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प्यारी मां

सपना
दिल्ली
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आपके होने से ही
वजूद है मेरा
नौ महीने कोख में रख
मेरे लिए ही तो
हर दर्द सहा आपने…
आपके हाथों में ही
पाया मैंने पहला स्पर्श
आपकी ऊंगली पकड़ कर
चलना मैंने सीखा
हर बुरी नज़र से बचाकर
आपने आंचल में छिपाया ..
हालात से नहीं डरना
मुकाबला करो डटकर
आपने  मुझे सिखाया….
गलती करने पर
मुझे डांटा
कभी प्यार से गले लगाया
कभी मां बनकर
कभी दोस्त बनकर
परेशानियों  को
आपने सुलझाया…
आगे चलकर
ठोकर न खाऊँ
बिना सहारा लिए
मुझे बढ़ना सिखाया
इसलिए…

हिम्मत जब हारने लगी कभी
हौंसला बढ़ाकर
साहस दिया..
मंजिल छू लूं

मुझे उस काबिल बनाया ।

परिचय :- सपना
पिता- बान गंगा नेगी
माता- लता कुमारी
शैक्षणिक योग्यता- एम.ए.(हिंदी), सेट, नेट, जेआर. एफ. अनुवाद में डिप्लोमा ( अंग्रेज़ी से हिंदी), पी.एचडी. (ज़ारी)
साहित्यिक उपलब्धियां- १५ से अधिक राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में सहभागिता तथा प्रपत्र वाचन एवं विभिन्न पत्रिकाओं/ संपादित पुस्तकों में विभिन्न विषयों पर शोधालेख प्रकाशित। साथ ही साहित्य सिनेमा सेतु वेबसाइट पर कुछ कविताओं का प्रकाशन।
निवासी- दिल्ली
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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