ३. राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा "साहित्य शिरो...
माँ मंगल करतीं हैं
भजन, स्तुति

माँ मंगल करतीं हैं

अंजनी कुमार चतुर्वेदी "श्रीकांत" निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** आदिशक्ति अति रूप मनोहर, माँ कूष्मांडा ने पाया। दिवस चतुर्थ परम पावन है, जन-जन मन हरसाया। अष्टभुजा माँ पूजी जाती, नवदुर्गा चौथे दिन। पापी दुष्टी और निशाचर, संघारे माँ अनगिन। शेर सवारी करती हैं माँ, सबके दुख हरतीं हैं। अपने भक्तों के जीवन में, माँ मंगल करतीं हैं। है स्वरूप तेजोमय माँ का, बल आरोग्य प्रदाता। अष्टभुजी माँ का स्वरूप यह, सारे जग को भाता। रोग शोक भय कष्ट मिटाती, धन संपन्न बनाती। माँ के चरणों में नत होकर, दुनिया खैर मनाती। काजल चूड़ी बिंदी पायल, माँ को सभी चढ़ाएं। कंघी दर्पण देकर माँ को, सुख सौभाग्य बढ़ाएं। मालपुआ अति प्रिय माता को, हलवा भी चढ़ता है। माता की सेवा से सब का, जन धन भी बढ़ता है। आदि शक्ति कूष्मांडा माता, सृष्टि की निर्माता। जो आता है शरण तुम्हारी, ...
राम युग
भजन, स्तुति

राम युग

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** राम ही श्वास है राम ही आस है, राम ही तो है जीवन का, सार ही बस राम हे। जन्म से मृत्यु तक, जीवन के आदर्श राम, राम के चरित्र से जीवन महान है। बडो का आदेश राम, गुरू का सम्मान राम, छोटो पे दुलार राम, स्नेह ही तो राम है। निषाद के तो भाव राम, केवट के तो प्रेम राम, शबरी के आस मै बस राम ही तो श्वास है। निर्बल के बल राम, निर्धन के धन राम, शत्रु पे विजय राम, अजातशत्रु राम है। सुन्दर सुशील राम, कमलनयन देखो राम। जानकी की जान तो बस राम ही बस राम। सूर्य का सा तेज राम, किरण मै प्रकाश राम, विजय पताका देखो, सनातन के राम है। जन्मभूमि की जीत राम, अयोध्या के राजा राम, जय श्री राम के नारो मै, बस राम-राम आवाज है। संतो की तपस्या राम, भक्तो की भक्ति राम, मोदी योगी के तो साहस, दृढ़ संकल्प राम है। पर...
राम शरण में चल रे मनवा
भजन, स्तुति

राम शरण में चल रे मनवा

कमल किशोर नीमा उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** राम शरण में चल रे मनवा, जीवन सफल बनायें। राम शरण में सभी मंगल, मन को मत भटकाये। राम शरण में... राम शिवम् है राम सत्य है, सब देवता उनमें समाये। राम की स्तुति करने पर, संग सारे देवता पूजे। राम नाम है सब हितकारी, परम सुख बोध कराम्। महादेव भी बैठे समाधि, राम में ध्यान स्थान। राम शरण में… राम नाम अमृत की शोभा, भाग्य बिना नहीं मिलेगा। बारम्बार जन्म ले जीव, फिर धरा पर आये। राम ही दाता राम विधाता, जिसके मन ये समाये। राम की महिमा गाने वाले, घर-घर पूजे जाये। राम शरणम्… राम सनातन सच्चिदानंद, मार्ग सुगम दिखलायें। राम राज्य की परिकल्पना से, मन हर्षित हो जाये। राम कृपा उस पर हो जाये, जो भजन राम के गाये। चरण वन्दना करो भव सागर तर जाये। राम शरण में … परिचय :- कमल किशोर नीमा पिता : मोतीलाल जी नीमा जन्म द...
धरा भी तू ही गगन भी तू
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धरा भी तू ही गगन भी तू

शिवदत्त डोंगरे पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************* धरा भी तू ही गगन भी तू मरुस्थल तू मधुवन भी तू सागर भी तू है ज्वार भी तू पार भी तू ही अपार भी तू आदि भी तू अंत भी तू... शक्तिमाम्....शक्तिमाम्. मान्य भी तू अमान्य भी सरल कठिन सामान्य भी अनुराग भी तू विराग भी काल तू ही विकराल भी अंत भी तू ही अनन्त भी शक्तिमाम्....शक्तिमाम्. सुधा भी तू है गरल भी तू अतीत अद्य तू कल भी तू सृजन ही तू विनाश भी तू आस भी तू विश्वास भी तू दिग भी तू दिगन्त भी.... शक्तिमाम्....शक्तिमाम्. सृजन भी तू सृष्टि भी तू अगोचर है तू दृष्टि भी तू विषपायी तू भुजंग भी तू हिमाद्री है तू अनंग भी तू गहन निशा तू प्रात भी तू स्नेह है तू है संघात भी तू पतझर भी तू बसंत भी.... शक्तिमाम्....शक्तिमाम्. परिचय :- शिवदत्त डोंगरे (भूतपूर्व सैनिक) पिता : देवदत डोंगरे जन्म : २० ...
अमृत बरसाओ त्रिभुवन
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अमृत बरसाओ त्रिभुवन

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बीत गई है अब सहर आ गया अंतिम प्रहर मचा है चहुँ ओर कहर नीलकंठ पधारो अब करो पान प्रभु ये ज़हर आतंक की फैली लहर धरा भी गई अब दहल ये पसर रहा है खलल अखिलेश्वर पधारो अब शांति की करो पहल बुद्धिप्रदाता तेरे गणपति रिद्धि सिद्धि हो प्राप्ति शुभ लाभ वैभव सम्पति देवाधिदेव पधारो अब हर क्षेत्र में हो क्षतिपूर्ति सरहदों पे मच रहा शोर दुश्मनों का बढ़ रहा जोर टूट गई रिश्तों की डोर हे परमेश्वर पधारो अब लाओ इक नई भोर पर्वतों के ध्वस्त आवरण नदी ताल झेले प्रदूषण त्रस्त हरीतिमा पर्यावरण शिव शंम्भू पधारो अब अमृत बरसाओ त्रिभुवन परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी ...
विष्णु, शंकर सनातन में
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विष्णु, शंकर सनातन में

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** ऋग्वेद के अथर्वशीर्ष ने, पद्म पुराण, वाल्मीकि रामायण में आदित्यहृदयस्तोत्र ने सूर्य को विष्णु माना विष्णु का अर्थ ‘सर्वव्यापी‘ सूर्य है सर्वव्यापी ऊर्जा संपूर्ण ब्रह्मांड की रवि रश्मि है दात्री उससे प्रस्फुटित होती प्रकृति प्राणवायु की दाता प्रकृति। प्रकृति के मूल में सूर्य रूप में विष्णु विराजे कण-कण पर रवि की माया सहस्त्रनाम विष्णु ने पाया स्वयंभू विष्णु देते सबको आकार लेते स्वयं मनुज रूप में अवतार करने पृथ्वी और सज्जन का उद्धार।। शंकर शमन के कारक मूल स्थान उनका पर्वत, हिम का अंचल है सुखदायक जल का स्रोत, वहीं से गंगा शीतलता औ शांतिप्रदायक हिमगिरि कोशंकर माना गिरि और जल है कल्याणक इसीलिये शंकर को शिव माना सूर्य देव को विष्णु जाना।। एक‌ परमशक्ति का यही वितान ताप व शीतलता के‌ घट विष्णु और शंकर...
महादेवा
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महादेवा

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी स्तुति) काल के महाकाल कहावय शिव शंकर महादेवा भक्तनमन के भाग जागे जेन करे तोर सेवा ।। अंग म राख, भभूत चुपरे बईला म करें सवारी भूत,प्रेत अउ मरी मसान जम्मों तोर संगवारी।I दानी नइ हे तोर असन कस हे सम्भू त्रिपुरारी कतका तोर जस ल गावँव महिमा हे बड़भारी!! गंगा हर तोर जटा म साधे, कहाय तँय जटाधारी बघुवा के तँय खाल पहिरे जय हो डमरूधारी !! गणेश अउ, कार्तिक लाल कहावय पार्वती सुवारी तोर पउँरी म माथ नवावँय जम्मो नर अउ, नारी !! असुर मन कतकोंन छलिस तोला सिधवा जान हलाहल के पान करइय्या नीलकंठ भगवान !! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप...
माँ नर्मदा
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माँ नर्मदा

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** रेवा मैया नर्मदा, है तेरा यशगान। तू है शुभ, मंगलमयी, रखना सबकी आन।। शैलसुता, तू शिवसुता, तू है दयानिधान। सतत् प्रवाहित हो रही, तू तो है भगवान।। जीवनरेखा नर्मदा, करती है कल्याण। रोग,शोक, संताप को, मारे तीखे बाण।। दर्शन भर से मोक्ष है, तेरा बहुत प्रताप। तू कल्याणी, वेग को, कौन सकेगा माप।। नीर सदा बहता रहे, कंकर है शिवरूप। तू पावन, उर्जामयी, देती सुख की धूप।। अमिय लगे हर बूँद माँ, तू है बहुत महान। तभी युगों से हो रहा, माँ तेरा गुणगान।। प्यास बुझाती मातु तू, देती जीवनदान। तू आई है इस धरा, बनकर के वरदान।। अमरकंट से तू निकल, गति सागर की ओर। तेरी महिमा का नहीं, मिले ओर या छोर।। संस्कारों को पोसकर, करे धर्म का मान। तेरे कारण ही मिला, जग को नया विहान।। अंधकार को मारकर, तू देती उजियार । पावन तू...
विद्या की देवी सरस्वती
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विद्या की देवी सरस्वती

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** माघ मास में शुभ पंचमी का दिन यहहै,मंगल, पुण्य पावन पवित्र दिन श्री कृष्ण के कंठ से उत्पन्न देवी विद्या की, तू कहलाई सरस्वतीदेवी सरस्वती का आविर्भाव इस दिन कहलाता, बसंतीपंचमी का दिन ।।१।। अज्ञानता से ज्ञान का, दीपक जलाता कलम, कमल, पुस्तक,चरणों में चढाता ज्ञान, बल,बुद्धि की रखता भावना तनमनसे करता, सरस्वतीकी ध्यावना ज्ञानप्रकाश कीभरो रोशनी,यही भावना करता साधक, पूजन आराधना ।।२।। देवी सरस्वती का है तेज अत्यंत दिव्य ज्ञानमय अपरिमेय महिमा है अवर्णीय देवी सरस्वती की महिमा है अतुलनीय वाग्देवी, शारदा, बागेश्वरी, बाग्गदेवता सरस्वतीदेवी के है प्रचलितविशेष नाम देवी सरस्वतीका है सब करते गुणगान।।३।। श्रेष्ठता, दक्षता, असामान्य उपलब्धियां परिपूर्ण करो मां सरस्वती, ये विनती शारीरिक मानसिक आत्मिक शक्ति मेधावी विद्व...
सरस्वती वंदना
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सरस्वती वंदना

सुनील कुमार "खुराना" नकुड़ सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** हे मां शारदे हमको दे दो स्वर का वरदान स्वर का वरदान मिलकर मिल जाएगा सम्मान हे सुरों की देवी विनती है तुमसे हमारी इच्छा कर दो हमारी पूरी सुरों का देकर हमको ज्ञान हे शारदे मां विनती है तुमसे बारम्बार लगा दो मैया खेवा हमारा पार बढ़ा दो तुम जग में हमारा मान हे मां हंस वाहिनी मझधार में है हमारी नैया पार कर दो हमारा खवैया सुर देकर कर दो एहसान परिचय :-  सुनील कुमार "खुराना" निवासी : नकुड़ सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) भारत घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि ...
भगवती वंदना
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भगवती वंदना

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मां भगवती सदैव आपकी शरण रहूँ भले दुखों का प्रहार हो भले सुखों की बाहर हो। मां भगवती सदैव आपकी चरणवन्दना करुँ भले लोग मेरे खिलाफ़ हो भले लोग मेरे साथ हो। मां भगवती सदैव आपका चिंतन मनन करुँ भले नर्क की यातना झेलू भले स्वर्ग के आमोद-प्रमोद में रहूँ। मां भगवती सदैव आपके उन्माद में रहूँ। भले मुझ में सिद्धि वास करें भले मुझ में रिद्धि उल्लास करें। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छाय...
बांके बिहारी की महिमा
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बांके बिहारी की महिमा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** मेरे बांके बिहारी दयालु बहुत, दर बुलाकर है दर्शन का अवसर दिया। वो हैं करुणामई, भक्तवत्सल भी हैं, जिसने जो कुछ भी मांगा, वही दे दिया। मेरे बांके... आप यों ही बुलाते रहोगे अगर, मेरे पहले के सब पाप, कट जाएंगे। दरस पाकर तो, निर्मल बनेगा ही मन, पाप की राह पर,फिर नहीं जाएंगे। तेरी औरा की डोरी से यदि बंध गए, फिर कहीं भी लगेगा, न मेरा जिया। मेरे बांके... तुम बुलाते जिन्हें, वो ही आ पाते हैं, पा के दर्शन, छवि मन को भा जाती है। जाते घर को तो, मन छूट जाता यहां, सोते जगते, तेरी याद ही आती है। तुम सलोने हो, करुणामई हो बहुत, खुद बतादो, कि क्यों ऐसा जादू किया। मेरे बांके... तेरे महिमा को, लिखने का मन कर रहा, भाव दोगे तुम ही, तो ही लिख पाऊंगा। तेरी वंशी की धुन है मधुर, कर्णप्रिय, दोगे स्वर ज्ञान, तो ही तो गा पाऊं...
शिव भक्ति
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शिव भक्ति

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** सावन का महीना अति पावन करते सब भोले का वंदन, श्रद्धा विश्वास के प्रतीक है शंकर शक्ति के आराध्य है शंकर। अमर कथा के व्यास हे शंकर, गोरा को कथा सुनाएं शंकर, पार्वती ने तब किया सावन मैं, "श्रावणे पूजयते शिवम्" दान धर्म का फल है सावन अविरल भक्ति का महीना है सावन। समुंद्र मंथन हुआ सावन में, विष का पान किया शंकर ने, नीलकंठ प्रभु नाम धराया, जग को विष से बचाए शंकर, चंद्रमा शिव शीश सुहाय, जटा में गंगा हे लिपटाए, गले मुंड की माला सुहाय, शेषनाग धारे शिव शंकर। त्रिनेत्र त्रिशूल हाथ में अंग भस्म लगाए शंकर, बेलपत्र शिव शंकर प्यारा, सत रज तम का प्रतीक हे न्यारा। सौम्य रूप कभी हे प्रलयकर, रौद्र रूप धारी शिव शंकर, हाथ में डमरू जटा सजाए, तांडव नृत्य करे शिव शंकर, त्रिनेत्र प्रलयंकरकारी पल में प्रलय करे शिव श...
मॉं कुष्मांडा
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मॉं कुष्मांडा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** नवरात्र चतुर्थ दिवस, मॉं कुष्मांडा आती हो, भक्तों को हर्षाती हो, जय हो कुष्मांडा। गंभीर रोगों से मुक्त कराती हो, ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बचाती हो, राग,द्वेष,दुख की देवी हो, भक्तों को देती हो सहारा। तेरे दर्शन पाकर, खुल जाता किस्मत का ताला, भय दूर करती हो माता, सृष्टि की रचना तुम ही तो करती हो। मंद मुस्कान से ही की, समस्त ब्रह्मांड की रचना, जीवन समृद्ध-सुखी बनाती हो, भक्त करे मॉं तेरा पूजन अर्जन। गुड़हल पुष्प अर्पित करें, मालपुआ का भोग लगावे, हाथ जोड़ संगीता सूर्यप्रकाश, शीश झुकावे वंदन, अभिनंदन प्रणाम करें बारम्बार। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
हे महागौरी माता
स्तुति

हे महागौरी माता

रूपेश कुमार चैनपुर (बिहार) ******************** हे महागौरी माता, चार भुजा धारिणी माँ, वृषभ की सवारी करती, अभय मुद्रा धारिणी, दाहिने भुजा त्रिशूल, बाएँ मे डमरू,वर धारिणी, तेरी महिमा है अपरम्पार, तू सबको देती आशीर्वाद। श्वेतांबर धारण करतीं, गौर वर्ण से प्रसिद्ध है तू, भगवान शिव की तू अर्धांगिनी से जानी जाती माँ तू, धवल चाँदनी की छाया में, माँ तुम्हारा स्थान है अनमोल, शांति, सौम्यता का प्रतीक, तू करती है सबका कल्याण। माँ तेरे मस्तक पर सजा है, चंद्रमा की तेज आभा, दुष्टों का नाश करती, देती भक्तों को जीवन की राह, कमल पर बैठी है तू, सौम्य और नीरस तेरा है शैली, भक्तों के दिल में बसी, तेरा अद्भुत अलौकिक चमत्कार। शक्ति और भक्ति का संगम तू है साक्षात स्वरूप माँ, हर दुख-दर्द को मिटाती तू है, सच्ची आस्था का धूप माँ, तेरे चरणों की धूल से माँ, मिलता मन मस्ति...
जगदंबा स्तुति
स्तुति

जगदंबा स्तुति

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** सदा प्रसन्ना मां जगदंबा मम ह्रदय तुम वास करो। लेकर खड़ग त्रिशूल हाथ में मम शत्रुदल संहार करो। चड-मुंड के मुंड धारण कर्ता मम संकट का भी हरण करो। तंत्र विद्या की प्रारंभा देवी शत्रु तंत्र, मंत्र, यंत्र का शमन करो। चौसठ योगिनी संगी कर्ता मम योग विद्या उत्थान करो। रक्तबीज का रक्त पान कर्ता मम शत्रुदल रुधिर पान करो। भैरव के संग नृत्य कर्ता मम शत्रुदल अटहा्स कर ध्वंस करो। जय जय जय मां जगदंबा काली मम ह्रदय तुम सदैव वास करो। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी ...
बृज का उलाहना कान्हा को
भजन, स्तुति

बृज का उलाहना कान्हा को

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** कान्हा, तुम गये तो लौट न आए राह तकें गोकुल, वृंदावन नंदलाल को तरसे हर मन नंदगांव, बरसाना व्याकुल गउएं मुरली सुनने को आतुर घर से न निकलें, टेर लगाएं। बोलीं राधा - आए कन्हैया धरती पर अपना कर्तव्य निभाने को उनका सारा जग अपना तुम पहचान न पाए कान्हा को। जिस धरती ने उन्हें पुकारा दौड़ वहीं कान्हा आए पूतना, तृणावर्त, बकासुर वध कर बृज के रक्षक कहलाए। बृज की मइया, बृज की गइयां बृज के गोप, बृज की गोपियां बृज में कान्हा रास रचाएं बृज ने गीत भक्ति के गाए बहा स्नेह की निर्मल धारा तम का बंधन काटा सारा। बढ़ा कंस का अत्याचार मथुरा की धरती करे पुकार प्रलोभन प्रवृत्ति, राक्षसी बल अनाचार का प्रचंड प्रसार आर्तनाद सुन पहुंचे कान्हा मथुरा की धरा को पहचाना। हुई राक्षसों की भारी‌ हार मिटा कंस, किया उद्धार ...