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ग़ज़ल

किसी को ज़ख्म दूँ
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किसी को ज़ख्म दूँ

प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) (मुजफ्फरनगर) ******************** किसी को ज़ख्म दूँ ऐसा हुनर आता नहीं मुझे पहले की तरहा अब वो बुलाता नहीं मुझे दिल खोलकर बातें तमाम करते थे रातभर अब पुछता हूँ फिर भी बताता नहीं मुझे इतना चढा हूँ बार बार दारो रसन पर हादसा कोई भी रूलाता नहीं मुझे आजमाया है बहुत भरी बरसात का मौसम अश्कों के जैसा वो भी भिगाता नहीं मुझे इल्ज़ाम से मैनें यूँ बरी सबको कर दिया पीता हूँ ख़ुद ही कोई पिलाता नहीं मुझे कडवा है सच बहुत मुझे होनें लगा यकीन क्योंकि वो अपनें मुहँ अब लगता नहीं मुझे मैं जाग जाता हूँ ख़ुद ही "शाफिर" सुबह लेकिन माँ की तरहा अब कोई जगाता नहीं मुझे . लेखक परिचय :- प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) ग्राम- सौंहजनी तगान जिला- मुजफ्फरनगर प्रदेश- उत्तरप्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित...
पुरानी हर ईमारत
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पुरानी हर ईमारत

********* विवेक सावरीकर मृदुल (कानपुर) पुरानी हर ईमारत ढहाई जाएगी तब स्मार्ट सिटी बसाई जाएगी सिनेप्लेक्स क्लब या मॉल होंगे झुग्गी बस्ती की जमीन जाएगी यादों का मलबा दबाया जायेगा और नई नेमप्लेट लगाई जाएगी एक ग़ज़ल भर नहीं मेरी संवेदना उम्मीद है दिल से सुनाई जाएगी वहीँ दफ़्न होगी 'मृदुल' की आरज़ू जहाँ से भी मिटटी उठाई जाएगी   लेखक परिचय :-  विवेक सावरीकर मृदुल जन्म :१९६५ (कानपुर) शिक्षा : एम.कॉम, एम.सी.जे.रूसी भाषा में एडवांस डिप्लोमा हिंदी काव्यसंग्रह : सृजनपथ २०१४ में प्रकाशित, मराठी काव्य संग्रह लयवलये, उपलब्धियां : वरिष्ठ मराठी कवि के रूप में दुबई में आयोजित मराठी साहित्य सम्मेलन में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व, वरिष्ठ कला समीक्षक, रंगकर्मी, टीवी प्रस्तोता, अभिनेता के रूप में सतत कार्य, हिंदी और मराठी दोनों भाषाओं में समान रूप से लेखन। संप्रति : माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय ...
हम जैसे पागल
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हम जैसे पागल

********** मोहम्मद सलीम रज़ा रीवा म.प्र. हम जैसे पागल बहुतेरे फिरते हैं आप भला क्यूँ बाल बिखेरे फिरते हैं काँधों पर ज़ुल्फ़ें ऐसे बल खाती हैं जैसे लेकर साँप सपेरे फिरते हैं चाँद -सितारे क्यूँ मुझसे पंगा लेकर मेरे पीछे डेरे - डेरे फिरते हैं खुशियां मुझको ढूँढ रही हैं गलियों में पर ग़म हैं की घेरे - घेरे फिरते हैं ना जाने कब उनके करम की बारिश हो और न जाने कब दिन मेरे फिरते है   परिचय :- नाम – मोहम्मद सलीम रज़ा शायरी नाम – सलीम रज़ा रीवा तख़ल्लुस – ”रज़ा” जन्म स्थान – मध्य प्रदेश का रीवा ज़िला जन्म दिन – १५.०७.१९७५ तालीम – उर्दू में स्नातक नौकरी – ब्रान्च मैनेजर लाइफ़ इन्सुरेंस रचना प्रकाशन – कई पत्र पत्रिकाओं में रचना प्रकाशित रचना पाठ – आकाशवाणी में कई प्रकाशन, दूरदर्शन में रचना प्रसारण, कई मुशायरे एवं कवि गोष्ठी में रचना पाठ रचना विधा – गीत, ग़ज़ल, क़तआत, नात – ए – मुबारिक, हम्द उपलब्ध...
जो बड़ी बात
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जो बड़ी बात

********** नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. जो बड़ी बात वो अगर होती। तो हमें उसकी कुछ ख़बर होती। ये सफ़र वक़्त पर ठहर जाता, राह थोड़ी जो मुख़्तसर होती। हैं दुआयें जो आपकी सब पर, आज हम पर भी वो असर होती। जो कभी अपनी आशनाई थी, वो लगी साथ उम्र भर होती। आपका साथ मिल गया उतना, जिंदगी मौज में बसर होती। लेखक परिचय :- नाम ... नवीन माथुर पंचोली निवास ... अमझेरा धार मप्र सम्प्रति ... शिक्षक प्रकाशन ... देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन। तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान ... साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) ...
हर तरफ अंधेरा
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हर तरफ अंधेरा

********** शाहरुख मोईन अररिया बिहार हर तरफ अंधेरा नफरतों का उजाला है, इन्हीं ठोकरों ने मुझको हमेशा संभाला है। कसीदे कैसे लिखते हम उनके खातिर, अब ऐसे लोगों क तो अंदाज निराला है। अब नफरतों के बीज बिखेरे जा रहे है, ऐसे सांपों को जो हम सबने पाला है। दिल में दगा और जुबां है शीरी उसकी, जालिम का हुकूमत में अब बोलबाला है। पहन के लिवास सफेद वो मसीहा बने है, मन मैला तो दिल उसका बड़ा काला है। गरीबों की बस्ती में बेरोजगारों की कतारें, मयस्सर नहीं अब भुखो को निवाला है। दुनियां के सितम से इस कद्र टूटा शाहरुख, बालिद की दुआ मां के हौसलों ने संभाला है। लेखक परिचय :- शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहा...
जो मैने कहा दिया
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जो मैने कहा दिया

********** नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. जो मैने कहा दिया कहना नहीं था। मुझे इस बात का हर्जा नहीं था। मेरीआसानियाँ थी किस तरहाँ की क़दम भर का जहाँ रस्ता नहीं था। अग़र वो खूबसूरत है तो सोचो, क्यों उसके सामने पर्दा नहीं था। समन्दर है खफ़ा इन कश्तियों से, यूँ उनका डूबना अच्छा नहीं था। जताती है ये आँखें भूल अपनी, हमें इस रात से लड़ना नहीं था। लेखक परिचय :- नाम ...नवीन माथुर पंचोली निवास.. अमझेरा धार मप्र सम्प्रति... शिक्षक प्रकाशन... देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन। तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान... साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें ...
क्या है व्यवस्था
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क्या है व्यवस्था

********** संजय जैन मुंबई दिया जिन्होंने छोड़, अपने लोगो को। तभी लड़खड़ाई हमारी, देश की व्यवस्था। मुझे लग रहा है कि, कही लुप्त न हो जाये। हमारे देश की वो प्यारी संस्कृति, तभी पढ़े लिखे लोग, जा रहे विदेशों को।। पढ़े लिखे लोग बेच रहे है, देश में लाटरी के टिकेट। अनपढ़ लोग पढ़ा रहे है, बच्चो को स्कूलों में । लगा सकते हो तुम, अंदाजा हमारी व्यवस्था का। तभी विध्दामान लोग, चले जा रहे विदेशों को।। सुधारना होगा हमे अपनी, देश की व्यवस्था को। वरना अकाल पड़ जाएगा, पढ़े लिखे लोगो का। क्योंकि सब कुछ बदल रहा है, लोगो की सोच से। इसलिए तो हम रो रहे है, अपनी व्यवस्था पर।। .लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-...
होती नहीं इज्जत
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होती नहीं इज्जत

********** शाहरुख मोईन अररिया बिहार होती नहीं इज्जत जिनसे मां-बाप की, खुद की औलाद से तो उम्मीदें वफ़ा न रख। जन्नत तो खो दी तूने मां को रुला के, रूठ गए जो जमी के ख़ुदा, तो ख़ुदा से वास्ता न रख। मुमकिन नहीं कीमत उनके आंसू की अदा हो, जर्रा है तू दुनियां में कोई रुतबा न रख। माना तु अमीरे शहर है कुछ नहीं मगर है, गैरत मर गई तेरी, दिखावे का कोई ओहदा न रख। मुफलिसी में भी खुश हुं अपने मां बाप के साथ, जो लोग हैं बेकद्र, ऐसे लोगों से तू वास्ता न रख। जमी पे क्यों न हो सैलाब, कहकशाली का आलम अब, सरेआम कर दे जलील बेकद्रो को, जरा भी हया न रख। दुनियां में मयस्सर है, मुझको तमाम खुशियां मगर, शाहरुख़ बैठ के मस्ज़िदों में झूठा सज्जदा न रख। . लेखिक परिचय :- नाम - शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित कर...
नाम जब भा गया
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नाम जब भा गया

********** नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र.   नाम जब भा गया दोस्ती का। मिल गया रास्ता बन्दगी का। सामने आप आकर जो बैठे, आ गया तब मज़ा मयकशी का। खिड़कियाँ जब हवाओं ने खोली, तब पता पा लिया रोशनी का। कश्तियों के सफ़र की तरह फिर, चल पड़ा सिलसिला जिंदगी का। है हमारी रवायत नहीं ये, क़ायदा है यही हर किसी का। लेखक परिचय :- नाम ...नवीन माथुर पंचोली निवास.. अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति... शिक्षक प्रकाशन... देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान... साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक...
ईमान में ख़यानत आएगी
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ईमान में ख़यानत आएगी

********** शाहरुख मोईन अररिया बिहार जुल्म बढेगा ईमान में ख़यानत आएगी, तभी तो दुनियां में क़यामत आएगी। जुवानों में कड़वाहट लहजो में सख्ती, बेईमानों में बहुत दिखावत आएगी। खुशियों के दीप बुझाने वाले पैदा होंगे, पढ़े-लिखे में भी ज़हालत आएगी। जो रब खफा होगा तो बदलेगी सूरत, ख़ामोश लहजों में भी बगावत आएगी। ज़ुल्म बढेगा ग़रीबों, बेजुबानों,पर इन्सानों के लहजे में अदावत आएगी। सरियत से बेहतर, है नहीं कानून कोई, रस्ते में मेरे हर रोज सियासत आएगी। कांटे भी चुभते है अकसर गुलाबों को, कातिल बना के बीच में अदालत आएगी। शाहरुख़ दागदार है गिरेबा अपना भी, शर्मसार होगी इंसानियत, ऐसी दिखावत आएगी। . लेखिक परिचय :- नाम - शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं,...
खुदा की रहमतो में हम
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खुदा की रहमतो में हम

*********** अंजुमन मंसूरी 'आरज़ू' छिंदवाड़ा म. प्र. गुज़ारें फिक्र करके किस लिए दिन वहशतों में हम। सदा महफूज़ रहते हैं ख़ुदा की रहमतों में हम॥ ज़हन में इल्म रोशन है जिगर में हौसला रोशन। ख़ुदा का है करम नाज़िल, नहीं है ज़ुल्मतों में हम॥ नहीं है फासले तुमसे न कोई दूरियां या रब ख़यालों में हो तुम ही तुम तुम्हारी कुर्बतों में हम॥ जहन्नुम ज़ीस्त कर सकती नहीं तल्ख़ी ज़माने की। तसव्वुर गर तुम्हारा हो तो हैं फ़िर जन्नतों में हम॥ यकीं ख़ुद पर भी तुम पर भी तो इक दिन देखना रहबर। करेंगे मंज़िलें हासिल तुम्हारी सोह्बतों में हम॥ न औरों की कमी देखें गिरेबां झांक लें अपना। तो सारी ज़िंदगी अपनी गुज़ारें राहतों में हम॥ ग़ज़ल नज़्में क़त'अ नग़में तुम्हारी ही नवाज़िश है। क़लम पर इस करम से ही तो हैं अब शोह्रतों में हम॥ . लेखिका परिचय :-  नाम - सुश्री अंजुमन मंसूरी आरज़ू माता - श्रीमती आयशा मंसूरी ...
ग़ज़ल
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रचयिता : शरद जोशी "शलभ" ******************** सुनी तो है मगर देखी नहीं है। ख़ुशी इस राह से गुज़री नहीं है।। उजड़ती बसती रहती है ये दुनिया। किसी की ला फ़ना हस्ती नहीं है।। यहाँ है कौनसा दिल ग़म से ख़ाली जिगर किसका यहाँ ज़ख़्मी नहीं है।। मये कौसर से जो पैमाना भर दे। यहाँ ऐसा कोई साक़ी नहीँ है।। ग़रज़मन्दी समझ बैठे जिसे वो। हलीमी इस क़दर अच्छी नहीं है। "शलभ" ने ख़ुद ही ख़ुद्दारी सम्भाली। किसी की़मत अना बेची नहीं है।। . परिचय :- धार जिला धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। आप विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा वाणी भूषण, साहित्य सौरभ, साहित्य शिरोमणि, साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित हैं। म.प्र. लेखक संघ धार, इन्दौर साहित्य सागर इन्दौर, भोज शोध संस्थान धार आजीवन सदस्य हैं। आप सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, अखिल भारतीय साहित्य परिषद धार (म.प्र.) के जिला अध्यक्ष हैं व...
लाचार देखता रहा
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लाचार देखता रहा

********* प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) (मुजफ्फरनगर) हसरतों को उम्रभर लाचार देखता रहा इस किनारे से फकत उस पार देखता रहा . बेहद करीब आ के,वो पास से गुज़र गया मैं उसकी गुमशुदी का इश्तहार देखता रहा . जीत कर अहले जँहा को लौट आया वो मगर मुझपे होगी कब फतह इंतजार देखता रहा . देखकर उसनें मुझे इक बार क्या जादू किया आईने में ख़ुद को बार बार देखता रहा . गिरवी रखकर फिर कभी आया ना वो मुझको नज़र बिकता रहा हूँ रोज़ मैं बाज़ार देखता रहा . अपनें हाथों ही जलाकर ख़ुद को तु "शाफिर" यहाँ हसरतों की लाश का अंबार देखता रहा . लेखक परिचय :-  प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) ग्राम- सौंहजनी तगान जिला- मुजफ्फरनगर प्रदेश- उत्तरप्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित कर...
कुछ कहा तो पर
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कुछ कहा तो पर

********* विवेक सावरीकर मृदुल (कानपुर) कुछ कहा तो पर बहुत अनकहा रहा उसके मेरे दरम्यान एक फासला रहा .  मैंने ताउम्र देखी नहीं मंज़िले मक़सूद  सामने  मुसलसल इक काफिला रहा .  हर दौर के हाकिमों का हाल एक है जिसे देखिए अवाम को बरगला रहा . हम चल आए अपने हिस्से की बाजी अब उनके हाथों हमारा फैसला रहा . आज चमकेंगे ,कल गर्दिश में जाएंगे  हमेशा किस बशर का जलजला रहा . लेखक परिचय :-  विवेक सावरीकर मृदुल जन्म :१९६५ (कानपुर) शिक्षा : एम.कॉम, एम.सी.जे.रूसी भाषा में एडवांस डिप्लोमा हिंदी काव्यसंग्रह : सृजनपथ २०१४ में प्रकाशित, मराठी काव्य संग्रह लयवलये, उपलब्धियां : वरिष्ठ मराठी कवि के रूप में दुबई में आयोजित मराठी साहित्य सम्मेलन में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व, वरिष्ठ कला समीक्षक, रंगकर्मी, टीवी प्रस्तोता, अभिनेता के रूप में सतत कार्य, हिंदी और मराठी दोनों भाषाओं में समान रूप से लेखन। संप्रति ...
नेता की आंखों में
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नेता की आंखों में

********** प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" नेता की आंखों में कम है । पर किसान की आंखें नम हैं । . देश "युवाओं का" है अपना, रोजगार का नाम खतम है । . तुम को ये अहसास नहीं है, कितने अब हालात विषम है । . जंगल का कानून यही है, वही जिएगा, जिस में दम है । . "प्रेम" बता ? ये अच्छे दिन हैं ? कातिल जैसा हर मौसम है । . लेखक परिचय :-  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में क...
एक ग़ज़ल यूँ भी
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एक ग़ज़ल यूँ भी

********** प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" रोज़गार की कमी नहीं है । हम में ही लायक़ी नहीं है ? . सरकारी कुर्सी, व वेतन, परिभाषा बस, यही नहीं है । . तकनीकी, यांत्रिकी योग्यता, ऐसी भी, बेबसी नहीं है । . माना नीति-नियंता क़ाबिल, क्यों विकास-दर बढ़ी नहीं है ? . अब, सब कुछ, सरकार-भरोसे, "प्रेम" राह यह सही नहीं है । . लेखक परिचय :-  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में कविता...
संस्कारों की पिटारी
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संस्कारों की पिटारी

*********** रचयिता : अंजुमन मंसूरी' आरज़ू' संस्कारों की ये पिटारी है। अपनी वाणी ही लाभकारी है॥ . फूल अविधा के लक्षणा लेकर। व्यंजनाओं की ये तो क्यारी है॥ . अपनी भाषा में बोलना सुनना। भूलना भूल एक भारी है॥ . ठेठ हिंदी का ठाठ तो देखो। मन में रसखान के मुरारी है॥ . कितनी भाषाएँ  हैं मनोरम पर। सब में हिंदी बड़ी ही प्यारी है॥ . अपने घर में दशा पराई सी। देख कर मन बहुत ही भारी है॥ . इंडिया अब कहो न भारत को। 'आरज़ू' अब यही हमारी है॥ . लेखिका परिचय :-  नाम - सुश्री अंजुमन मंसूरी आरज़ू माता - श्रीमती आयशा मंसूरी पिता - श्री एस ए मंसूरी जन्मतिथि - ३०/१२/१९७७ निवास - छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश शिक्षा - परास्नातक हिंदी साहित्य, उर्दू साहित्य, संस्कृत विषय के साथ स्नातक, बी.एड, डी.एड. पद/नौकरी - शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में उच्च माध्यमिक शिक्षक के पद पर कार्यरत साहित्यिक जीवन श...
अहसास
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अहसास

************ रचयिता : सौरभ कुमार ठाकुर मोहब्बत का अहसास होता ही रह गया, पता नही मैं कब तक सोता ही रह गया । . मोहब्बत किया था मैंने उससे एक दफा, पर कहने की हिम्मत जुटाता ही रह गया । . दिल में तो मेरे काफी ख्याल थे उसके लिए, पर आज या कल कहूँ सोचता ही रह गया । . जगाना था प्यार भरा भाव उसके दिल में, मैं तो उसके दिल में विष बोता ही रह गया । . है मोहब्बत की उस राह पर खड़ा, सौरभ, अहसास मोहब्बत का करता ही रह गया । . कभी जीता था मैं उस माशुका के प्यार में, उसी के प्यार में आज मैं रोता ही रह गया । . पाना था उसकी मोहब्बत को मुझे किसी पल, प्रतिदिन मोहब्बत उसकी खोता ही रह गया । . अहसासों में उसे ढूँढ़ता फिर रहा हर गली, ना चाहते हुए भी हर-पल मरता ही रह गया । . परिचय :- नाम- सौरभ कुमार ठाकुर पिता - राम विनोद ठाकुर माता - कामिनी देवी पता - रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) पेशा - १० वीं का छात्र औ...
अच्छे दिन
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अच्छे दिन

********** प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" अच्छे दिन आबे फिर रए हैं। अहलकार खाबे फिर रए हैं। जौन गीत पे, हूटिंग भई थी, बो ई फिर गाबे फिर रए हैं। हम कै रये के दुनिया देखो, प्रान मनों जाबे फिर रए हैं। बसकारो आबे बारो है, सब छप्पर छाबेे फिर रए हैं। जिन से बचत रहे जीवन भर, बे ई हमें पाबे फिर रए हैं। कैबे सब से बात "प्रेम" की, हम जी में दाबे फिर रए हैं। . लेखक परिचय :-  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  प...
होंठों पर सजाना चाहता हूँ
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होंठों पर सजाना चाहता हूँ

********** रचयिता : संजीत कुमार गुप्ता  अपने होंठों पर सजाना चाहता हूँ आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ . कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ . थक गया मैं करते-करते याद तुझको अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ . छा रहा है सारी बस्ती में अँधेरा रोशनी हो, घर जलाना चाहता हूँ . आख़री हिचकी तेरे ज़ानों पे आये मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ. . लेखिक परिचय :- नाम : संजीत कुमार गुप्ता  छात्र : बी.एस सी (मैथ ऑनर्स) व्यवसाय : गुप्ता साइकिल स्टोर निवासी : चैनपुर, सीवान बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक कर...
हर रोज क्यों
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हर रोज क्यों

********** शाहरुख मोईन हर रोज क्यों लोग शादाब सजर काटते हैं,  इस दौर में लोग घर में ही घर काटते हैं। . बदजुबानो का बढ़ गया रुतबा भी इस क़दर,  भाई भी अब सगे भाई का सर काटते है। . अब तो उम्मीद मत रख मजबुन ऐ अख़बार से, झूठी अफ़वाह फैलाने में अच्छी ख़बर काटते हैं। . दौरे मुफलिसी में जो बिकते हैं शफ्फाफ बदन,  शहंशाहों को तो लालोओ गौहर काटते हैं। . मुश्किल से दिन रात जागकर काटते हैं,  प्रदेश में कैसे हम वक्त अहले नज़र काटते हैं। . सैलाब का है खतरा तमाम बस्तियों को मगर,  बहती नदी से लोग अक्सर नहर काटते हैं। . क्यों समझे हैं हमेशा दुनियां हमको कमतर,  अपने हुनर से हम ज़हर से ज़हर काटते हैं। . अपने हालात पर अमीरे शहर भी तमाम रात जागकर काटते हैं,  समुंद्र अपनी कद में है दरिया ही घर काटते हैं। . कुदरत की कारीगरी ने सबका भरम तोरा है, लोहे से लोहा हम पत्थर से पत्थर काटते हैं। . लेखिक परिच...
शम्मे उल्फ़तको हमेशा ही जलाया हमने
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शम्मे उल्फ़तको हमेशा ही जलाया हमने

********** रचयिता : शरद जोशी "शलभ" शम्मे उल्फ़तको हमेशा ही जलाया हमने।। रस्मे उल्फ़त को हमेशा ही निभाया हमने। वो तो राहों में अकेले ही चला करते थे। साथ उनको तो हमेशा ही चलाया हमने।। दूर रहने के बहाने तो उन्हें आते हैं। उनको नज़दीक हमेशा ही बुलाया हमने।। दिल दुखाया है उन्होंने तो हमारा अक्सर। दिल में उनको तो हमेशा ही बसाया हमने।। क्या करें उनसे शिक़ायत वो ग़ैर ही ठहरे। अपना उनको तो हमेशा ही बताया हमने।। अब इरादा है उन्हें उनके हाल पर छोड़ें। उनको पलकों पे  हमेंशा ही बिठाया हमने।। क्यूँ "शलभ" को वो मिटाने पे हुए आमादा। उनपे ख़ुद को तो हमेशा ही मिटाया हमने।। . परिचय :- धार जिला धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। आप विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा वाणी भूषण, साहित्य सौरभ, साहित्य शिरोमणि, साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित हैं। म.प्र. लेखक संघ धार,...
दिल में अगर बगावत रखिये
ग़ज़ल

दिल में अगर बगावत रखिये

********** रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" दिल में अगर बगावत रखिये । लड़ने की भी, ताकत रखिये । . बे-ईमानों की बस्ती में, खुद ईमान सलामत रखिये । . इन नदियों में थोड़ा पानी, अपने कल की बाबत रखिये । . दुनिया को ही स्वर्ग बना लें, दिल में ऐसी चाहत रखिये । . "प्रेम" जगत में सब से पावन, थोड़ी इस की आदत रखिये । . लेखक परिचय :-  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में कवि...
लुटती रही अस्मत
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लुटती रही अस्मत

********** रचयिता : शाहरुख मोईन लुटती रही अस्मत भरती रही कोई सिसकियां,  जहनों दिल पर गिरती रही पल-पल बिजलियां। .  उस मासूम कली की खताए क्या थी या रब ,  चमन उजरता रहा मरती रही तितलियां। .  मूरत बन भगवान खरे रहे मोन जब,  मसली जाती रही है हैवानों से कलियां। . चिखी चिल्लाई रोई और वह गिरगिरई,  बहरे हो गए मूरत सारे खुब चिखी तन्हाइयां। .  इस देश में तेरा आना लाडो दुश्वार हुआ, चिख चिख के कहती है कहानी पुरवाईया। . गुड्डे गुड़ियो से खेलने वाले बचपन का हाल,  कब तक बेटियो से होती रहेगी रुसवाईयां। . शरीयत के कानून का हो अगर ऐहतराम जो,  उजर कर तबाह हो जाएगी गुनाहों की बस्तियां। . मुहाफिज ही बन गए देखो कातिल *शाहरुख* , अदालत में दफन होकर रह गई जाने कितनी कहानियां। . लेखिक परिचय :- नाम - शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रक...
नहीं मिलती हैं कभी
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नहीं मिलती हैं कभी

*********** रचयिता : मीनाकुमारी शुक्ला - मीनू "रागिनी" काफिया - ए (स्वर) तपती हुई  राहों को  छाँवें नहीं मिलती  हैं कभी। उजड़ी हुई जिन्दगी को राहें नहीं मिलती हैं कभी।। सोचा था  बनायेंगे  गुलिस्ताँ  से  अपना  आशीयाँ। लेकिन वीरानों को चमन बहारें नहीं मिलती है कभी। हमसफर होगा हमराज हमख़याल हमनव़ाज भी। पता न था इश्क में वफायें नहीं मिलती हैं कभी।। मझधार में जब किस्ती किनारों की हो तलाश। तूफानों  में  वो पतवारें  नहीं मिलती  है कभी।। जंजीरों में जकड़ी हुई है जिन्दगी कुछ इस कदर। मन पंछी  को नयी  उड़ाने नहीं मिलती हैं कभी।। लेखक परिचय :-  नाम - मीनाकुमारी शुक्ला साहित्यिक उपनाम - मीनू "रागिनी " निवास - राजकोट गुजरात  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी ...